22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन, इस सिंगर ने पहली बार राम नगरी जाने पर रखी अपनी राय…

मुंबई। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर आयोध्या में सेलेब्स का जमावड़ा लगने वाला है। इन सेलेब्स में सिनेमा जगत के मशहूर गायक कैलाश खेर का नाम भी शामिल है। इस खास कार्यक्रम से में शामिल होने के लिए कैलाश काफी उत्साहित हैं। ऐसे में पहली बार अयोध्या जाने और राम मंदिर उद्घाटन में शामिल होने को लेकर सिंगर ने अपनी प्रतिक्रिया रखी है।

कैलाश को मिला राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए सिनेमा जगत की हस्तियों को भी निमंत्रण भेजा जा रहा है। गायक कैलाश खेर के मुताबिक निमंत्रण देखकर वह भावुक हो गए। वह कहते हैं कि ”आज मेरी मां होतीं, तो खुशी के मारे जग लुटा देती, भंडारे करतीं। उनका स्वप्न जो साकार होने जा रहा है। हम बाल्यावस्था में कभी-कभी पूछते थे कि जब भगवान श्रीराम अयोध्या में जन्मे हैं, तो वहां मंदिर क्यों नहीं है। मां निरुत्तर हो जाती थीं।

वह कहती थीं कि मंदिर तो था बेटा, लेकिन भारत में आक्रमण हुए तो मंदिर तोड़ दिया गया था। वह आज का यह दृश्य देखती, तो खुश हो जातीं। एक सौ चालीस करोड़ देशवासियों में भगवान की अनुकंपा है कि मुझे भी आमंत्रित किया गया है, जो प्राण प्रतिष्ठा में गर्भगृह के निकट रहेंगे।”

इस पोशक को पहन अयोध्या जाएंगे कैलाश
कैलाश इस खास दिन पर क्या पहनने वाले हैं? इस पर वह कहते हैं कि ”मैंने पीला कुर्ता बनवाया है। भगवान श्रीराम विष्णु के अवतार हैं। विष्णु भगवान को पीतांबर भी कहा जाता है, इसलिए यह रंग चुना है। उनके साथ धोती पहनूंगा, पिताजी जैसे धोती बांधते थे, हम भी वैसे ही बांधेंगे, उन्होंने सिखाया था। घर पर मंदिर में चंदन रखता हूं। बहन चंदन को घिसकर एक चांदी के पात्र में देंगी, वह भी उस दिन माथे पर लगाऊंगा।”

पहली बार राम नगरी जाने पर कैलाश ने रखी अपनी राय
पहली बार अयोध्या जाने पर कैलाश खेर कहते हैं- वाराणसी, हरिद्वार, ऋषिकेश की तरह अयोध्या भी आध्यात्मिक नगरी बन गई है। विश्व में इसके चर्चे होंगे। प्रधानमंत्री मोदी जी ने एयरपोर्ट का नाम महर्षि वाल्मीकी रखकर एक बड़ा कार्य कर दिया है।अवध नगरी को देखकर कर लगेगा राम नगरी में आए हैं। ईश्वर की अनुकंपा का जैसे युग आ गया हो। रामयुग और सतयुग का प्रारंभ हो रहा है। आगे कैलाश कहते हैं कि भगवान श्रीराम पृथ्वी पर सीख देने के लिए आए थे कि जीवनशैली की धारा को पकड़कर कैसे जीवन जीना चाहिए। भगवान होकर भी राम मर्यादा पुरुषोत्तम बने। जीने का पथ तय किया।

हर बात में विनम्रता, धैर्य, सहनशीलता और संवेदनशीलता को सर्वापरि रखा। राजा भी रहे, भगवान भी रहे। उतार-चढ़ाव भरा जीवन गुजारा, लेकिन धैर्य नहीं खोया। आज के युग में उनके जैसा जीने का प्रयास करना चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री को ही देख लीजिए, कितनी आफतें मची हैं, विरोधी, आलोचक पीछे लगे हैं, लेकिन वह प्रतिक्रिया नहीं देते हैं, यह भगवान श्रीराम की सीख है। जो उनके अनुयायी होते हैं, वह सहज रहते हैं, आपा नहीं खोते हैं। हम भी अपना धैर्य हमेशा बनाए रखते हैं। भगवान श्रीराम की धरती है, जो मन के प्यारे लोग हैं, वह प्रसन्नता में जी रहे हैं, भंडारा चला रहे हैं। पूरे विश्व में श्रद्धा जाग रही है। युग परिर्वतन का संकेत है। भारत की पवित्रता को विश्व नमन कर रहा है, यह समय का बड़ा बदलाव है।हमारे पिताजी भागवत और राम कथा गाते थे।

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