जन्माष्टमी पर करें विधि-विधान से पूजा, होगी सुख-समृद्धि

मथुरा। इस वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जा रही है। पूजा के दौरान पंचामृत का तो भोग लगता ही है, पर दो सफेद चीजों का भोग भी लगता है, जो ठाकुरजी को अति प्रिय हैं। खीर और सफेद माखन का भोग भी उनकी पूजा में लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण को खीर-माखन का भोग लगाने से संतान की कामना पूरी होती है। विधि-विधान से पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि होती है।

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर दशकों बाद द्वापरकालीन शुभ संयोग का निर्माण हो रहा है। अष्टमी 26 अगस्त की सुबह 3 बजकर 39 बजे शुरू होगी। समापन 27 अगस्त को रात 2 बजकर19 बजे होगा। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा के लिए शुभ समय 27 अगस्त को देर रात 12 बजकर 01 बजे से रात 12. 45 बजे तक है।

भगवान का करें अभिषेक
ज्योतिषाचार्य अजय तैलंंग ने बताया कि सबसे पहले दूध, दही, बूरा ,घी, शहद से भगवान का अभिषेक करना चाहिए। जन्माष्टमी की पूजा के लिए केले के पत्ते पर विराजमान श्रीकृष्ण की तस्वीर का उपयोग करें। पूजा के लिए गुलाब, गेहूं, चावल, लाल कमल के फूल और भगवान के लिए सुंदर वस्त्र, आभूषणों की भी व्यवस्था करनी चाहिए। सर्वप्रथम मंदिर में सफेद कपड़ा या लाल कपड़ा बिछाना चाहिए। इस पर भगवान श्री कृष्ण को स्थापित करना चाहिए।

यह है पूजा विधि
भगवान के सामने एक कलश रखें, उसके ऊपर एक घी का दीपक जलाएं।
धूप बत्ती, अगरबत्ती और कपूर भी जलाएं। इसके बाद भगवान को चंदन, केसर, कुमकुम आदि का तिलक करें। उनके ऊपर अक्षत अर्पित करें। अबीर, गुलाल, हल्दी आदि चढ़ाएं।
सुंदर आभूषण पहनाएं। पान के पत्ते पर सुपाड़ी रखकर उनके सामने अर्पित करें।
पुष्पमाला भेंट करें और तुलसी की माला भी चढ़ाएं।
लड्डू गोपाल के भोग में दूध, दही, देसी घी, गंगाजल, मिश्री, शहद, पंचमेवा और तुलसी शामिल करें।
भगवान श्री कृष्ण को मोर पंख से बने वस्त्र पहनाएं।
लड्डू गोपाल को मोर मुकुट बेहद प्रिय हैं, इसलिए उस दिन उन्हें मोर मुकुट जरूर पहनाना चाहिए।

बांकेबिहारी मंदिर में एक दिन बाद मनेगी जन्माष्टमी
वृंदावन में इस बार एक दिन बाद यानि 27 अगस्त को जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। मंगला आरती की जाएगी।

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