मौर्य, गुप्त, मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश काल के सिक्के प्रदर्शनी में होंगे शामिल

भारतीय सिक्कों का इतिहास अत्यंत विविध और समृद्ध है। विभिन्न कालों और संस्कृतियों की छाप सिक्कों पर देखने को मिली। मुगल काल से लेकर ब्रिटिश राज तक सिक्कों का संग्रहण भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।

इस कालखंड में सिक्कों ने केवल व्यापार और लेन-देन में ही नहीं, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक धरोहर में भी भूमिका निभाई। सिक्कों का संग्रह विभिन्न कालखंडों से एकत्रित किया गया है। इनमें मौर्य, गुप्त और मुगल साम्राज्य के सिक्के शामिल हैं।

अरोरा भवन में लगी प्रदर्शनी
प्राचीन भारत की धरोहर को संजोए हैं। शुक्रवार से तीन दिवसीय सिक्कों की प्रदर्शनी नाथ मंदिर रोड स्थित अरोरा भवन में लगाई गई है। यहां तीन सौ साल पुराना चंद्रगुप्त द्वितीय काल का सिक्का देखने को मिला।

7.73 ग्राम सोने के इस सिक्के की कीमत लाखों में है। प्रदर्शनी में प्राचीन मुद्राओं में राजा-महाराजा और मुगल काल के दुर्लभ सिक्के रखे गए है। हजारों की संख्या में सिक्के और पुरानी भारतीय मुद्रा का प्रदर्शन भी किया गया।

ब्रिटिश काल में चलने वाली मुद्रा भी है
खास बात यह है कि इसमें ब्रिटिश शासनकाल में चलने वाली मुद्रा भी है। क्वीन विक्टोरिया के विभिन्न सिक्के प्रत्येक स्टॉल पर नजर आए। सिक्कों का संग्रह करने वालों ने इन्हें खरीदा भी।

मुगल काल के सिक्कों में दिखी रुचि
प्रदर्शनी में आए लोगों में मुगल साम्राज्य के सिक्कों को लेकर रुचि अधिक रही। साथ ही अकबर के शासनकाल में सिक्कों की डिजाइन और वजन में एकरूपता रही। मुगलों के सिक्के आमतौर पर चांदी-सोना और तांबे से बने थे। फारसी में शाही आदेश अंकित भी रहते थे।

मौर्य साम्राज्या में चलते थे तांबे के सिक्के
गुप्त और मौर्य काल के सिक्के भी प्रदर्शनी का हिस्सा हैं। मौर्य साम्राज्य में तांबे से बने सिक्के थे। इन पर शाही प्रतीक और शिलालेख देखने को मिले। वहीं देवी-देवताओं की छवि वाले सिक्के भी थे। तांबे से बने सिक्कों में हिंदू धर्म को भी दर्शाया है।

प्राचीन वस्तुओं और पुराने सिक्कों की नीलामी के लिए मशहूर राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त विख्यात आक्शनर भी थे। इसमें टोडीवाला ऑक्शन मुंबई, मारूधर ऑक्शन बेंगलुरु, क्लासिकल ऑक्शन अहमदाबाद, भार्गव ऑक्शन इंदौर, ओसवाल ऑक्शन थे।

सिक्के पर शिव-पार्वती की छाप
प्रदर्शनी में इंदौर के सोनी परिवार का स्टाल लगा था। तांबे से बना सिक्का दो हजार साल पुराना है। उस पर शिव-पार्वती की आकृति थी। यह सिक्का इंदौर और उज्जैन के आसपास काफी चलन में था। स्टाल पर होलकरकालीन समय का वजन तोलने का बांट भी देखने को मिला।

लगए गए हैं करीब 40 स्टॉल
मुंबई ऑक्शन के स्टॉल पर अधिकांश सोने के सिक्के हैं। उन्हें देखने के लिए शहरवासियों की भीड़ उमड़ रही है। प्रदर्शनी में अलग-अलग राज्यों से प्राचीन मुद्रा विशेषज्ञ आए थे। लगभग 40 स्टाल लगाए गए हैं।- आशीष सोनी, समिति के सदस्य

300 सिक्कों की नीलामी आज
एक सितंबर तक जारी रहने वाली इस प्रदर्शनी में सिक्कों को देखने के साथ खरीदने का मौका भी मिल रहा है। शनिवार को सिक्कों की नीलामी की जाएगी, जिसमें 300 से ज्यादा सोने की मोहर वाले सिक्कों के लिए बोली लगेगी।

यह नीलामी मुंबई के ओसवाल ऑक्शन द्वारा करवाई जाएगी। प्रदर्शनी में एक घंटे पहले आने वाले मुद्रा प्रेमी नीलामी में हिस्सा ले सकते हैं।

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