आसान नहीं कई परिषदीय विद्यालयों तक पहुंचना, शिक्षक भी जाने से कतराते

रायबरेली। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों को अब निर्धारित समय में ऑनलाइन हाजिरी दर्ज करानी होगी। ग्रामीण क्षेत्रों के तमाम ऐसे विद्यालय हैं, जहां कच्चे रास्तों से होकर जाता पड़ता है। बारिश के समय हालात और बिगड़ जाते हैं। कीचड़ और जलभराव से होकर ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराना किसी चुनौती से कम नहीं है। बारिश होने पर अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने में डरते हैं।

केस 1- रोहनिया के प्राथमिक विद्यालय गौसपुर में 23 बच्चों का नामांकन है। इंचार्ज, दो सहायक अध्यापक समेत तीन शिक्षक तैनात है। यहां पूरे बेचू, गौसपुर, पूरे बल्दू, गांव के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। विद्यालय आने के लिए एक ही मार्ग मुख्य है। इसे 20 वर्ष पहले एनटीपीसी की ओर से बनवाया गया था, जो अब पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। जगह-जगह गड्ढे हो गए हैं। बरसात के समय आवागमन बाधित रहता है। बच्चों और शिक्षकों को विद्यालय आने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

केस 2- डीह के प्राथमिक विद्यालय पूरे टोड़ी जाने वाला मार्ग कच्चा होने के कारण बारिश के समय भर जाता है। इसमें आएदिन स्कूल जाने वाले बच्चे व शिक्षक गिरकर चोटिल होते हैं। कई बार ग्रामीणों ने मार्ग सही करवाने की मांग की, लेकिन अब तक मार्ग नहीं सही कराया गया। विद्यालय परिसर में भी जगह-जगह जलभराव है। चार दिन पूर्व जलभराव के कारण प्रधानाध्यापिका तपस्या पुरवार गिरकर चोटिल हो गई थी।

केस 3- शिवगढ़ के प्राथमिक विद्यालय महिमापुर में कुल 29 छात्र है। तीन अध्यापक हैं। नौ वर्ष पहले महिमापुर में प्राथमिक विद्यालय तो संचालित हो गया, लेकिन यहां तक आने जाने का रास्ता कच्चा है। इससे बारिश के दिनों में छात्रों व अध्यापकों को इसी रास्ते से होकर आना-जाना पड़ता है।

विद्यालय सहायक अध्यापक संतबक्स सिंह ने बताया कि दो वर्ष पहले यह विद्यालय नगर पंचायत में शामिल हो गया। उसके बाद भी खड़ंजा तक नहीं लग सका। कई बार अफसरों को पत्र भेजकर पीड़ा बताई गई, सिर्फ आश्वासन मिला।

कई विद्यालयों को जाने वाले मार्ग दुरुस्त हो गए हैं। जहां अभी कच्चे मार्ग हैं, उन्हें बनवाने के लिए विकास विभाग से पत्राचार किया जा रहा है। शिवेंद्र प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी

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