देश में कोई भी गर्भवती महिला धन की कमी के कारण इलाज से वंचित नहीं रहेगी- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने मंगलवार को कहा कि देश में कोई भी गर्भवती महिला धन की कमी के कारण इलाज से वंचित नहीं रहेगी क्योंकि सरकार के जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) का मकसद ही सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मुफ्त में इलाज मुहैया कराना है। प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए नड्डा ने राज्यसभा को बताया कि जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम जरूरत आधारित है और बजट कोई मुद्दा नहीं है।

इस योजना के तहत सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में, गर्भवती महिलाओं को सीजेरियन सहित प्रसव की सुविधा नि:शुल्क दी जाती है। इस योजना के संदर्भ में दो सदस्यों द्वारा अपने अपने राज्यों की तुलना किए जाने पर नड्डा ने कहा, ‘‘केरल की तुलना महाराष्ट्र से न करें क्योंकि यह कार्यक्रम जनसंख्या आधारित है। इसके तहत हर मां का ख्याल रखा जा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘धन की कमी के कारण कोई भी मां इलाज से वंचित नहीं रहेगी…इस योजना के लाभों से वह वंचित नहीं रहेगी। केरल में भी यह जरूरत आधारित है।’’ नड्डा ने आश्वासन दिया कि केरल में सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में हर मां को नि:शुल्क प्रसव की सुविधा मिलेगी। मंत्री ने कहा कि महिला के गर्भधारण करने के साथ ही, योजना के तहत प्रसव पूर्व जांच शुरू हो जाती है और प्रसव से पहले उसे सभी आवश्यक टीके दिए जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हर महीने की 9 तारीख को जिला अस्पताल में गर्भवती महिला की स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा निःशुल्क जांच की सुविधा होती है।

आशा कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी है कि वे उच्च जोखिम वाले रोगियों का इलाज करें क्योंकि उन्हें अधिक जांच की आवश्यकता होती है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रसव संस्थान में ही हो।’’ योजना का ब्यौरा देते हुए नड्डा ने कहा, ‘‘जब प्रसव होता है तो अगर यह सी-सेक्शन है, तो (अस्पताल में) सात दिनों तक रहना होता है। यह निःशुल्क है। अगर बच्चे के साथ कोई जटिलता है तो बच्चे के साथ 10 दिनों तक रहना होता है, जो निःशुल्क है।’’

उन्होंने कहा कि मां को अस्पताल ले जाने और प्रसव के बाद उसे वापस घर छोड़ने के लिए सरकार द्वारा परिवहन की सुविधा दी जाती है। उल्लेखनीय है कि जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) की शुरुआत केंद्र सरकार ने एक जून, 2011 को की थी। इस योजना का मकसद, गर्भवती महिलाओं और जन्म के एक साल तक के बच्चों को सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में मुफ़्त में इलाज मुहैया कराना है। इस योजना के तहत, गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं को विभिन्न सुविधाएं मिलती हैं।

Related Articles

Back to top button