जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) आए दिन किसी न किसी वजह से चर्चा में रहता ही है इस बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं वजह है जेएनयू कैंपस में फिल्म स्क्रीनिंग के दौरान हुआ हंगामा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने कल गुरुवार को दावा किया कि जेएनयू परिसर में साबरमती रिपोर्ट फिल्म देख रहे लोगों पर पथराव किया गया फिल्म के पोस्टर तक फाड़ दिए गए जिसकी वजह से फिल्म की स्क्रीनिंग बाधित हुई
एबीवीपी की ओर से यह भी दावा किया गया कि पथराव की वजह से कुछ छात्रों को हल्की चोटें भी आई हैं. पथराव की वजह से फिल्म की स्क्रीनिंग कुछ देर के लिए रोकनी पड़ गई, हालांकि बाद में इसे फिर से शुरू कर दिया गया जेएनयू में चर्चित या विवादित फिल्म को लेकर ये पहला हंगामा नहीं है इससे पहले भी विरोध-प्रदर्शन होता रहा है
विवादों की फेहरिस्त लंबी है…
एबीवीपी का आरोप है कि पथराव के पीछे वामपंथी संगठनों के कुछ छात्रों का हाथ है हालांकि जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) के अध्यक्ष धनंजय ने पथराव की किसी भी ऐसी घटना का खंडन किया और एबीवीपी पर फिल्म का प्रचार करने के इरादे से इस घटना को अंजाम देने का आरोप लगाया
जेएनयू पहले भी विवादित या चर्चित फिल्मों के खिलाफ प्रदर्शन के लिए जाना जाता रहा है. इसकी फेहरिस्त बहुत लंबी है इसी साल मार्च में फिल्म ‘जेएनयू: जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी’ का पोस्टर जारी किया गया पोस्टर को लेकर भी यहां हंगामा हुआ था लोगों ने इसे ‘प्रोपेगैंडा’ फिल्म बताया यह फिल्म जेएनयू पर बनी थी विवाद फिल्म के पोस्टर को लेकर हुआ था क्योंकि इसमें देश के नक्शे को भगवा रंग में दिखाया गया था
इसी तरह नक्सलियों पर आधारित फिल्म ‘बस्तर’ का भी जेएनयू में विरोध किया गया था. जेएनयू के छात्रों का एक वर्ग फिल्म बस्तर: द नक्सल स्टोरी के टीजर के खिलाफ ही विरोध प्रदर्शन करने उतर गया था छात्रों ने फिल्म के निर्देशक और अभिनेताओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की भी मांग की थी फिल्म में एक्टर अदा शर्मा एक जगह जेएनयू का नाम एक ऐसी जगह के रूप में लेती हैं, जहां छात्रों ने कथित तौर पर छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलियों द्वारा सीआरपीएफ अधिकारियों की हत्या किए जाने पर जश्न मनाया था इसका भी विरोध जताया गया
वाम समर्थक छात्रों ने फरवरी में टीजर आने के बाद ही इसका विरोध शुरू कर दिया था. कैंपस में लेफ्ट समर्थक छात्रों की ओर से निर्देशक सुदीप्तो सेन का पुतला जलाया गया. साथ ही यह आरोप भी लगाया गया की यह फिल्म बीजेपी और आरएसएस की मदद से बनवाई गई है. फिल्म के 15 मार्च के रिलीज होने से पहले जेएनयू परिसर में फिल्म की स्क्रीनिंग कराई गई तो वहां भी तनाव पैदा हो गया.
स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के 100 से अधिक छात्रों ने फिल्म की स्क्रीनिंग के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया प्रदर्शनकारियों ने कार्यक्रम स्थल में लोगों को जाने से रोकने की कोशिश की यही नहीं यह भी दावा किया गया कि एसएफआई ने कथित तौर पर फिल्म की स्क्रीनिंग को रोकने को लेकर दो बार ऑडिटोरियम की लाइट काट दी थी
‘द केरला स्टोरी’ को लेकर प्रदर्शन
फिल्म बस्तर की रिलीज से पहले ‘द केरला स्टोरी’ को लेकर भी जेएनयू के तनाव पैदा हो गया था पिछले साल मई में यहां पर सुदीप्तो सेन निर्देशित फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ की स्क्रीनिंग कराई गई स्क्रीनिंग का आयोजन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आयोजित किया था लेकिन वामपंथी छात्र समूह ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया SFI ने कैंपस के अंदर फिल्म को लेकर जबर्दस्त प्रदर्शन किया था
जम्मू-कश्मीर में 90 के दशक में आतंकवाद के सुलगने और कश्मीरी पंडित के साथ हुई बर्बरता की घटना को दर्शाती फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को लेकर भी जेएनयू खासा चर्चा में रहा था जनवरी 2023 में जेएनयू कैंपस में ‘द कश्मीर फाइल्स’ की स्क्रीनिंग से पहले वहां पर एक सीन भी क्रिएट किया गया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था इसमें कैंपस में हर सांकेतिक रूप से लाशें ही लाशें नजर आ रही थीं इसका आयोजन कश्मीरी पंडितों से जुड़ी संस्थाओं और एबीवीपी ने किया था
बीबीसी डॉक्यूमेंट्री पर भी मचा था बवाल
बीबीसी की विवादित 2 एपिसोड वाली डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन की भी यहां भी स्क्रीनिंग कराने की व्यवस्था कराई गई थी जबकि सरकार की ओर से इसकी स्क्रीनिंग को लेकर कोई अनुमति नहीं दी गई थी जेएनयू छात्रसंघ ने जनवरी 2023 में बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री को दिखाने का ऐलान किया था
हालांकि यह कामयाब नहीं हो सका क्योंकि स्क्रीनिंग से करीब आधे घंटे पहले ही केंद्र के आदेश के बाद यूट्यूब और ट्विटर ने इसे हटा दिया था इस बीच वहां पर बिजली सप्लाई बाधित हो गई. आधी रात के बाद बिजली बहाल हो सकी छात्रों के एक ग्रुप ने इसे जानबूझकर ब्लैकआउट करार दिया और इसके विरोध में अपने फोन और लैपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री के कुछ हिस्से देखे
छात्रों ने फिर जेएनयू ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि जेएनयू प्रशासन ने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रोकने के लिए बिजली आपूर्ति काटी थी. छात्र संघ ने आरोप लगाया कि ऐसा पहली बार हुआ है. इससे पहले जब भी बिजली कटती थी, तो प्रशासन द्वारा कैंपस को “सूचित” किया जाता था, लेकिन इस बार हमें कोई सूचना नहीं मिली. यही नहीं रात करीब 10.30 बजे, डॉक्यूमेंट्री देखने के लिए एकत्र छात्रों की भीड़ पर पत्थर भी फेंके गए, लेकिन अंधेरे में यह पता नहीं चल सका कि ये पत्थर कहां से आए थे और किसने फेंके थे