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Kanpur News : निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने कहा- कि जांच कमेटी की रिपोर्ट आने तक लैब को बंद ही रखा जाएगा।
शोध गाइड छात्रों से सीधे संपर्क में नहीं रहेंगे। उन्होंने माना कि प्रोफेसर के खिलाफ कई शिकायतें हैं, लेकिन अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
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IIT (Indian Institute of Technology) में हुई आत्महत्या के मामले में गाइड प्रोफेसर पारितोष की लैब बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। इस मामले में जांच के दौरान कई छात्रों ने आरोप लगाए थे कि प्रोफेसर पारितोष के व्यवहार और उनके काम करने के तरीकों ने छात्रों पर मानसिक दबाव डाला था, जो आत्महत्या तक पहुंचने का कारण बना। यह घटना आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है। आत्महत्या के कारणों की गहन जांच की जा रही है, और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ऐसे घटनाएं भविष्य में न हों। लैब को बंद करने के फैसले से यह स्पष्ट हो रहा है कि संस्थान आरोपों को गंभीरता से ले रहा है और मामले की निष्पक्ष जांच करेगा। शैक्षिक संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और उनके साथ किए जाने वाले व्यवहार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। छात्रों को न केवल अकादमिक दबाव से निपटने के लिए मदद मिलनी चाहिए, बल्कि उन्हें एक सुरक्षित और सहायक माहौल भी चाहिए, जहां वे अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात कर सकें। इस दुखद घटना से जुड़े सभी पहलुओं की जांच होनी चाहिए ताकि जिम्मेदार व्यक्तियों को कड़ी सजा मिल सके और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
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कई छात्रों ने प्रो. पारितोष के खिलाफ की थी शिकायत…
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जी हां, IIT आत्महत्या मामले में कई छात्रों ने प्रो. पारितोष के खिलाफ शिकायत की थी। छात्रों का आरोप था कि उनके गाइडिंग और काम करने के तरीकों में अनावश्यक मानसिक दबाव डाला जाता था, जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ा। कुछ छात्रों ने यह भी कहा कि प्रोफेसर का व्यवहार कठोर था और उन्हें अकादमिक कार्यों को लेकर अत्यधिक तनाव का सामना करना पड़ता था। यह शिकायतें इस मामले की जांच के दौरान सामने आईं और इसने संस्थान के प्रबंधन और अन्य संबंधित अधिकारियों को यह मजबूर किया कि वे मामले की गंभीरता को समझें और उचित कदम उठाएं। प्रोफेसर पारितोष की लैब बंद करने का निर्देश इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए दिया गया था, ताकि आरोपों की निष्पक्ष और गहन जांच की जा सके। इस तरह के मामलों में छात्रों को समर्थन देने के लिए संस्थान के मानसिक स्वास्थ्य, परामर्श और अन्य सहायक सेवाओं का भी महत्व बढ़ जाता है। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि छात्रों को एक सुरक्षित और सहायक शैक्षिक माहौल मिले, जहां वे बिना किसी मानसिक दबाव के अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
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जी हां, इस मामले में मृतक छात्र के परिजनों ने भी प्रोफेसर पारितोष की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि गाइड के रूप में प्रोफेसर पारितोष का रवैया छात्रों के प्रति कठोर था और वह मानसिक दबाव डालते थे, जिससे छात्र की मानसिक स्थिति खराब हुई। परिजनों का कहना था कि प्रोफेसर के व्यवहार के कारण छात्र ने गंभीर मानसिक तनाव महसूस किया, जो अंततः आत्महत्या की वजह बना। परिजनों की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए जांच तेज़ की गई है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि क्या गाइडिंग में किसी प्रकार की लापरवाही या मानसिक दबाव डाला गया था, जिससे छात्रों की मानसिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।
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यह भी सामने आया था कि कुछ अन्य छात्रों ने भी प्रोफेसर पारितोष के खिलाफ शिकायतें की थीं, जिससे यह बात और अधिक गंभीर हो गई। इस पूरी घटना ने शिक्षा संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और गाइडिंग प्रक्रियाओं की सही स्थिति पर एक बार फिर सवाल खड़ा किया है। साथ ही, इस तरह के मामलों से यह भी ज़रूरी है कि संस्थान अपने कर्मचारियों के व्यवहार को लेकर सतर्क रहें और छात्रों को सुरक्षित मानसिक माहौल प्रदान करने के लिए उचित कदम उठाएं।
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गाइड छात्रों से सीधे संपर्क में नहीं रहेंगे..
इस मामले के संदर्भ में, IIT ने अब यह निर्णय लिया है कि गाइड प्रोफेसरों को छात्रों से सीधे संपर्क में नहीं रहना चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। यह कदम एक ऐसे वातावरण को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, जहां छात्रों को मानसिक दबाव से बचाया जा सके और उनका शैक्षिक अनुभव सुरक्षित रहे। गाइड-शिष्य संबंध को बेहतर बनाने और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इस नए निर्देश का उद्देश्य छात्रों को अधिक स्वतंत्रता देना है और उन्हें मानसिक स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से एक संतुलित माहौल प्रदान करना है। इसके तहत गाइड और छात्र के बीच संपर्क को संरचित किया जाएगा, ताकि गाइडिंग के दौरान कोई भी मानसिक दबाव या तनाव उत्पन्न न हो.यह फैसला छात्रों के भले के लिए है, और यह सुनिश्चित करता है कि गाइडिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता हो और छात्रों को किसी भी प्रकार के मानसिक तनाव से बचाया जा सके। अब आगे से, छात्रों के पास अन्य सहायक माध्यमों जैसे कि मेंटरिंग, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं और परामर्श से भी मदद मिल सकेगी।