मालदीव में खड़ा हुआ नया बवाल

नई दिल्ली। बीते दिनों (9 जून) मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए भारत पहुंचे थे। खबरें है कि संसदीय समिति ने भारत के साथ किए गए तीन समझौतों की समीक्षा करने का एलान किया है। खास बात ये है कि ये एलान तब किया गया जब मुइज्जू भारत में थे।

क्या हैं ये तीन समझौते?
इन तीन समझौतों में हाइड्रोग्राफिक सर्वे, भारत की अनुदान सहायता से निर्मित होने वाले उथुरु थिलाफल्हू डॉकयार्ड और मानवीय, खोज और बचाव कार्यों के लिए मालदीव के रक्षा बलों को भारत द्वारा गिफ्ट किए गए डोर्नियर विमान के लिए समझौता शामिल है।

मालदीव मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय हिताधू निर्वाचन क्षेत्र के सांसद अहमद अजान ने कहा कि आज संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा सेवा समिति ने राष्ट्रपति सोलिह के प्रशासन द्वारा मालदीव की संप्रभुता और स्वतंत्रता को कमजोर करने वाली कार्रवाइयों की जांच करने के लिए संसदीय जांच करने का फैसला किया है।

उन्होंने आरोप लगाते हुए संसदीय जांच शुरू करने का प्रस्ताव रखा कि पिछली सरकार के कार्यों ने देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता को प्रभावित किया।

मुइज्जू की सरकार ने पिछले साल घोषणा की थी कि वह मालदीव के जलक्षेत्र में संयुक्त हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण के लिए भारतीय नौसेना के साथ समझौते को नवीनीकृत नहीं करने जा रही है।

राष्ट्रपति मुर्मु से भी मुइज्जू ने की थी मुलाकात
उन्होंने रविवार को मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया और सोमवार को राष्ट्रपति मुर्मु से मुलाकात की जिसमें उन्होंने मालदीव को भारत की निरंतर सहायता के लिए आभार व्यक्त किया।

उनके कार्यालय ने कहा, उन्होंने बताया कि वह मौजूदा संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए तत्पर हैं।

विवाद तब शुरू हुआ जब तीन उप-मंत्रियों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रधानमंत्री मोदी की लक्षद्वीप यात्रा के बारे में पोस्ट के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया, जिसमें उन्होंने द्वीपों की प्राकृतिक सुंदरता और भारतीय पर्यटकों के लिए इसके संभावित आकर्षण का जश्न मनाया। दो पूर्व राष्ट्रपतियों – इब्राहिम सोलिह और मोहम्मद नशीद – ने मंत्रियों की टिप्पणियों की कड़ी निंदा की थी।

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