नेताजी सुभाष चंद्र बोस को ‘राष्ट्रपुत्र’ घोषित करने की मांग, ओडिशा हाईकोर्ट में याचिका दायर

कटक। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती को देशभर में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। बुधवार को नेताजी को राष्ट्रपुत्र एवं आजाद हिंद गठन दिवस को राष्ट्रीय दिवस के तौर पर घोषित करने के लिए दर्शाकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई हुई।

समाज सेवक पिनाकपाणी मोहंती ने दायर की याचिका
कटक के समाज सेवक पिनाकपाणी मोहंती की ओर से दायर याचिका की सुनवाई पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस मृगांक शेखर साहू को लेकर गठित खंडपीठ ने इस संबंध में जवाब दाखिल करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया है।

12 फरवरी तक टली सुनवाई
इस मामले की अगली सुनवाई को आगामी 12 फरवरी तक के लिए टाल दिया गया है। आवेदनकारी मोहंती ने अपने पिटीशन में यह दर्शाया है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के गुमशुदा होने के 78 साल बीत जाने के बावजूद उन्हें देश अभी तक उचित सम्मान नहीं दे पाया है।

राष्ट्रपुत्र घोषित करे सरकार
देश को स्वतंत्रता दिलाने में नेताजी और उनके द्वारा गठित आजाद हिंद फौज के भूमिका काफी सराहनीय रहा है।
भारत के प्रति नेताजी ने जो त्याग और बलिदान दिया है, देश को उन्हें भी इसका सम्मान देना चाहिए।
सरकार को नेताजी को भारत का राष्ट्रपुत्र घोषित किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय दिवस घोषित हो 21 अक्टूबर

ठीक उसी प्रकार आजाद हिंद फौज की स्थापना 21 अक्टूबर 1943 को की गई थी । उस दिन को भी राष्ट्रीय दिवस के तौर पर घोषणा करने के लिए भी याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की है।

केवल इतना ही नहीं ओड़िआ बाजार में मौजूद उनके जन्म स्थान संग्रहालय को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करना, स्वतंत्रता के समय इंटेलिजेंस ब्यूरो के पास मौजूद सीक्रेट फाइल को भी हस्तांतरित करने के लिए पिटीशन में बहस के तौर पर दर्शाया गया है ।

ठीक उसी प्रकार नेताजी की गुमशुदगी की रहस्य को उजागर करने के लिए गठित जस्टिस मुखर्जी कमीशन की जांच रिपोर्ट को भी सार्वजनिक करने की जरूरत है।

नेताजी के निधन के संबंध में विष्णु सहाय कमीशन ने जो रिपोर्ट दी है, उसको रद के लिए अदालत निर्देश दें, यह प्रार्थना आवेदनकारी ने की है।

इस पिटीशन में आवेदनकारी ने नेताजी के संबंध में कई तथ्य अदालत में पेश किए हैं। आवेदनकारी इन सब मांगों को आधार कर प्रधानमंत्री के पास भी ज्ञापन भेजा है।

केंद्र गृह मंत्रालय को ज्ञापन प्रदान किया है, लेकिन उसके ऊपर किसी भी तरह की ठोस कदम नहीं लिए जाने के कारण वह हाईकोर्ट पहुंचे हैं। इस मामले में प्राथमिक सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।

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