काठमांडू। नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने हिन्दी साहित सभी विदेशी भाषाओं की ऐसी फिल्मों के प्रदर्शन पर आगे से रोक लगाने को कहा है, जिसमें नेपाल की धार्मिक आस्था पर चोट पहुंचाने वाले दृश्य या संवाद हो।
बुधवार को इस संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले में यह भी कहा गया है कि नेपाल की धर्म, संस्कृति, रीति रिवाज, पूजा पद्धति आदि विषय को समेट कर बनाई जाने वाली हिन्दी या अन्य विदेशी भाषा की फिल्मों के छायांकन से पहले ही अनुमति नहीं ली जाती है तो ऐसी फिल्मों को नेपाल में चलने पर रोक लगाने का पूरा अधिकार नेपाली सेंसर बोर्ड के पास है।
नेपाल में फिल्मों के प्रदर्शन को लेकर आए फैसले के पूर्ण पाठ में भारत में बनी प्रभास की आदिपुरुष फिल्म को लेकर काफी विवाद हुआ था। उस फिल्म में ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर दिखाने और नेपाल की बहुसंख्यक हिन्दू समुदाय की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने की भी बात सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कही गई है। नेपाल में आदिपुरुष फिल्म के प्रदर्शन के दौरान उसका काफी विरोध हुआ था और इसके प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर की गई थी। फिल्म के रिलीज के समय भी कई दिनों तक नेपाल में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता अनिता सापकोटा की तरफ से दायर रिट पर फैसला सुनाते हुए न्यायाधीश प्रकाश ढुंगाना और मनोज शर्मा की संयुक्त बेंच ने कहा है कि सिर्फ धार्मिक आस्था पर आघात पहुंचाने वाली फिल्मों पर ही रोक नहीं लगाया जाना चाहिए बल्कि नेपाल के किसी भी पड़ोसी देश या अन्य मित्र देश के खिलाफ बनाई जाने वाली फिल्मों के प्रदर्शन पर भी रोक लगाई जानी चाहिए। अपने फैसले में न्यायाधीश ढुंगाना और न्यायाधीश शर्मा ने लिखा है कि नेपाल के पड़ोसी देश या अन्य मित्र राष्ट्र के साथ हमारे संबंध पर ही असर डालने वाली कोई भी फिल्म का प्रदर्शन ना हो, इसकी जिम्मेदारी नेपाल सेंसर बोर्ड की है।
विदेशी फिल्मों के नेपाल में प्रदर्शन से पहले सेंसर बोर्ड को हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर असर डालने वाली फिल्मों को नेपाल सरकार, विदेश मंत्रालय और संबंधित देश के सेंसर बोर्ड से समन्वय कर ही नेपाल में प्रदर्शित करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विदेशों में बनी फिल्म में नेपाल की शान्ति सुरक्षा, मित्र राष्ट्र के साथ संबंध, विभिन्न जात जाति के बीच के सुसम्बन्ध, धार्मिक तथा सांस्कृतिक मूल्य मान्यता में आघात पहुंचाने वाले पटकथा को नेपाल में किसी भी कीमत पर प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने का निर्देशात्मक आदेश दिया गया हैl इसी तरह सार्वजनिक हित, सार्वजनिक सरोकार तथा सदाचार और सामाजिक नैतिकता के प्रतिकूल कार्य को बढ़ावा देने एवं लैंगिक हिंसा को प्रश्रय देने वाली फिल्मों के प्रदर्शन पर भी रोक लगाने को कहा है।