उत्तरकाशी। सिल्कियारा सुरंग का निर्माण कर रही नवयुग कंपनी ने अपने श्रमिकों के लिए दो-दो माह का बोनस देने की घोषणा की है । इसके अलावा जो श्रमिक सुरंग के अंदर फंसे थे उन श्रमिकों के लिए दो-दो लाख की सहायता राशि दी है। भले श्रमिकों की मांग है कि सुरंग में सुरक्षा के साथ उनके लिए अन्य सुविधाएं भी दी जाएं।
सिलक्यार सुरंग में हुई घटना के बाद से श्रमिकों के मन में असुरक्षा का भाव है। 41 श्रमिकों के सुरंग में फंसने की घटना ने सभी को हैरान किया है। श्रमिकों के मन में बैठे डर को दूर करने और उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने बुधवार की सुबह सुरंग के मुहाने पर एक बैठक बुलाई। जिसमें कंपनी के स्थाई और ठेकेदार में माध्यम से काम करने वाले श्रमिकों को आमंत्रित किया।
दो महीने का बोनस, 2-2 लाख का बोनस
कंपनी प्रबंधन ने सुरंग में हुई घटना के बाद श्रमिकों का मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया। जिससे श्रमिकों के अंदर सुरंग में काम करने को लेकर असुरक्षा का भाव पैदा न हो। श्रमिकों में उत्साह बना रहे। इसके लिए नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी ने श्रमिकों को आर्थिक सहायता के रूप में दो-दो माह का बोनस देने की घोषणा की। इसके अलावा जो श्रमिक सुरंग के अंदर 17 दिनों तक फांसे रहे उन श्रमिकों को दो-दो लाख रुपए की सहायता राशि उनके खाते भेजने का भी दावा किया।
अवकाश देने के बारे में कोई निर्णय नहीं
नवयुग कंपनी के प्रबंधक हंसराज ने कहा कि करीब 300 श्रमिक सिलक्यारा की ओर से काम करते हैं इन श्रमिकों को दो-दो माह का बोनस दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि श्रमिकों को अवकाश देने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। केवल जो 41 श्रमिक सुरंग के अंदर फंसे थे वह श्रमिक कुछ दिन तक अपने घर में रह सकते हैं।
श्रमिकों की मांग सुरक्षा और सुविधा
जब श्रमिक बाहर निकले तो मीडिया से बातचीत करते हुए श्रमिकों ने कहा कि अभी घटना घटित हुई तो कंपनी बोनस देने की बात कर रही है। पिछले पांच वर्षों से कंपनी का काम चल रहा है। कंपनी की ओर बीते पांच वर्षों में कोई बोनस नहीं दिया गया। श्रमिकों ने कहा कि कंपनी की ओर से कुछ भी सुविधा नहीं दी गई है। खासकर सुरंग के अंदर काम कर करने के दौरान सुरक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं है। इसको लेकर कोई निर्णय भी नहीं लिया गया है।
नहीं दिया जाता उचित मेहनताना
श्रमिकों ने कहा कि कंपनी की ओर से श्रमिकों के स्वास्थ्य और रहने की सही व्यवस्था नहीं है। 12 घंटे काम करने के बाद भी श्रमिकों को उचित मेहनताना नहीं दिया जा रहा है। रहने खाने व अन्य सुविधाओं सुविधा भी सही नहीं हैं। अधिकांश श्रमिक ठेकेदार के जरिये परियोजना में काम करते हैं। श्रमिक एक दिन की भी अतिरिक्त छुट्टी लेता है तो ठेकेदार उसके पैसे काट देता है।