यदुवंशियों के आस्था एवं विश्वास का केंद्र है नन्द महर धाम…

पौराणिक स्थल नन्द बाबा के धाम पर लगने वाला तीन दिवसीय महाकुंभ शुरू

शाहगढ़/अमेठी जिले का पौराणिक स्थल में शुमार नन्द बाबा के धाम लगने वाला तीन दिवसीय महाकुम्भ 26 नवम्बर से शुरू हो रहा हैं। जिसमें देश प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के यादव समाज के साथ ही सभी समाज के श्रद्धालु अपने आराध्य के दरबार में हाजिरी लगाने को पहुंचते हैं। और ढोल नगाड़ों की थाप पर पूजा अर्चना करते हुए सुख समृद्धि व खुशहाली की कामना करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धाम पर पूजा अर्चना कर प्रसाद चढ़ाने से प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है। नन्द बाबा के मंदिर पर खास तरह के झंडे चढ़ाने की परम्परा सदियों से चली आ रही है ।

वीवीआईपी जिले में शुमार अमेठी जिला मुख्यालय गौरीगंज से उत्तर दिशा में मुसाफिरखाना मार्ग पर करीब 15 किमी दूरी पर स्थित नन्द महर धाम पौराणिक महत्व समेटे हुए है जो यदुवंशियों का एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। पौराणिक स्थल का प्रदुर्भाव कब हुआ इस विषय में कई मत प्रचलित है ।किंवदंतियों के अनुसार द्वापर युग में यहां के आसपास पौंड्रक नामक राजा के अधीन था जो खुद को वासुदेव बताता था। इसकी जानकारी जब वसुदेव को हुई तो उन्होंने भगवान श्री कृष्ण व उनके भाई बलराम को पौंड्रक घमंडी राक्षस को मारने के लिए भेजा जो काफी समय बीतने के बावजूद वापस नहीं गये, जिससे चिंतित होकर वासुदेव व नन्द बाबा भगवान श्री कृष्ण व बलराम को खोजते हुए यहां पहुंचे। उस समय इस क्षेत्र के आसपास बहुत बड़ा घना जंगल था। पौंड्रक को मारकर श्री कृष्ण बलराम के साथ वापस द्वारिकापुरी जा रहे थे उसी समय नन्द बाबा और वासुदेव की मुलाकात इसी स्थान पर हुई थी। यहां पर उन्होंने तीन दिन तक विश्राम करते हुए यज्ञ का आयोजन किया। नन्द बाबा ने भगवान की मूर्ति स्थापित करके पूजा की, भगवान श्री कृष्ण, बलराम, वासुदेव और नन्द बाबा के रुकने से यह स्थान पवित्र हो गया। यदुवंशियों के पूर्वज होने के कारण यह स्थल उनकी श्रद्धा आस्था एवं विश्वास के प्रमुख केंद्र बन गया। तभी से लोग अनवरत कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर प्रत्येक वर्ष यज्ञ हवन पूजन करते हैं। मान्यताओं के अनुसार उसी समय आसपास नारायन पुर, काशीपुर, केशव पुर, वसायकपुर, नदियावा, हरि करन पुर सहित दर्जन भर गांव बसाए गए। क्षेत्रीय ग्रामीणों के अनुसार कि जिस स्थान पर नन्द बाबा ने पूजा अर्चना की थी उसी स्थान पर मिट्टी का चबूतरा बनाकर पूजन अर्चन शुरू कर दिया। जहां बाद में नन्द बाबा का मंदिर बनवाया गया। मान्यताओं के अनुसार मंदिर में गाय भैंस के ब्याने के बाद नन्द बाबा को दूध चढ़ाने के बाद ही उसे अन्न के साथ प्रयोग किया जाता है। ऐसा करने से घर में दूध की कमी नहीं होती है। जहां बिना किसी भेदभाव के सभी जाति व धर्मो के लोग प्रत्येक मंगलवार को दूध चढ़ाने आते हैं। और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से राजा बलि की पूजा करने वाले यदुवंशी रंग बिरंगे झंडे मंदिर में चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं।जहां पुजारी लोग भूत प्रेत बाधा से युक्त लोगो को प्रेत बाधा से मुक्ति दिलाते हैं। ढोल नगाड़ों की थाप पर तीन दिन तक लोग पचरा गीत गाते हुए पूजा करते हैं। नन्द बाबा के दर्शन के लिए पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, नारायण दत्त तिवारी, सपा मुखिया अखिलेश यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव, संविधान सभा के सदस्य रहे पूर्व मंत्री लक्ष्मी शंकर यादव, हरियाणा के पुराने नेता कर्नल राम सिंह, पूर्व मंत्री शिवपाल सिंह यादव सहित अनेक राजनीतिक हस्तियां दर्शन पूजन करते हुए मत्था टेक चुके हैं। तीन दिवसीय महाकुंभ रविवार से शुरू होकर मंगलवार तक चलेगा। सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त रखने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स तैनात की गई है।

रविवार से ही पौराणिक स्थल नंदमहर लगने वाले तीन दिवसीय यादवी महाकुंभ में आसपास के जिलों से दुकानदारों के पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है, वही रविवार की रात भर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों से भी राजा बलि के पुजारियों व यादव समाज के लोगों का जमावड़ा होगा। जहां रात में प्रशासनिक सुरक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो जाती है।असामाजिक तत्वों के बोलबाले व उनकी बेजा हरकतों से दर्शनार्थियों खासकर महिलाओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है वही कई जगहों पर मेले में आने वाले श्रद्धालुओं से अवैध वसूली किए जाने की शिकायते भी मिलती रहती हैं। वही नंदमहर मंदिर परिसर में लगी हाई मास्क लाइट बीते महीनो से खराब पड़ी है, जिसकी शिकायत के बाद कोई कार्यवाही नहीं सकी है।

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