लखनऊ। सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के माध्यम से नगर निगम लखनऊ से किसी प्रकार की सरकारी सूचना मांगने वाले लोगों को जवाब नहीं मिल रहा है। नगर निगम के पत्राचार विभाग का कहना है कि आरटीआई के तहत उनके यहां कोई पत्र मिल ही नहीं रहा है। वहीं शिकायती पत्रों और आवश्यक कागजों को मार्क कर रजिस्टर पर चढ़ाकर उससे संबंधित विभागों को भेज दिया जाता है।
नगर निगम से आरटीआई के तहत सूचना मांगने वाले सुनील तिवारी ने बताया कि नगर निगम में तीन पत्र भेज चुके हैं। इसमें उन्होंने नगर निगम में मृतक आश्रित कर्मचारियों की जानकारी मांगी है। नगर निगम ने उपलब्ध नहीं कराया है। पत्र के बारे में पता करने पर उनके पत्रों का नगर निगम के पास कोई लिखित अंकित विवरण नहीं है।
उन्होंने बताया कि डाक घर से भी उन्होंने पता किया तो उनके पत्र नगर निगम तक तो पहुंचे हैं। फिर भी नगर निगम लखनऊ पत्रों के बारे में मासूम बना हुआ है। उन्हें यह जानकारी करनी है कि नगर निगम में कितने मृतक आश्रित कर्मचारी कार्यरत हैं और अभी ऐसे कितने पद खाली हैं। ताकि नगर निगम के मृत कर्मचारी के आश्रित को नौकरी के आवेदन कराया जा सके।
नगर निगम के अधिकारी नहीं उठाते फोन
सुनील और अन्य प्रमुख लोगों की मानें तो नगर निगम के आयुक्त से लेकर तहसीलदार तक, जोन अधिकारी से लेकर सफाई इंचार्ज तक फोन नहीं उठाते हैं। उनका कहना है कि जब बड़े अधिकारी फोन नहीं उठायेंगे तो छोटे कर्मचारियों से क्या कह सकेंगे। मुख्यालय में तैनात अधिकारियों का फोन नहीं उठने के कारण लोगों को छोटी समस्याओं के लिए भी नगर निगम दौड़ना पड़ता है।