आमतौर पर हमारे घरों में रोजाना गेहूं की रोटियां ही बनाई जाती हैं लेकिन सेहत को लेकर सावधानी बरत रहे लोग अब न केवल मिलेट्स को अपने भोजन में शामिल कर रहे हैं बल्कि गेहूं के बजाय मल्टीग्रेन आटे की रोटियां खाना पसंद कर रहे हैं. यह एक ट्रेंड बन गया है. बाजार में भी कई तरह का मल्टीग्रेन आटा आजकल आसानी से उपलब्ध है, जिसमें बाजरा, रागी, जौ, चना, गेहूं, ज्वार, कोदो, कुट्टू आदि शामिल होता है लेकिन जानने वाली ये है कि क्या हम रोजाना मल्टीग्रेन आटे की रोटियां खा सकते हैं? क्या इतने अनाजों को मिलाकर बना आटा फायदेमंद है या इसका कुछ नुकसान भी हो सकता है?
दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल की असिस्टेंट डाइटीशियन आरती सिंघल कहती हैं कि मल्टीग्रेन आटे की रोटियां खाना कोई नया ट्रेंड नहीं है. गेहूं तो हमारे भोजन का हिस्सा काफी समय बाद बना है, उससे पहले यहां जौ, बाजरा, मक्का, चना आदि की ही रोटियां खाई जाती थीं. उसके बाद गेहूं के आटे में चना और जौ मिलाकर मिस्सी रोटी खाने का चलन भी पुराना रहा है.
दो से ज्यादा अनाज को मिलाकर बना आटा मल्टीग्रेन ही है, फिर चाहे उसमें कोई भी अनाज मिला लिया जाए लेकिन समझने वाली चीज ये है कि हर अनाज का अपना गुण है, अलग-अलग एंजाइम हैं. हर अनाज के अपने फायदे और खाने का समय भी तय है. अगर बिना इसके बारे में जाने मल्टीग्रेन अनाज को रोजाना डाइट में शामिल कर लिया जाए तो यह फायदे के बजाय नुकसान भी पहुंचा सकता है.
रोजाना नहीं खा सकते मल्टीग्रेन आटा?
डा. आरती कहती हैं कि मल्टीग्रेन आटे की रोटियां रोजाना खाना सही नहीं है. कई ऐसे सीड्स या ग्रेन्स हैं, जिन्हें कई बीमारियों में अवॉइड किया जाता है. सभी अनाजों में भरपूर फाइबर होता है. इसके अलावा रागी में कैल्शियम, ज्वार में फॉस्फोरस, गेहूं में कार्बोहाइड्रेट, चना में प्रोटीन और जिंक, बाजरा में आयरन ज्यादा होता है. अगर इन सभी को मिलाकर एक साथ खा लिया जाए तो ये मिक्स होकर डाइजेशन में दिक्कत पहुंचा सकते हैं. इसकी वजह से पेट संबंधी कई परेशानियां होना संभव है. वहीं सभी का पर्याप्त गुण भी नहीं मिल पाता है. इसलिए इनकी मात्रा भी तय होनी चाहिए कि रोजाना कौन सा अनाज कितना खाना है.
थाइरॉइड और डाइबिटीज में बरतें सावधानी
कुछ ऐसे अनाज हैं जो थाइरॉइड के मरीजों को नहीं दिए जा सकते. खासतौर पर छोटे मिलेट्स जैसे बाजरा, कोदो, रागी आदि को थाइरॉइड के मरीजों को खाने के लिए मना किया जाता है. जबकि डायबिटीज के मरीजों के लिए मल्टीग्रेन खाना फायदेमंद होता है लेकिन उसमें गेहूं का आटा शामिल नहीं किया जाता. इसमें मिलेट्स और कुट्टू का आटा खाना फायदेमंद होता है. हालांकि बीमारी के अनुसार किसी न्यूट्रिशनिस्ट से विशेष रूप से सलाह लेना जरूरी है.
ये करना है बेहतर
आरती कहती हैं कि अगर मल्टीग्रेन को लेकर कन्फ्यूजन है और आप सभी अनाजों को डाइट में शामिल भी करना चाहते हैं तो एक आइडिया बेस्ट है कि सभी अनाजों को अलग अलग खाएं. जैसे हफ्ते में दो दिन गेहूं की रोटी, एक दिन मक्का, बाजरा, ज्वार या चने-जौ की रोटी खा सकते हैं. इससे सभी अनाजों के गुण आपको मिलेंगे और वे एक दूसरे के साथ मिलकर डाइजेशन को भी खराब नहीं करेंगे.