सांसद भी बिजली चोरी करेंगे तो आम जनता पर क्या असर होगा ?

अशोक भाटिया

संभल से समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ गुरुवार को यहां दीपा सराय इलाके में उनके आवास पर बिजली चोरी के आरोप में मामला दर्ज किया गया। देर रात उन पर एफआई की कार्रवाई होने के बाद उनके घर की बिजली भी काट दी गई और बिजली विभाग ने 1 करोड़ 91 लाख का लगा जुर्माना ठोक दिया। पुलिस ने बताया कि उनके पिता पर भी बिजली विभाग द्वारा घर के निरीक्षण के दौरान सरकारी अधिकारियों को धमकाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया है। सांसद के खिलाफ बिजली अधिनियम, 2003 की धारा 135 (बिजली की चोरी या बिजली का अनधिकृत उपयोग) के तहत मामला दर्ज किया गया है ।बिजली विभाग के एक अधिकारी की शिकायत पर दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि विद्युत परीक्षण प्रयोगशाला से प्राप्त उपभोक्ता के मीटर की जांच करने पर यह स्पष्ट हो गया है कि मीटर से छेड़छाड़ करके बिजली चोरी की गई है। बिजली विभाग ने इलाके में सुरक्षाबलों की तैनाती के बीच बृहस्पतिवार सुबह बर्क के आवास पर निरीक्षण शुरू किया था।

बर्क उन लोगों में शामिल हैं, जिनके खिलाफ पुलिस ने 24 नवंबर को संबल में हुई हिंसा के सिलसिले में भी मामला दर्ज किया गया है। शहर के कोट गर्वी इलाके में अदालत के आदेश पर मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण का विरोध करने पर सुरक्षाकर्मियों के साथ हुई झड़प में चार स्थानीय लोगों की मौत हो गई थी। बर्क ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर अपनी गिरफ्तारी पर रोक लगाने और अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की भी मांग की है।बर्क पर 24 नवंबर को लोगों को भड़काने का आरोप है। पुलिस ने आरोप लगाया है कि सर्वेक्षण के दौरान हुई हिंसा का कारण उनका भड़काऊ भाषण था। रिट याचिका में सांसद ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा है कि उन्हें इस मामले में फंसाया गया है। उनके वकील के अनुसार, वह घटना स्थल पर मौजूद नहीं थे, फिर भी उन्हें प्राथमिकी में आरोपी बनाया गया है। इस बीच, बिजली विभाग के निरीक्षण के दौरान सरकारी अधिकारियों को धमकाने के आरोप में सांसद के पिता के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई है।

पुलिस अधीक्षक (संभल) कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि सुबह साढ़े सात बजे बिजली विभाग के संतोष त्रिपाठी दीपा सराय में बिजली उपकरणों की जांच कर रहे थे, तभी वह ममलूकुर रहमान बर्क (सांसद के पिता) के घर गए और वहां बिजली उपकरणों की जांच की। इस दौरान ममलूकुर रहमान बर्क ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया, सरकारी काम में बाधा डाली और कहा कि सरकार बदल जाएगी और हम तुम्हें बर्बाद कर देंगे, उन्होंने अपशब्दों का प्रयोग किया, इसका वीडियो बिजली विभाग ने बनाया है।बिश्नोई ने बताया कि ममलूकुर रहमान बर्क, वसीम, सलमान के खिलाफ नखासा थाने में कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। संभल के दीपा सराय इलाके में बिजली विभाग ने समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर रहमान बर्क के आवास की जांच की। इस दौरान इलाके में भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई। अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) शिरीष चंद्र ने संवाददाताओं से कहा कि बिजली विभाग ने दीपा सराय इलाके में सुरक्षित और सुचारू निरीक्षण के लिए पुलिस सहायता मांगी है। फिलहाल निरीक्षण जारी है।

निरीक्षण किए जा रहे स्थान के बारे में विशेष रूप से पूछे जाने पर एएसपी ने कहा कि यह सांसद का आधिकारिक आवास है, जहां बिजली विभाग जांच कर रहा है। बिजली विभाग के उपमंडल अधिकारी संतोष कुमार त्रिपाठी ने कहा कि सांसद के आवास पर दो-दो किलोवाट के दो कनेक्शन और 10 किलोवाट का सोलर पैनल है। उन्होंने कहा कि हालांकि, उपयोग और उपकरणों के आधार पर आवश्यकता आठ से 10 किलोवाट के बीच होनी चाहिए।

सांसद का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील कासिम जमाल ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि निवास में चार किलोवाट के दो कनेक्शन, 10 किलोवाट का सोलर पैनल और पांच किलोवाट का जनरेटर है। ‘सेटअप’ में दो ‘एयर कंडीशनर’, 6-7 ‘सीलिंग फैन (छत वाले पंखे)’, एक रेफ्रिजरेटर और लाइट शामिल हैं। बिल बहुत कम है क्योंकि यहां परिवार के केवल चार सदस्य रहते हैं। सांसद, उनकी पत्नी, उनकी मां और उनके पिता। विद्युत विभाग का निरीक्षण जारी है क्योंकि अधिकारी अनुमानित खपत के मुकाबले मौजूदा कनेक्शन का मूल्यांकन कर रहे हैं। इलाके में पुलिस, पीएसी और त्वरित कार्रवाई बल के जवानों की तैनाती पर अधिवक्ता ने कहा कि यह “परिवार की छवि को धूमिल करने का प्रयास” है।

लम्बे समय से चल रही बिजली चोरी पर इतना सब होने के बाद सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ बिजली चोरी का मामला दर्ज किया जा रहा है जबकि उनकों हर सुविधा मुफ्त मिलती है । सांसद को सैलरी के साथ अलग-अलग तरह के भत्ते मिलते हैं। अगर सिर्फ भत्तों को जोड़ा जाए तो वो आंकड़ा सैलरी से कहीं ज्यादा होता है। एक सांसद को हर माह 1 लाख रुपए बतौर वेतन मिलते हैं। यह मूल वेतन है।इन्हें हर माह 2 हजार रुपए दैनिक भत्ता, 70 हजार रुपए निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, 60 हजार रुपए कार्यालय व्यय भत्ता मिलता है। इसके अलावा आवास, निर्वाचन क्षेत्र आवास और इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए तीनों टेलीफोनों पर सालाना 1,50,000 फ्री कॉल की जा सकती हैं। किराया मुक्त सरकारी आवास मिलता है। जिसके लिए हर साल 50,000 यूनिट बिजली मिलती है।इस तरह सिर्फ भत्तों को ही जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा वेतन से कहीं आगे निकल जाता है।सांसद को पास भी दिया जाता है, जो उन्हें मुफ्त रेल यात्रा करने का अधिकार देता है। वह किसी भी ट्रेन की फर्स्ट क्लास एसी या एग्जिक्यूटिव क्लास में यात्रा कर सकते हैं। सरकारी काम के सिलसिले में विदेश यात्रा करने पर भी सांसद को सरकारी भत्ता देने का नियम है। हर सांसद को इलाज की सुविधा भी मिलती है। सांसद किसी भी सरकारी अस्पताल या रेफर कराने के बाद किसी प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराते हैं तो उसका खर्च सरकार उठाती है। इतना ही नहीं सांसद को सरकारी खर्च पर सिक्योरिटी गार्ड मिलते हैं।

इन सब सुविधाओं के होते हुए भी एक सांसद द्वारा बिजली चोरी करना न केवल आश्चर्जनक होने के साथ दुर्भाग्यूर्ण भी है क्युकि वित्तीय प्रभाव के अलावा, बिजली चोरी सार्वजनिक सुरक्षा के लिए भी एक गंभीर खतरा है। अवैध कनेक्शन और बिजली मीटरों के साथ छेड़छाड़ से आग लग सकती है, बिजली का झटका लग सकता है और अन्य दुर्घटनाएँ हो सकती हैं जो लोगों के जीवन और संपत्ति को खतरे में डाल सकती हैं। इसके अलावा, बिजली चोरी से अक्सर ब्लैकआउट और बिजली की कटौती होती है, जिससे अस्पताल, स्कूल और सार्वजनिक परिवहन जैसी महत्वपूर्ण सेवाएँ बाधित हो सकती हैं।

बिजली चोरी का आम जनता पर भी असर काफी ज़्यादा है। जो उपभोक्ता विश्वसनीय और किफ़ायती बिजली तक पहुँच पाने में असमर्थ हैं, वे केरोसिन लैंप या लकड़ी के चूल्हे जैसे ऊर्जा के ख़तरनाक और प्रदूषणकारी स्रोतों का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं, ख़ास तौर पर महिलाओं और बच्चों के लिए जो घर के अंदर वायु प्रदूषण से सबसे ज़्यादा प्रभावित होते हैं।

बर्क के इस कारनामे से क्या आपको पता है उत्तर प्रदेश का संभल देश का नंबर वन बिजली चोर जिला बन गया है।जनता द्वारा जहां बिजली चोरी और बिजली के बकाया भुगतान को लेकर हैरान कर देने वाली जानकारी सामने आ रही है। बिजली विभाग के मुताबिक संभल शहर के बिजली उपभोक्ताओं पर बिजली का 123 करोड़ रुपये का भुगतान बकाया है। और हैरान कर देने वाली बात ये है कि संभल शहर में बिजली चोर हर महीने 11 करोड़ रुपये से ज्यादा की बिजली चोरी कर रहे हैं। इस लिहाज से संभल देश का सबसे बड़ा बिजली चोर जिला है। लेकिन आखिर संभल ने ये उपलब्धि कैसे हासिल की। संभल के बिजली चोरों ने कौन-कौन से जुगाड़ लगाए हुए हैं और कैसे संभल में बिजली चोरी का संगठित उद्योग चल रहा है। यह भी जानना जरुरी है ।

सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें गवाही दे रही हैं कि उत्तर प्रदेश का जिला संभल को देश के नंबर वन बिजली चोर जिला का खिताब क्यों मिला है। समाजवादी पार्टी के बड़े नेता के दफ्तर में घुसते ही बिजली चोरी के साक्षात सबूत दिख गए। छत पर तो बिजली चोरी का पूरा नेटवर्क ही बिछा हुआ था। जब नेता ही बिजली चोरी कर रहे हों तो आम जनता को क्या डर। पूरे संभल में बिजली चोरी का खुल्ला खेल चल रहा है। संभल में बिजली विभाग की टीमें गली-गली जाकर बिजली चोरों की पहचान कर रही हैं। बिजली विभाग के लाइनमैन खंभों पर चढ़कर बिजली चोरों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।

संभल में बिजली चोरी अब इतना कॉमन हो चुका है कि बिजली विभाग के दफ्तर में कटिया तारों का जमघट लग चुका है। संभल के बिजली दफ्तर में कबाड़ बनकर पड़े ये तार बिजली चोरी के टूल बने हुए थे। संभल अगर देश का नंबर वन बिजली चोर जिला बना है तो ये सिर्फ चंद दिनों में तो हुआ नहीं होगा। हर महीने 11 करोड़ रुपये की बिजली चोरी हो रही हो और बिजली विभाग को अब जाकर खबर लगी हो क्या ये संभव है? एक शख्स ने कहा, ‘मेरा मानना तो ये है सर, हर कर्मचारी को पता है बिजली चोरी हो रही है या नहीं हो रही है। मेरा मानना ये है कि बिजली चोरी हो रही है। हर विभाग को पता है। यहां के विभाग वाले ही चोरी करवाएंगे।आम आदमी चोरी नहीं कर सकता। जाहिर है लोग खुद तो बोलेंगे नहीं कि वो बिजली चोर हैं। लेकिन लोग ये आरोप लगा रहे हैं कि बिजली विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से ही संभल में बिजली चोरी अब उद्योग बन चुका है। लेकिन अब जाकर संभल का बिजली विभाग बिजली चोरों की बत्ती गुल करने में जुट चुका है।

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