मोकामा फायरिंग के बाद अनंत सिंह पर जहां कानूनी शिकंजा लगातार कसता जा रहा है. वहीं सियासी तौर पर भी अनंत सिंह अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं. लोकसभा चुनाव के बाद अनंत सिंह की जनता दल यूनाइटेड से नजदीकी बढ़ती जा रही थी. कहा जा रहा था कि जेडीयू के टिकट पर ही छोटे सरकार मोकामा से चुनाव लड़ेंगे, लेकिन अब बदले समीकरण में छोटे सरकार की राह आसान नहीं है.
फायरिंग की घटना और पुलिस पर सवाल उठाने की वजह से जनता दल यूनाइटेड ने अनंत सिंह से दूरी बना ली है. मुंगेर के सांसद और केंद्र में मंत्री ललन सिंह ने कहा कि दहशत फैलाने वालों को पुलिस किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगी. ललन ने 2020 में अनंत को आरजेडी से टिकट मिलने पर भी सवाल उठाया.
अनंत सिंह मोकामा में छोटे सरकार के नाम से मशहूर हैं. कहा जा रहा है कि क्या इस बार मोकामा को नया सरकार मिलेगा? यह इसलिए भी क्योंकि सोनू-मोनू गैंग ने दावा कर दिया है कि अब मोकामा में अनंत सिंह का दौर खत्म हो चुका है.
अनंत के लिए जेडीयू का दरवाजा बंद
जनता दल यूनाइटेड जिस तरीके से अनंत सिंह के खिलाफ मुखर है, उससे कहा जा रहा है कि अनंत सिंह के लिए पार्टी का दरवाजा बंद है. लोकसभा चुनाव में अनंत सिंह ने खुलकर जेडीयू उम्मीदवार ललन सिंह का सपोर्ट किया था, जिसके कारण आरजेडी से उनके रिश्ते खराब हो गए.
2015 का चुनाव छोड़ दें तो अभी तक अनंत सिंह किसी न किसी पार्टी से ही जीत हासिल करते रहे है. 2005 और 2010 में अनंत जेडीयू और 2020 में आरजेडी के सिंबल पर चुनाव जीते. 2022 में अनंत की सदस्यता गई तो उनकी पत्नी ने आरजेडी सिंबल पर जीत हासिल की.
हालांकि, अनंत सिंह यह बात लगातार कहते रहे हैं कि उन्हें विधायक बनने के लिए किसी भी पार्टी की जरूरत नहीं है, लेकिन जिस तरीके से मोकामा का सियासी समीकरण लगातार बदलता जा रहा है, उससे बिना पार्टी छोटे सरकार की राह आसान हो, इसकी गुंजाइश कम है.
सूरजभान एक्टिव, सोनू-मोनू भी मुखर
गैंगवार के बाद जहां अनंत सिंह के धुर-विरोधी सूरजभान एक्टिव हो गए हैं. वहीं दूसरी तरफ सोनू-मोनू भी मुखर है. सोनू ने खुले तौर पर कहा है कि अब मोकामा में अनंत सिंह छोटे सरकार नहीं रह गए हैं.
सूरजभान भी बैकडोर से सोनू-मोनू के समर्थन में हैं. पशुपति पारस की पार्टी में शामिल सूरजभान को आरजेडी गठबंधन से लड़ने की चर्चा है. हाल ही में लालू ने पारस के साथ गठबंधन करने की बात कही थी.
सोनू-मोनू भी मोकामा के कई गांव में अपना प्रभाव रखता है. ऐसे में सूरजभान के साथ अगर दोनों का मेल होता है, तो अनंत का खेल भी हो सकता है. इतना ही नहीं, सांसदी चुनाव लड़ चुके अशोक सम्राट भी अनंत से बदला लेने के मूड में हैं.
अशोक सम्राट की पत्नी के खिलाफ लोकसभा चुनाव 2024 में अनंत ने सीधा मोर्चा खोल रखा था.
बेटे के राजनीति में आने की चर्चा
अनंत सिंह के दो जुड़वा बेटे हैं- अभिषेक और अंकित. दोनों राजनीति शास्त्र से पढ़ाई भी कर चुके हैं. अनंत जेल में थे, तब मां के साथ इलाके में घूमते थे. कहा जा रहा है कि अनंत अपने किसी एक बेटे को सियासत में उतार सकते हैं.
अनंत सिंह भी इसी तरह राजनीति में आए थे. उस वक्त उनका भाई दिलीप सिंह सरकारी शिकंजे में थे. जब अनंत के सियासत में आने की चर्चा हुई तो दिलीप ने मोकामा की सीट भाई के लिए छोड़ दी. अनंत इसके बाद इलाके में छोटे सरकार के नाम से मशहूर हो गए.
2022 में अनंत जेल में थे, तब अपनी पत्नी को उतार दिया. उनकी पत्नी जीत तो गई, लेकिन सियासत में सक्रिय नहीं रही. ऐसे में अब चर्चा उनके बेटे की राजनीति में आने की है.
शुक्रवार को अनंत सिंह जब जेल गए, तब उनके दोनों बेटे बेऊर पर मौजूद थे.
मोकामा में घट रहा अनंत का जनाधार
मोकामा सीट पर अनंत सिंह ने 2020 के चुनाव में 35 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. अनंत ने इस चुनाव में जेडीयू उम्मीदवार को हराया था. 2022 के उपचुनाव में अनंत की पत्नी ने जीत तो दर्ज की, लेकिन मार्जिन 16 हजार पर पहुंच गया.
2024 के लोकसभा चुनाव में अनंत के समर्थन के बावजूद जेडीयू उम्मीदवार ललन सिंह मोकामा में पिछड़ गए. आरजेडी उम्मीदवार ने यहां 1100 वोटों की बढ़त हासिल की.