इलेक्टोरल बांन्ड के सवाल को लेकर कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं का जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन

इलेक्टोरल बांन्ड के साथ पीएम केयर फंड भी हो सार्वजनिक ; वामदल

सोनभद्र, मंगलवार को कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने इलेक्टोरल बांन्ड के सवाल को लेकर मोदी सरकार और एसबीआई के गठजोड़ के खिलाफ जिलाधिकारी कार्यालय पर प्रदर्शन किया । जहां भाकपा, माकपा और माले के नेताओं ने कहा कि भारत सरकार के दबाव और चुनाव से पहले सच्चाई को दबाने की प्रयास और असंवैधानिक चुनावी बांड के विवरण देने में एसबीआई की देरी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की मांग करते हैं और इसके साथ ही पीएम केयर फंड को भी सार्वजनिक किया जाय।

प्रदर्शन के दौरान कम्युनिस्ट नेताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने वर्ष 2017 में वित्त विधेयक के माध्यम से चुनावी बांड योजना को लाया जिसे वर्ष 2018 में लागू किया गया यह चुनावी बांड भारतीय स्टेट बैंक आफ इंडिया के जरिए राजनीतिक दलों को मिलने वाला फंडिंग (धन) है जिसे गुप्त रखा जाता है जिसकी जानकारी आम जनता या मतदाताओं को नहीं दिया जाता। चुनावी बांड के जरिए कौन पैसा जमा कर रहा है कितना पैसा जमा कर रहा है और किस पार्टी के लिए जमा कर रहा है यहां तक की जन सूचना का अधिकार अधिनियम के माध्यम से भी सूचना मांगने वालों को यह कहकर जानकारी देने से इनकार कर दिया जाता है कि यह सूचना आम नागरिकों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। जबकि चुनावी बांड के जरिए मोदी सरकार ने अब तक 5851 करोड़ रूपया को इकट्ठा कर बड़ी धड़ल्ले के साथ चुनाव में इस्तेमाल कर रही है। लेकिन चुनावी बांड के चंदे का विवरण एसबीआई और सरकार नहीं दे रही है और ना ही चुनाव आयोग द्वारा सरकार से विवरण मांगकर सार्वजनिक किया जा रहा है। जबकि भारतीय संविधान के अनुच्छेद – 19, के अंतर्गत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की अधिकार का हिस्सा है फिर भी मोदी सरकार के दबाव में एसबीआई जनता के अधिकार का हनन कर संविधान की धज्जियां उड़ा रही है निश्चित है कि इस चुनावी बांड से सत्ता में मौजूद सरकार इसका लाभ उठा रही है, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव बाधित कर रही है। काले धन का

खतरा बढ़ गया है, कारपोरेट संस्थाओं के पारदर्शिता और दान सीमा में कई प्रकार की कमियां पैदा हो गई है, सेल कंपनियों के जरिए राजनीतिक फंडिंग में काले धन का योगदान बढ़ गया है, इस प्रकार से चुनावी बांड की गोपनीयता मतदाता के अधिकार का उल्लंघन है इसके खिलाफ कम्युनिस्ट पार्टी ने और अन्य एनजीओ द्वारा आम नागरिक और मतदाताओं के अधिकार व उसके अभिव्यक्ति की सुरक्षा चुनावी बांड के पारदर्शिता को लेकर उच्चतम न्यायालय में चुनौती दिया गया था जिसे न्यायालय के पांच जजों की पीठ ने स्वीकार करते हुए दिनांक 15 फरवरी 2024 को सरकार द्वारा लाई गई चुनावी बांड पर रोक लगा दिया और भारतीय स्टेट बैंक को न्यायालय ने निर्देश दिया की चुनावी बांड के सभी विवरण को तीन सप्ताह के अंदर चुनाव आयोग को दें जिसकी समय सीमा 6 मार्च 2024 को रही। परंतु भारतीय स्टेट बैंक आफ इंडिया ने समय के अंदर विवरण देने में असफल रहा। निश्चित है कि 2024 के लोकसभा के चुनाव से पहले चुनावी बांड के फंडिंग का असलियत ना खुले मोदी सरकार बच्ची रहे साजिसन एस बी आई ने 6 मार्च की समय सीमा की पूर्व संध्या पर अदालत का दरवाजा खटखटाया और अदालत से 30 जून तक विवरण जमा करने के लिए 116 दिन के समय की मांग किया है। जिससे स्पष्ट है कि बैंक सुनिश्चित करना चाहता है कि चुनाव खत्म होने तक चुनावी बांड का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जाए। इसलिए वामपंथी दलों ने राष्ट्रीय आवाहन किया है कि सुप्रीम कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय स्टेट बैंक आफ इंडिया चुनावी बांड के सभी विवरण को तुरंत प्रस्तुत करें, जिसको लेकर जनपद सोनभद्र के वामपंथी दल के कार्यकर्ता प्रदर्शन के माध्यम से मांग करते हुए महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम जिला अधिकारी जनपद सोनभद्र उत्तर प्रदेश को दी इस आशय के साथ मांग पत्र सौंपा जा रहा है की सरकार और बैंक के किसी भी प्रकार की साजिश से न्यायालय बचे, जो निम्नवत है-
1 – भारत के अंदर सभी बैंकों का संपूर्ण कामकाज डिजिटल है तो उसे चुनावी बांड का विवरण देने के लिए इतना लंबे समय की जरूर क्यों पड़ी है इसका सीधा मतलब है की स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया मोदी सरकार के दबाव में है और सरकार चुनाव के दौरान अपने असली चेहरे को जनता के सामने बेनकाब नहीं होने देना चाहती है इसलिए 116 दिनों का समय का मांग कर आदेश को लटकना चाहते हैं जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता ।

2 – भारतीय स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने जानबूझकर उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करते हुए न्यायालय द्वारा निर्धारित समय का उल्लंघन किया है इसलिए बैंक के ऊपर अवमानना की केस दर्ज हो ।
3 – इलेक्टोरल बांड के जरिए बीजेपी व अन्य दलों को प्राप्त धनराशि वाले खाते को जप्त किया जाए।
इस अवसर प्रमुख रुप से भाकपा के जिला सचिव कामरेड आर के शर्मा, माकपा के जिला मंत्री कामरेड नंद लाल आर्या, माले के जिला सचिव कामरेड सुरेश कोल, शंकर कोल, एडवोकेट अशोक कुमार कन्नौजिया, अमर नाथ सूर्य, प्रेम चंद गुप्ता, पुरषोत्तम, प्रेम नाथ, राजबली, अमृत लाल, पकड़ु सिंह, बाबूलाल भारती, नोहर, राजदेव गोंड, दीनानाथ भारती, संतरा देवी, बरती देवी व लालती देवी आदि कम्युनिस्ट नेता मौजूद रहे।

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