कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की मौजूदगी में कर्नाटक के बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई. इसमें कांग्रेस सदस्यों ने पार्टी और देश से जुड़े अहम मुद्दों पर चर्चा की. बैठक में पार्टी अध्यक्ष खरगे ने कहा, आज कांग्रेस के इतिहास में बहुत सुनहरा दिन है. गांधी जी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के 100वें वर्ष पर बेलगावीमें महात्मा गांधी नगर में ऐतिहासिक नव सत्याग्रह बैठक हो रही है. पीएम मोदी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि मोदी जब पहली बार संसद में चुनकर आए थे तो उन्होंने पुरानी संसद की सीढ़ियों पर माथा टेका था, जिसके बाद नई संसद बन गई. हमें डर इस बात का है कि इस बार नए संसद भवन में शपथ लेने के पहले इन्होंने संविधान के सामने माथा टेका है. हमें मालूम है, ये उनका पुराना प्रोजेक्ट है.
खरगे ने कहा, 100 साल पहले यहीं 26 दिसंबर 1924 को 3 बजे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी. इससे पहले मौलाना मुहम्मद अली कांग्रेस अध्यक्ष थे. सेवादल के संस्थापक डॉ. एन एस हार्दिकर को मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. यहीं से कांग्रेस के इतिहास में रोज सुबह राष्ट्रीय ध्वज समारोह पूर्वक फहराने और शाम को उतारने का सिलसिला शुरू हुआ था. आइए जानते हैं मल्लिकार्जुन खरगे ने किस मुद्दे पर और क्या कहा.
खरगे ने कहा, गांधी जी केवल एक बार एक साल के लिए ही कांग्रेस अध्यक्ष बने थे. मगर, उन्होंने इसके बाद इतनी लंबी लकीर खींची कि उसकी बराबरी कर पाना किसी भी राजनेता के लिए संभव नहीं है. उन्होंने कांग्रेस के संविधान को नया रूप दिया. गांव, गरीब, किसानों और मजदूरों के दिलों में कांग्रेस के लिए मजबूत आधार बनाया. कांग्रेस संगठन को रचनात्मक कामों से जोड़ा. छुआछूत और भेदभाव के खिलाफ मुहिम को कांग्रेस के मुख्य एजेंडे में शामिल किया.
आप सभी को गर्व होना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी के पास राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत है. हम लोग उनके उत्तराधिकारी हैं. उन दिनों कोहाट और गुलबर्गा जैसे शहरों में हो रहे सांप्रदायिक दंगों से आहत होकर उन्होंने चिंता व्यक्त की थी.बहुत अफसोस की बात है कि 100 साल बाद भी आज का सत्ताधारी दल और उनके नेता खुलेआम भड़काऊ नारे देते हैं. उनके बड़े नेता ही समाज में सद्भाव बिगाड़ रहे हैं, समुदायों के बीच नफ़रत फैला रहे हैं.
उन्होंने कहा, हमने संसद सत्र में संविधान के ऊपर हो रहे चर्चा के दौरान बाबा साहेब आंबेडकर के बारे में गृह मंत्री का घोर अपमानजनक बयान सुना. हमने आपत्ति दर्ज की. अब तो पूरे देश में प्रदर्शन हो रहा है. मगर, प्रधानमंत्री और सरकार गलती मानने को तैयार नहीं है. अमित शाह से माफी और इस्तीफा लेना तो दूर, उल्टा आपत्तिजनक बयान का समर्थन किया.
गृह मंत्री के बचाव में प्रधानमंत्री ने बयान जारी किया. राहुल गांधी पर झूठा केस दर्ज कर दिया. ये है आज के हुक्मरान का संविधान और उसके निर्माता के प्रति नज़रिया. मगर, हम किसी से डरनेवाले नहीं हैं ना ही झुकने वाले हैं. हम नेहरू-गांधी की विचारधारा और बाबा साहब के सम्मान के लिए आखिरी दम तक लड़ेंगे.
बीजेपी के लोग हमारे ऊपर झूठा आरोप लगाते हैं कि हमने बाबा साहब का सम्मान नहीं किया. सब को मालूम है कि संसद में जो बाबा साहेब की मूर्ति 1967 में कांग्रेस ने लगवाई. मुझ जैसे हज़ारों कार्यकर्ताओं की मांग को मानते हुए इंदिरा जी के कार्यकाल में राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने संसद में मुख्य स्थान पर पहली बड़ी मूर्ति बाबा साहेब की ही स्थापित कराई. इसलिए मैं कहता हूं कि बीजेपी-आरएसएस वाले झूठ बोलना बंद कर दें.
खरगे ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी जब पहली बार संसद में चुनकर आए थे तो उन्होंने पुरानी संसद की सीढ़ियों पर माथा टेका था, जिसके बाद नए संसद का निर्माण हो गया. हमें डर इस बात का है कि इस बार नए संसद भवन में शपथ लेने के पहले इन्होंने संविधान के सामने माथा टेका है. हमें मालूम है, ये उनका पुराना प्रोजेक्ट है. उन्होंने संविधान, तिरंगा, गांधी, नेहरू, आंबेडकर सभी की आलोचना की है. सभी का विरोध किया है. सभी के पुतले फूंके हैं.
चिंता की बात यह है कि चुनावी प्रक्रिया में लोगों की आस्था धीरे-धीरे कम होती जा रही है क्योंकि आयोग के निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं. कुछ रोज पहले इन्होंने चुनाव नियमों में बदलाव कर लिया ताकि कोर्ट ने जो जानकारी साझा करने का आदेश दिया था उसे रोका जा सके.आख़िर ऐसा क्या है जिसे छुपाने का प्रयास किया जा रहा है?
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, कभी वोटरों का नाम सूची से काटा जाता है. कभी उनको मत डालने से रोका जाता है. कभी वोटर सूची संख्या में अचानक इजाफा हो जाता है. ये कुछ सवाल उठते रहते हैं जिनका जवाब नहीं संतोषजनक मिलता.इन सबके बीच सरकार की वादाखिलाफी के कारण देश के किसान एमएसपी गांरटी और दूसरी मांगो को लेकर आंदोलित हैं. आमरण अनशन तक चल रहा है. पर अन्नदाता का दर्द समझने वाला कोई नहीं है.
खरगे ने कहा, हमें अपनी संगठनात्मक शक्ति को बढ़ाना होगा. हमारे समर्थक जानना चाहते हैं कि हम अपने आप को शक्तिशाली बनाने के लिए क्या करने वाले हैं? वैसे लोग जो हमारे समर्थक नहीं है लेकिन केंद्र सरकार से अपनी उम्मीद खो बैठे हैं वो भी जानना चाहते हैं कि हम कैसे अपने आप को मजबूत बनाएंगे. इसलिए मैं 29 नवंबर की बैठक में संगठन को मजबूत करने की बात की याद दिलाता हूं. हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजों से निराशा का जो वातावरण बना था, हमने उससे सक्रियता से जूझने का फैसला किया था.
उन्होंने कहा, हमारे पास विचारों की ताकत है. गांधी-नेहरू की विरासत है और महान नायकों की धरोहर है. हम बेलगावीसे नये संदेश और नये संकल्प के साथ लौटेंगे. इसलिए हमने इस बैठक का नाम नव सत्याग्रह रखा. क्योंकि आज संवैधानिक पद पर आसीन महामहिम भी महात्मा गांधी के सत्याग्रह पर सवाल उठा रहे हैं. जिन्होंने संविधान की शपथ खाई है वो ही झूठ फैला रहे हैं.