नई दिल्ली। भगवान सूर्य को धरती का एक मात्र साक्षात देवता माना गया है। उनकी पूजा शास्त्रों में बेहद शुभ और कल्याणकारी मानी गई है। रविवार के दिन ग्रहों के राजा सूर्य देव की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक उनकी उपासना सच्ची श्रद्धा के साथ करते हैं उन्हें जीवन में कभी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता है।
ऐसे में अगर आप भगवान सूर्य को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो रविवार के दिन उनकी विधिपूर्वक पूजा करें, साथ ही यहां दी गई स्तुति का पाठ करें।
इस विधि से भगवान सूर्य को दें अर्ध्य
- सुबह उठकर जातक पवित्र स्नान करें।
- इसके बाद एक तांबे के लोटे में कुछ फूल, अक्षत, रोली डाल लें।
- अर्घ्य देते समय जूते या चप्पल न पहनें।
- पूर्व दिशा की ओर अपना मुंह करके अर्घ्य दें।
- सूर्य देव को जल चढ़ाने का सबसे अच्छा समय सूर्योदय माना गया है।
- जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें।
- अंत में भाव के साथ उनकी प्रार्थना करें।
सूर्य देव अर्घ्य मंत्र
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
- ॐ सूर्याय नम:
।। श्री सूर्य स्तुति ।।
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।
त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।
सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥
जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।