मर्यादा पुरुषोत्तम को तो हम मर्यादा पुरुषोत्तम ही मानते हैं: नृपेंद्र मिश्रा

नई दिल्ली। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक आ गया है। अयोध्या में स्थित राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी। उससे पहले मंगलवार को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इस बीच, अयोध्या राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा का बड़ा सामने आया। उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की संपूर्ण प्रक्रिया के बारे बुधवार को जानकारी दी। साथ ही उन्होंने कहा कि यह देश हर किसी का है।

समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबियों में शामिल नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि 22 तारीख को लगभग साढ़े बारह बजे ‘मुहूर्त’ है और उससे पहले ‘पूजा विधि’ शुरू हो गई है और शायद कल सुबह रामलला ‘गर्भगृह’ में आएंगे… आने वाले दो-तीन दिनों में विभिन्न नदियों के जल से उनका अभिषेक होगा… अंत में 22 तारीख को साढ़े बारह बजे जब शुभ मुहूर्त होगा तब रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। प्राण प्रतिष्ठा का मतलब है कि मूर्ति में शक्ति हो…

क्या अलग-अलग भक्ति की व्यवस्था कर रहे राम?

कांग्रेस ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया है। साथ ही उन्होंने इस कार्यक्रम को राजनीतिक इवेंट करार दिया था। इस पर नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि मैं राजनीतिक प्रश्नों का उत्तर तो नहीं देता हूं, लेकिन मुझे एक चीज समझ में नहीं आती है कि भगवान राम राजनीतिक बन गए या उनके अनुयायी, जो उनमें भक्ति रखते हैं वो उन्हें राजनीतिक बना रहे हैं? प्रश्न यह है कि क्या भगवान राम राजनीतिक बने हैं? उन्होंने आगे पूछा,

क्या भगवान लोगों को अलग-अलग दृष्टि से देख रहे हैं? क्या वो प्रत्येक के लिए भक्ति की अलग-अलग व्यवस्था कर रहे हैं? क्या वो अलग-अलग लोगों को आशीर्वाद दे रहे हैं? मर्यादा पुरुषोत्तम को तो हम मर्यादा पुरुषोत्तम मानते हैं और जब वो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं तो उनसे राजनीति कैसे जुड़ सकती है। ये तो हमारा नजरिया है कि हम उसे राजनीतिक समझें, लेकिन भगवान की दृष्टि सभी के लिए समान है, जो मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, वो तो यथावत ही रहेंगे।

ऐतिहासिक घटना

राम मंदिर के ‘सुप्रीम’ फैसले को याद करते हुए नृपेंद्र मिश्रा ने इसे ऐतिहासिक घटना बताया। उन्होंने कहा कि महज भारत ही नहीं, बल्कि हर जगह आस्था रखने वाले लोग महसूस करते हैं कि उनके अधिकारों को मान्यता दी गई है, उनकी आस्था का सम्मान किया गया है।

हर किसी का है देश

इस दौरान उन्होंने 2019 में जब फैसला आया था उस वक्त प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए वक्तव्य का उल्लेख किया। उन्होंने कहा,

प्रधानमंत्री ने कहा था कि जीत या हार की कोई भावना नहीं होनी चाहिए। हम सभी को न्यायिक फैसले को स्वीकार करना चाहिए। इसलिए मैं कहूंगा कि हर कोई सतर्क है जब आप इस दिन को मनाते हैं तो इस दिन को किसी अन्य धर्म के व्यक्ति को यह दिखाने के लिए न मनाएं कि वह इस देश के लिए कम महत्वपूर्ण है। यह देश हर किसी का है।

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