नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 10 वर्ष पूरे होने पर कहा कि श्रोता ही इस कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता हैं। उन्होंने इस दौरान सैंकड़ों पत्रों और सुझावों के लिए लोगों का आभार प्रकट किया।
‘मन की बात’ के 113वें एपीसोड में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी यात्रा को 10 साल पूरे हो रहे हैं। कार्यक्रम 3 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन हुआ था। इस साल 3 अक्टूबर को जब ‘मन की बात’ के 10 वर्ष पूरे होंगे तब नवरात्रि का पहला दिन होगा।
उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में उठाए गए मुद्दों पर मीडिया ने भी मुहिम चलाई है। वे रेडियो, दूरदर्शन, यूट्यूब और प्रिंट मीडिया को इसके लिए धन्यवाद देते हैं। कार्यक्रम के दौरान उन्हें पता चला कि देश में कितने प्रतिभावान लोग हैं जिन्होंने निःस्वार्थ सेवाभाव के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
स्वच्छता अभियान के 10 वर्ष पूरे
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत मिशन के 10 साल पूरे हो रहे हैं। यह अवसर उन लोगों के अभिनंदन का है जिन्होंने इस भारतीय इतिहास के बड़े जन आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई है। यह महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि है, जो जीवन पर्यंत इस उद्देश्य को समर्पित रहे। साथ ही उन्होंने कहा कि स्वच्छता तब तक काम करने का विषय है जब तक यह हमारा स्वभाव नहीं बन जाता।
देशभर में जारी स्वच्छता अभियान के दौरान हुए सराहनीय प्रयासों की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक सीमावर्ती गांव झाला के युवाओं के प्रयासों का अपने कार्यक्रम में उदाहरण दिया। साथ ही उन्होंने पुडुचेरी के समुद्र तट पर चलाई गई सफाई की जबरदस्त मुहिम का भी जिक्र किया। उन्होंने केरल के कोझिकोड में 74 वर्षीय सुब्रमण्यम का उदाहरण दिया जिन्होंने 23 हजार से अधिक कुर्सियों की मरम्मत कर रिड्यूस, रीयूज और रीसायकल के चैंपियन का खिताब हासिल किया है।
मेक इन इंडिया के 10 साल पूरे
‘मेक इन इंडिया’ के 10 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इस अभियान की सफलता में बड़े उद्योगों से लेकर छोटे दुकानदारों का योगदान है। अब हमें दो विषयों पर ध्यान केंद्रित करना है- एक, वैश्विक स्तर की गुणवत्ता और दूसरी, स्थानीय उत्पादों को तरजीह अर्थात ‘वोकल फॉर लोकल।’
उन्होंने लोगों से एक बार फिर इस अभियान से जुड़कर ऐसे उत्पाद खरीदने की अपील की जिसे बनाने में किसी भारतीय कारगर का पसीना लगा हो। उन्हें खुशी है कि इससे गरीब मध्यम वर्ग जुड़ा है। आज देश उत्पादन का पावर हाउस बना है। ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस और हर क्षेत्र में भारत का निर्यात बढ़ रहा है। देश में एफडीआई का लगातार बढ़ना भी ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता की गाथा गा रहा है।
जल संरक्षण के प्रयास
प्रधानमंत्री ने अपने पिछले कार्यक्रमों की तरह इस बार भी देशभर में जल संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। उन्होंने उदाहरण स्वरूप उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में किए जा रहे कुछ प्रयासों की चर्चा की। प्रधानमंत्री ने बताया कि झांसी में कुछ महिलाओं के प्रयास से घुरारी नदी को नया जीवन मिला है। इन महिलाओं ने बोरियों में बालू भरकर चेक टैम तैयार किया, बारिश के पानी को बर्बाद होने से रोका और नदी को फिर से जल से लबालब कर दिया। उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के डिंण्डौरी के रयपुरा गांव में एक बड़े तालाब के निर्माण से भूजल के स्तर में काफी इजाफा हुआ है। ‘शारदा आजीविका स्वयं सहायता समूह’ से जुड़ी महिलाओं को इससे मछली पालन का नया व्यवसाय मिला है। मध्य प्रदेश के छतरपुर में भी महिलाओं के सराहनीय प्रयासों से खोंप गांव का बड़ा तालाब पुनर्जीवित हुआ है। इसमें ‘हरि बगिया स्वयं सहायता समूह’ की महिलाओं ने तलाब से बड़ी मात्रा में गाद निकली है।
अमेरिकी यात्रा का उल्लेख
प्रधानमंत्री ने अपनी अमेरिकी यात्रा का भी उल्लेख किया और बताया की इस देश ने भारत से चोरी करके या तस्करी करके ले जायी गई 300 पुरातन कलाकृतियों को भारत लौटने का काम किया है।
संथाली भाषा का डिजिटिलिकरण
प्रधानमंत्री ने एक बार फिर देश की भाषाई विविधता को देश की धरोहर बताया और इस संदर्भ में संथाली भाषा को डिजिटल बनाये जाने के प्रयास की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संथाली कई राज्यों में संथाल जनजाति समुदाय के लोग बोलते हैं। इसका बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में भी उपयोग होता है। ओडिशा के मयूरभंज में रहने वाले रामजीत टुडू ने एक अभियान चलाया जिससे डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार हुआ जहां संथाली भाषा से जुड़े साहित्य को पढ़ा जा सकता है और संथाली भाषा में लिखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि अपने कुछ साथियों के मदद से उन्होंने ‘ओल चुकी’ में टाइप करने की तकनीक विकसित कर ली। आज उनके प्रयासों से संथाली भाषा में लिखे लेख लाखों लोगों तक पहुंच रहे हैं।
‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान में जनता की बढ़-चढ़कर भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की। साथ ही उदाहरण देते हुए बताया कि तेलंगाना केएन राजशेखर ने 4 साल पहले प्रतिदिन एक पेड़ लगाने की मुहिम शुरू की थी और उन्होंने हादसे का शिकार होने के बाद भी इस मुहिम को जारी रखा और अब तक वह 1500 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं।