महावीरी झंडा जुलूस में गूंजते रहे जयकारे

जनपद और गैर जनपदों के पहलवानों ने खूब आजमाए दांवपेच, उमड़े श्रद्धालु

बलिया। नगर से सटे मिड्ढा गांव में ऐतिहासिक महावीरी झंडा जुलूस रविवार को निकाला गया। गाजे बाजे संग जयकारे के बीच निकले इस जुलूस में श्रद्धालुओं का जमावड़ा रहा। जुलूस में शामिल विभिन्न झांकियों में हनुमान जी की झांकी लोगों को आकर्षित कर रही। वहीं विभिन्न अखाड़ों की ओर कई पहलवानों दांवपेच आजमाए। जुलूस में रास्ते भर हनुमान जी के जयकारे लगते रहे। जुलूस का जगह-जगह स्वागत किया गया।

महावीरी झंडा जुलूस स्व. केदार शाह के दरवाजे पर समाजसेवी कामता सिंह ने हनुमान जी का पट खोला व पूजन-अर्चन किया। इसके बाद जुलूस करने के बाद गांव के मुख्य मार्ग होते हुए बाजार पहुंचा, जहां अखाड़े के नौजवानों ने एक से बढ़कर एक करतब दिखाए। इसके बाद जुलूस गिरवर दास के कुटिया पर पहुंचा, वहां हनुमान जी के पूजन-अर्चन के बाद बाजार स्थित शिवालय के लिए रवाना हुआ। यहां मंदिर में पूजन अर्चन के बाद महावीरी झंडा जुलूस गांव के पश्चिम स्थित गोरथाना पोखरा शिवालय, गांव के पूरब मां काली मंदिर स्थित महावीर चबूतरा पर पहुंचा। वहां हनुमान जी का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया। मंदिर के पास स्थित अखाड़े पर जनपद व गैर जनपद से आए पहलवानों ने कई दांव पेंच दिखाकर दर्शकों को आश्चर्यचकित कर दिया। जुलूस में गाजे-बाजे के साथ ही डीजे की धुन पर युवा थिरकते रहे। वहीं सुरक्षा के मद्देनजर फेफना, नरही, चितबड़ागांव पुलिस समेत खुफिया विभाग सादे वेश में मुस्तैद रही। जबकि अधिकारी भी मौके पर चक्रमण कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते रहे। इस मौके पर प्रधान मणिन्द्र बहादुर ठाकुर, संथन पांडेय, मगरू ठाकुर, चुन्नू सिंह, छोटे, सुनील वर्मा, सोनू सिंह, लवकुश श्रीवास्तव, अशोक गुप्ता, सनक पांडेय, अनिल पांडेय, अजय चौरसिया, तारकेश्वर पांडेय, सर्वेश पांडेय, पिंटू साह, दिनेश, राजकुमार सिंह, मन्नू सिंह, बिट्टू सिंह, भुल्लू, अनिल गुप्ता, सुनील गुप्ता, शशिपाल, पंकज, बिट्टू पांडेय, पिंटू वर्मा, धीरज, मन्नू, कन्हैया, जितेंद्र, अरविंद ठाकुर, रंजीत के साथ ही अन्य संभ्रांत नागरिक मौजूद रहे।

मेले का लिया लुत्फ

बलिया। मां काली स्थान स्थित अखाड़े के पास मेला जैसा माहौल था। जहां छोटे-बड़े लोगों ने फुचका, छोला, जिलेबी, समोसा, मलाई बर्फ आदि का लुत्फ उठाया। वहीं महिलाओं की भीड़ सौंदर्य प्रसाधनों की दूकानों पर जबकि बच्चों की भीड़ चर्खी झूला पर रही।

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