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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में मची भगदड़ में कई लोग लापता हो गए थे, जो अब धीरे-धीरे अपने घर पहुंच रहे हैं. ऐसा ही मध्य प्रदेश के सतना के एक बुजुर्ग दंपति के साथ भी हुआ है, जो कुंभ में अपनों से बिछड़ गए थे. पर अब तीन दिन बाद वे अपने घर पहुंचे हैं. दंपति ने बताया कि वो इस दौरान लगभग 50-60 किलोमीटर तक पैदल चले हैं.
कैसे लापता हो गए थे? सुनाई कहानी
इंडिया टुडे से जुड़े वेंकटेश द्विवेदी की रिपोर्ट के मुताबिक, सतना के किचवरिया गांव के 70 वर्षीय बलिकरण सिंह अपनी 60 वर्षीय पत्नी गंगा देवी सिंह के साथ महाकुंभ स्पेशल बस से प्रयागराज गए थे. लेकिन मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मच गई, जिसमें वे तो सुरक्षित बच गए. लेकिन अपने साथियों से अलग हो गए. उनके कपड़े और दूसरा सामान भी गायब हो गया. किसी तरह वहां रात गुजारने के बाद वे अपने घर के लिए निकले. पर सारे रास्ते बंद हो चुके थे. इसके बाद दोनों दंपति लगभग 50-60 किलोमीटर पैदल चलकर फूलपुर पहुंचे. वहां से उन्होंने सरकारी बस ली और बॉर्डर पर स्थित चाकघाट इलाके में पहुंचे. लेकिन बॉर्डर बंद होने और कोई साधन न होने की वजह से उन्हें एक ढाबे पर रुकना पड़ा.
24 घंटे बाद बॉर्डर खुले तो दोनों अपने गांव किचवरिया पहुंचे. बुजुर्ग गंगा देवी सिंह ने बताया कि पुलिस ने उनकी काफी मदद की. कपड़े और खाना दिया. उन्होंने बताया,
“संगम में स्नान करने से पहले अपने कुछ जानकार लोगों को मैंने अपने कपड़े दिए थे, जब में स्नान करने गईं तो भगदड़ मच गई. भगदड़ में हमारा सारा सामान गुम हो गया. जिसके बाद मैंने शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने मुझे कुछ कपड़े दिए. काफी अनाउंसमेंट कराया, पर कोई अपना नहीं मिला. हमारे पास कुछ नहीं बचा था. अपने ग्रुप में सिर्फ हम दो लोग बचे थे.”
हालांकि, बुजुर्ग दंपति को महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर स्नान कर पाने का सुकून है. वहीं, प्रयागराज से सही सलामत घर पहुंचने के बाद बुजुर्ग के परिजन काफी खुश हैं.
बता दें कि महाकुंभ में 29 जनवरी को यानी मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मच गई थी. घटना में 30 लोगों की मौत हो गई और 60 लोग घायल हो गए थे.