आखिर ऐसा क्या हुआ कि पुरुलिया की घटना ने करीब चार साल पहले की महाराष्ट्र के पालघर की घटना की याद दिला दी? आखिर पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में साधुओं पर हमला क्यों हुआ? बीजेपी क्यों इसे सनातनियों पर हमला मान रही है? और इस हमले को लेकर इंडिया अलायंस क्यों कठघरे में आ गया है? पश्चिम बंगाल में आखिर कानून व्यवस्था पर ममता सरकार कब तक बहाने बनाती रहेगी?
दरअसल, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया एक वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें कुछ साधुओं को भीड़ निर्वस्त्र कर पीट रही है. साधुओं के बाल पकड़कर घसीटे जा रहे हैं. इसका वीडियो इतना शर्मनाक करने वाला है, जिसे दिखाया नहीं जा सकता. बताया जा रहा है कि मकर संक्रांति के लिए स्नान करने के लिए कुछ साधु गंगासागर की तरफ जा रहे थे.
भाजपा का आरोप है कि सत्तारूढ़ टीएमसी से जुड़े अपराधियों ने साधुओं को निर्वस्त्र कर बेरहमी से पीटा. इतना ही नहीं, जब घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने साधुओं को बचाने की कोशिश की. उस दौरान भी कुछ आरोपी मारपीट करने से बाज नहीं आए. एक वीडियो में देखा जा सकता है कि साधु पीछे खड़े हैं और उनके आगे एक पुलिसकर्मी हमलावर लोगों को शांत कराने की कोशिश करता दिख रहा है.
बीजेपी ने ममता सरकार पर बोला हमला
एक तरफ अयोध्या में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर साधु-संत समाज में खुशी की लहर है. वहीं, पश्चिम बंगाल के पुरुलिया की खबर से साधु-संत गुस्से में हैं. बीजेपी ने ममता सरकार पर जोरदार हमला बोला है. तीन साधुओं के साथ पुरुलिया में मारपीट के बाद सियासी तापमान बढ़ गया है. बीजेपी लगातार गिरती कानून व्यवस्था पर सवाल पूछ रही है.
महाराष्ट्र के पालघर की घटना की दिलाई याद
बताते चलें कि साधुओं पर हमले की यह घटना तो पुरुलिया की है, लेकिन इनके वीडियो को देखने के बाद महाराष्ट्र के पालघर की याद ताजा हो जाती है, जहां 16 अप्रैल 2020 को साधुओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. जगह बदल गई, तारीख भी बदल गई, लेकिन निशाने पर साधु ही रहे हैं.
हालांकि, गनीमत रही कि पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में जिन साधुओं पर हमले हुए, वो बाल-बाल बच गए. वर्ना ऐसा लग रहा था कि उन्मादी भीड़ 16 अप्रैल 2020 को महाराष्ट्र के पालघर कांड को दोहराना चाहती हो. पुरुलिया में हुई इस घटना में आप देख सकते हैं कि कैसे सैकड़ों की भीड़ ने कुछ साधुओं को घेर रखा है. लाठी-डंडों से साधुओं की पिटाई हो रही है. साधुओं के बाल पकड़कर खींचे जा रहे हैं. उनके कपड़े फाड़कर निर्वस्त्र कर दिया गया है. और इस भीड़ के आगे पुलिस भी बेबस नजर आ रही है.
यूपी के रहने वाले साधु जा रहे थे गंगासागर
बताते चलें कि ममता राज में जिन साधुओं की पिटाई हुई, वो उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं. मकर संक्रांति के मौके पर स्नान करने के लिए वे गंगासागर मेले के लिए जा रहे थे. इस घटना की जानकारी मिलते ही बीजेपी सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो साधुओं से मिलने पहुंच गए. उन्होंने साधुओं की मदद की और ममता सरकार पर हमला बोला. इस मामले में बीजेपी आक्रामक है.
बीजेपी का आरोप है कि ममता बनर्जी के राज में साधु-संत भी सुरक्षित नहीं हैं. केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने पुरुलिया में साधुओं पर हमले को सनातन पर हमले से जोड़ा और इंडिया अलांयस पर निशाना साधा. वहीं, टीएमसी का कहना है कि बीजेपी मुद्दे से भटकाने की कोशिश कर रही है. उधर, ममता की पुलिस का कहना है कि भाषा अलग होने की वजह से साधुओं की पिटाई हो गई. बहरहाल, इस मामले में पुलिस ने अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है.
यूपी तक पहुंचा गुस्सा, बोले- पालघर कांड के बाद चली गई थी सरकार
बंगाल में साधुओं से पिटाई को लेकर गुस्सा यूपी पहुंच गया है. बंगाल में साधुओं की पिटाई से यूपी में संत समाज खफा है. राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास और अयोध्या के हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास ने ममता सरकार पर सवाल खड़े किए. साधु-संत चेतावनी भी दे रहे हैं कि जैसे महाराष्ट्र में पालघर में साधु की निर्मम हत्या के बाद उस समय के तत्कालीन सरकार का जो हश्र हुआ था, कहीं वैसा ही बंगाल में भी न हो जाए.
आतंकियों के सरकारी संरक्षण, साधुओं की पिटाई- अमित मालवीय
इस मामले में अमित मालवीय ने एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा कि पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आई है. पालघर की तरह ही यहां भी साधुओं की लिंचिंग की कोशिश की गई. मकर संक्रांति के लिए गंगासागर जा रहे साधुओं को सत्तारूढ़ टीएमसी से जुड़े अपराधियों ने निर्वस्त्र कर पीटा था. ममता बनर्जी के शासन में शाहजहां शेख जैसे आतंकवादी को सरकारी संरक्षण मिलता है और साधुओं की हत्या की जा रही है. पश्चिम बंगाल में हिंदू होना अपराध है.
पश्चिम बंगाल पुलिस ने कहा रास्ता भटक गए थे साधु
इस मामले में पुलिस ने बताया कि साधु रास्ता भटक गए थे. उन्होंने रास्ता पूछने के लिए दो महिलाओं को रोका. साधुओं को देखकर महिलाएं डर गईं और भागने लगीं. स्थानीय लोगों ने सोचा कि साधुओं ने महिलाओं को परेशान किया होगा. इसके बाद उन्होंने साधुओं को पीटना शुरू कर दिया. घटना की सूचना मिलते ही पुलिस की टीम मौके पर पहुंची और साधुओं को बचा कर थाने ले आया गया. हालांकि, साधुओं ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराने से इनकार कर दिया है. बाद में पुलिस ने साधुओं के गंगासागर तक परिवहन की व्यवस्था की. पुलिस ने इसकी वीडियोग्राफी की है. पुलिस का कहना है कि 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. अन्य की पहचान करने की कोशिश की जा रही है.