लखनऊ के आसमान में जमघट पर खूब उड़ी पतंक

लखनऊ । दीपाली के अवसर पर अवध में जमघट के दौरान सोमवार को पतंगबाजी शुरू हुई। लखनऊ के आसमान में परम्परागत पतंगबाजी के लिए लोग अपनी पतंग लेकर उतरे और जमकर पेंच लड़ाये।

पुराने लखनऊ में पतंग उड़ाने का शौक रखने वाले लोगों के लिए जमघट की सुबह छह बजे ही हो गयी। सुबह से ही लोग अपनी छतों पर चढ़ गये। पतंगों को हवा के साथ जोर लगाने लगे। जैसे-जैसे पतंग ने आसमान को छुआ, वैसे ही दूसरे पतंगों से पेंच लड़ने लगे। कुछ पतंग कट के दूर चली गयी तो कुछ एक कटी पतंगों की डोर दूसरे किसी के हाथ लग गयी।

मान्यता है कि नवाब आसिफउद्दौला ने लखनऊ में पतंगबाजी की परम्परा को आगे बढ़ाने के लिए दीपावली के दूसरे दिन जमघट त्योहार को शुरू कराया था। त्योहार मनाने की इस परम्परा को लखनऊ में नामचीन चेहरे पूरी तौर तरीके से पूरा करते हैं। एमएलसी बुक्कल नवाब, राज्यसभा सांसद डाॅ. दिनेश शर्मा जैसे नेता हों या बड़े व्यापारी-उद्यमी, सभी जमघट का हिस्सा बनने में फर्क महसूस करते हैं।

शहर के दरगाह मोड़ पर छोटी सी पतंग की दुकान चलाने वाले बाबूजी ने कहा कि नवाबों की शुरू की गयी परम्परा में जमघट में दिनभर पतंगबाजी होती है। दीपावली के दूसरे दिन मनायी जाती है। इस त्योहार को हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक भी बताते हैं। इसमें एक दूसरे की पतंग काटने पर कोई बूरा नहीं मानता है। बल्कि एक खेल प्रतियोगिता के रूप में लिया जाता है।

दुकानदार के अनुसार पतंग उड़ाने का शौक रखने वालों के लिए सुबह से शाम तक पतंगबाजी होती है तो उनके जैसे दुकानदारों की कमाई हो जाती है। छह सौ से एक हजार रुपये तक की पतंग वह एक दिन में बेचते हैं। तीन चार दिनों में पतंग मांझा मिलाकर 10 हजार रुपये तक कमा लेते हैं। वहीं बड़े दुकानदारों की कमाई इससे कई गुना होती है।

लखनऊ के चौक, नक्खास, चौपटिया, तालकटोरा, राजा बाज़ार, डालीगंज जैसे पुराने मोहल्लों में सुबह सात बजे के बाद आसमान पर पतंगों की बौछार हो गयी। आसमान की ओर देखने पर कोई भी कोना खाली नहीं दिखायी पड़ रहा है। मदेयगंज और खदरा इलाके में तो लोगों ने सड़क से ही पतंगों को उड़ाया है और त्योहार के मजे ले रहे हैं।

Related Articles

Back to top button