- विधानसभा उपचुनाव कार्यकर्ताओं में शुरु विरोध का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है असर
- बीजेपी के ओपी श्रीवास्तव को कमजोर प्रत्याशी मानकर इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस पार्टी से प्रत्याशी मुकेश सिंह चौहान को अपनी जीत पर पूरा भरोसा
अजय सिंह चौहान
निष्पक्ष प्रतिदिन/लखनऊ।आगामी 20 मई कम लखनऊ पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में भाजपा ने ओपी श्रीवास्तव को चुनाव मैदान में उतारा है, तो वहीं
इंडिया गठबंधन ने एकजुट होते हुए कांग्रेस के पार्षद मुकेश सिंह चौहान को यहां से उम्मीदवार बनाया हैं। दोनों दलों के प्रत्याशियों ने नामांकन के पहले ही दिन अपना अपना नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया है।वहीं भाजपा प्रत्याशी ओपी श्रीवास्तव के नामांकन पत्र दाखिल कर देने के बाद से भारतीय जनता पार्टी के अनेक नेता वर्तमान प्रत्याशी से नाराज होकर चुनाव में उस तरह से सक्रिय नहीं नजर आ रहे हैं, जैसा कि उनको होना चाहिए था।
भाजपा पार्टी के सूत्रों के मुताबिक राजधानी लखनऊ की पूर्वी विधानसभा सीट पर कम अनुभव के ओपी श्रीवास्तव को टिकट मिलने के बाद भारतीय जनता पार्टी में अंतर विरोध शुरू हो गया है।इस क्षेत्र के कई नेता प्रत्याशी का प्रचार करने के बजाय अपने अपने घर बैठ गए हैं।जिसकी चिंता बहुत ऊपर तक है।माना जा रहा है कि विधानसभा उपचुनाव के इस विरोध का असर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के लोकसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है।जबकि लखनऊ पूर्वी क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माना जाता है।राजनाथ सिंह इस बार 5 लाख के अंतर से जीत हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।वहीं दूसरी ओर इंडिया गठबंधन ने यहां से एकजुट होते हुए कांग्रेस के पार्षद मुकेश सिंह चौहान को यहां से उम्मीदवार बनाया हैं।जबकि भारतीय जनता पार्टी के अनेक नेता वर्तमान प्रत्याशी से नाराज होकर चुनाव में उस तरह से सक्रिय नहीं नजर आ रहे हैं, जैसा कि उनको होना चाहिए।बतातें हैं कि ओपी श्रीवास्तव जिनको भारतीय जनता पार्टी ने लखनऊ पूर्व विधानसभा सीट से उपचुनाव का टिकट दिया है, उनका भारतीय जनता पार्टी में अनुभव काफी कम है।इस सीट से मुख्य रूप से दिवंगत आशुतोष टंडन के छोटे भाई अमित टंडन, भाजपा नेता राजीव मिश्रा, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हीरो बाजपेई, भाजपा नेता मनीष शुक्ला, भाजपा उपाध्यक्ष संतोष सिंह (जिनको एमएलसी बना दिया गया ), भोजपुरी समाज के नेता प्रभुनाथ राय के अलावा 20 के करीब अन्य नेता टिकट मांग थे।लेकिन पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया।
टिकट मांगने वालों की बड़ी संख्या थी।मगर अब जब प्रचार का मौका आया है तो यह संख्या बहुत कम है।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके छोटे पुत्र नीरज सिंह के वफादारो के अलावा अधिकांश नेता घर बैठ गए हैं।अधिकांश कहीं भी प्रचार अभियान में नजर नहीं आ रहे हैं।वहीं ओपी श्रीवास्तव से नाराज ज्यादातर नेता भी किसी न किसी बहाने खुद को उपचुनाव के प्रचार अभियान से अलग किए हुए हैं।जिसकी वजह से रक्षा मंत्री के चुनाव प्रबंधकों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही है।आशंका है कि अगर लखनऊ पूर्वी क्षेत्र से बीजेपी को कम वोट मिलता है तो राजनाथ सिंह के चुनाव के लिए लगाया जा रहा अबकी बार 5 लाख पार का नारा पूरा नहीं हो सकेगा।ऐसे में अकारण ही चुनाव के बाद प्रचार अभियान से खुद को दूर रखने वाले नेताओं के लिए संकट की घड़ी हो सकती है।राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि निश्चित तौर पर यह जरूरी होगा कि सभी नेता प्रचार में लगें, तभी भारतीय जनता पार्टी के लिए पूर्वी क्षेत्र में बड़ी जीत सुनिश्चित होगी।मगर इस बार यहां प्रत्याशी चयन को लेकर बहुत विवाद हो गया है।माना जा रहा है कि कुछ खास नेताओं के नजदीकी ओपी श्रीवास्तव को बहुत कम अनुभव होने के बावजूद चुनाव में प्राथमिकता दी गई है।उनके टिकट को लेकर बहुत नाराजगी है।इसके बाद में क्षेत्र के कई बड़े नेता अपने आप को प्रचार से दूर कर चुके हैं। जिससे भाजपा को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दूसरी ओर विपक्ष का इंडी गठबंधन इस क्षेत्र में एकजुटता का प्रदर्शन कर रहा है।गठबंधन की ओर से मुकेश सिंह चौहान प्रत्याशी है जो कि कांग्रेस के पार्षद हैं।उनकी पूर्वी क्षेत्र के कई वार्डों में बहुत अच्छी पकड़ है। ऐसे में मुकेश सिंह चौहान बीजेपी के सामने कड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं।मुकेश सिंह चौहान ने बताया कि उनकी बहुत बड़ी जीत होने जा रही है।भारतीय जनता पार्टी में कमजोर प्रत्याशी की वजह से बहुत मतभेद है।जिसका निश्चित तौर पर हमको फायदा मिलेगा।