-नामांकन रद्द करने के मामले में बोले गोहिल, कानून में इसका प्रावधान नहीं
अहमदाबाद। सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार निलेश कुंभाणी का नामांकन रद्द होने पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि कानून में नामांकन रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस उम्मीदवार को पैसे का भी ऑफर किया गया था।
सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार निलेश कुंभाणी और उनके डमी उम्मीदवार सुरेश पडसाला का भी नामांकन रद्द किया गया है। इसकी वजह से कांग्रेस अब 26 में से 23 सीट पर ही चुनाव लड़ेगी। दो सीट समझौते के तहत आम आदमी पार्टी को दी गई है। पहली बार ऐसा हुआ है कि कांग्रेस का उम्मीदवार सूरत लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ेगा।
इस मामले पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल ने अहमदाबाद के राजीव गांधी भवन में पत्रकार वार्ता की। इस अवसर पर उन्होंने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि निलेश कुंभाणी को पैसे का ऑफर किया गया था। गोहिल ने कहा कि कुंभाणी ने उन पर डाले जा रहे दबाव की बात उन्हें बताई थी। इसके साथ सामाजिक रूप से भी उन्हें परेशान करने की शिकायत भी उनसे की थी। कानून के प्रावधानों के अनुसार यदि नामांकन पत्र में समर्थकों के हस्ताक्षर नहीं हो तो नामांकन रद्द हो सकता है, लेकिन समर्थकों के फार्म भरे जाने के बाद वे कहे कि यह उनके हस्ताक्षर नहीं हैं, तो फार्म रद्द नहीं हो सकता है।
पुराने उदाहरण देते हुए गोहिल ने कहा कि वर्ष 2012 के चुनाव में सूरत पूर्व सीट पर यही हालात पैदा हुए थे। उस समय दिए गए निर्णय और अभी के निर्णय दोनों अलग-अलग हैं। एक ही मामले में अलग-अलग उम्मीदवारों के लिए भिन्न निर्णय कैसे हो सकते हैं? गोहिल ने चुनाव आयोग से निष्पक्ष चुनाव कराने की विनती की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि फॉर्म और आवेदन में समर्थकों के किए गए हस्ताक्षर को एफएसएल में भेजकर सत्यता की जांच कराई जानी चाहिए। दोनों में एक ही व्यक्ति के हस्ताक्षर है या नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए। गेहिल ने कहा कि कांग्रेस की लीगल टीम हाई कोर्ट में जाएगी। गुजरात हाई कोर्ट में इलेक्शन पिटीशन दाखिल की जाएगी।
यह है मामला
सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार निलेश कुंभाणी के नामांकन को लेकर भाजपा की ओर से आपत्ति जतायी गई थी। निलेश कुंभाणी के नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले तीन समर्थकों ने शपथ पत्र के जरिए कहा था कि यह उनके हस्ताक्षर नहीं है। इसे लेकर भाजपा उम्मीदवार मुकेश दलाल के चुनावी एजेंट दिनेश जोधाणी ने आपत्ति दर्ज करते हुए मामला कलेक्टर कार्यालय में उठाया था। बाद में कुंभाणी ने अपने तीनों समर्थकों के अपहरण होने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत उमरा थाने में की थी। इस मामले में कुंभाणी ने शनिवार को ही 3 कथित गायब समर्थकों के लिए हाईकोर्ट में हेबियस कोर्पस और कलेक्टर कार्यालय में उम्मीदवारी पत्र रद्द करने के विरोध में 3 आवेदन दिए थे। उम्मीदवारी पत्र रद्द करने के विरोध में रविवार को कलेक्टर कार्यालय में सुनवाई की गई, जिसके बाद कुंभाणी का नामांकन फार्म रद्द कर दिया गया है। कुंभाणी को तीनों समर्थकों के हाजिर कराने को कहा गया था, लेकिन वे इसमें विफल रहे थे।