हमीरपुर। हमीरपुर जिले में करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए स्टेडियम में ताले लटक रहे है। स्टेडियम में इन्ट्री न मिलने नौजवान सड़कों किनारे दौडऩे को मजबूर हैं। तहसील और ग्रामीण स्तर पर बने स्टेडियम में जिम और अन्य मशीनें भी अब जंग खा रही है। डिपार्टमेंट भी स्टेडियम की सेवाएं नौजवानों को देने में हाथ खड़े किए है। जिससे नौजवानों में मायूसी देखी जा रही है।
हमीरपुर जिले के सुमेरपुर क्षेत्र के टिकरौली गांव में कई करोड़ रुपये की लागत से कई साल पहले एक मिनी स्टेडियम बनवाया गया था। ताकि ग्रामीण इलाकों के नौजवान विभिन्न खेलों के लिए तैयारी कर सके। लेकिन स्टेडियम नौजवानों के लिए मजाकबन गया है। जिला युवा कल्याण अधिकारी राहुल सिद्धार्थ के मुताबिक पांच साल पहले गांव के नवयुवकों की प्रतिभा को निखारने केलिए मिनी स्टेडियम का निर्माण कराया गया था जिसमें पांच करोड़ रुपये की लागत खर्च हुई है। स्टेडियम में जिम मशीने रनिंग ग्राउंड, बैंडमिंटन हाल समेत तमाम व्यवस्थाएं की गई थी। इस स्डेयिम दो साल पहले डिपार्टमेंट को हैंडओवर भी कर दिया गया था। शुरू में कुछ प्रतियोगिताएं कराई गई थी लेकिन काफी अर्से से अब स्टेडियम में ताले लटक रहे है। पूरा स्टेडियम ही वीरान हो गया है। स्टेडियम ग्राउंड में कई फीट तक जंगली घास उग आई है जिससे इसमें चलना फिरना दूभर है। स्टेडियम मैदान में कंकड़ पड़े है जो रनिंग के दौरान पैरों में चुभ जाते है। गांव के लोगबाहर दौड़ लगाने को मजबूर है।
चार साल पहले ग्रामीण इलाके में कई करोड़ रुपये के फंड से बनाया गया था स्टेडियम
शासन की मंशा के तहत वर्ष 2019-20 में टिकरौली गांव में मिनी स्टेडियम की सौगात गांव के नौजवानों को मिली थी। इसकेनिर्माण में करीब पांच करोड़ रुपये की लागत आई है। स्टेडियम के अंदर लाखों रुपये कीमत की जिम मशीनें भी लगाई गई थी वहीं बैंडमिंटन हाल, वाँक पथ, फुटबाल व बाँलीवाल सहित तमाम खेलकूद की व्यवस्थाएं की गई थी। जो अब मौजूदा में खस्ताहाल हो रही है। नौजवानों को इस स्टेडियम की सेवाएं भी सालों से नहीं मिल रही है। व्यायाम टीचर मोहन सिंह ने बताया कि बारिश से ग्राउंड में घास उग आई है। इसकी कटाई करवाई जा रही है।
स्टेडियम में लगी जिम और अन्य मशीने अब खा रही जंग, बैंड मिंटन हाल में पड़े है ताले
छात्ररवि कुमार, सत्यम व जितेद्र का कहना है कि गांव के स्टेडियम में आज तक किसी भी युवक की इन्ट्री नहीं हुई है। इसमें ताले लटक रहे है। स्टेडियम में कोई कोच भी नहीं है। बताया कि लाखों मूल्य की जिम मशीनें व अन्य उपकरण भी जंग खा रहे है। व्यायाम टीचर मोहन सिंह ने बताया कि स्टेडियम में खेलने को हर माह पचास रुपये फीस निर्धारित है। लेकिन कोई भी युवक फीस नहीं देता है। जिला युवा कल्याण अधिकारी ने बताया कि बाढ़ का पानी भरने से स्टेडियम में रनिंग ग्राउंड की मिट्टी बह गई है जिसे सही कराने के लिए जल्द ही प्लान तैयार कराया जा रहा है।