देश में कांग्रेस की फिलहाल तीन राज्यों में सरकार है, जहां पर वो अपने दम पर सत्ता पर काबिज है इन्हीं में एक राज्य है हिमाचल प्रदेश यहां की सुक्खू सरकार इन दिनों ‘यूपी की योगी सरकार’ के नक्शेकदम पर चलती नजर रही है बीजेपी के हिंदुत्व वाले एजेंडे को लेकर कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी हमेशा सवाल खड़े करते रहे हैं बीजेपी शासित राज्यों और केंद्र सरकार के फैसलों को लेकर कांग्रेस कहती रही है कि बीजेपी हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा रही और आरएसएस की सोच को पूरे देश पर थोपना चाहती है इसके बावजूद हिमाचल की कांग्रेस सरकार क्यों योगी के हिंदुत्व वाले मॉडल को अपना रही है?
हिमाचल की कांग्रेस सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने बुधवार को सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा कि हिमाचल में भी अब उत्तर प्रदेश की तरह हर भोजनालय और फास्ट फूड की रेहड़ी पर दुकान मालिक की आईडी लगाई जाएगी, ताकि लोगों को किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो इसके लिए शहरी विकास विभाग और नगर निगम की बैठक में निर्देश जारी कर दिए गए हैं इससे पहले हिमाचल सरकार के मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने विधानसभा में शिमला की संजौली मस्जिद को अवैध बताते हुए गिराने की मांग उठाई थी
मस्जिद से नेमप्लेट तक…
मंत्री अनिरुद्ध सिंह को पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के सियासी वारिस और हिमाचल सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह का करीबी माना जाता है इस तरह कांग्रेस के दोनों ही नेता इन दिनों हिंदुत्व के एजेंडे पर खुलकर उतर गए हैं शिमला की अवैध मस्जिद का मामला अब दुकानदारों के नेमप्लेट तक पहुंच गया है कांग्रेस से अब न निगलते बन रहा है और न उगलते अनिरद्ध सिंह ने सिर्फ मस्जिद का मामला ही नहीं उठाया बल्कि घुसपैठियों तक का जिक्र किया उन्होंने कहा था कि संजौली बाजार में महिलाओं का चलना मुश्किल हो गया है चोरियां हो रही हैं और लव जिहाद जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं, जो प्रदेश और देश के लिए खतरनाक हैं
हिमाचल सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर पार्टी लाइन से अलग बयान दिया था उन्होंने वक्फ बोर्ड में सुधार की जरूरत बताते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा हिमाचल और हिमाचलियत के हित सर्वश्रेष्ठ, सर्वत्र हिमाचल का संपूर्ण विकास जय श्री राम! समय के साथ हर कानून में तब्दीली लाना जरूरी है वक्फ बोर्ड में भी बदलते समय के साथ सुधार की जरूरत है इसके बाद योगी सरकार के एजेंडे को हिमाचल में आगे बढ़ा रहे हैं
विक्रमादित्य ने हिमाचल प्रदेश की खाने पीने की दुकान पर दुकानदारों के नाम लगाने का आदेश जारी किया है, जिसे पिछले दिनों यूपी में योगी सरकार ने लागू किया है इसे लेकर कांग्रेस समाज में भेदभाव पैदा करने का आरोप लगाकर योगी सरकार और बीजेपी पर हमलावर दिखी थी
लेकिन, अब हिमाचल प्रदेश में भी इसी तरह के आदेश जारी होने के बाद सवाल उठ रहे हैं?
हिमाचल में हिंदुत्व की सियासत
धर्म की राजनीति से अभी तक अछूते रहे हिमाचल प्रदेश में हिंदुत्व की सियासत नई करवट लेती नजर आ रही है हिमाचल की जनसंख्या में 97 फीसदी आबादी हिंदुओं की है और मुस्लिम समुदाय 2.1 फीसदी है यहां मुसलमान प्रमुख रूप से शिमला, कुल्लू और मनाली जैसे पर्यटक वाले इलाके में बसे हुए हैं वहीं, कुछ मुस्लिम आबादी कांगड़ा और मंडी जिलों में भी है
हिमाचल पहाड़ी राज्य है, जहां हिंदू धर्म का गहरा प्रभाव है इसे देवभूमियानी देवताओं की भूमि भी कहा जाता है हिमाचल के कई क्षेत्रों का महाभारत और रामायण जैसे प्राचीन ग्रंथों में जिक्र मिलता है देवभूमि होने के नाते यहां देवी-देवताओं का हर वर्ग पूरा सम्मान करता रहा है, लेकिन देवी-देवताओं को लेकर भी कभी चुनावी माहौल नहीं बनाया गया और न ही कभी सियासत हुई लेकिन, हिमाचल प्रदेश के डेमोग्राफी के आए बदलाव को लेकर इन दिनों हिंदुत्व की सियासत गर्मा गई है
बहुसंख्यक वोटों की चिंता
शिमला के वरिष्ठ पत्रकार अनिमेष कौशल कहते हैं कि हिमाचल में मुस्लिम समुदाय की आबादी इतनी कम है कि वह सियासी तौर कोई खास असर नहीं डालते हैं इस बात को कांग्रेस भी समझ रही है हिमाचल में जिस तरह मुस्लिमों दुकानदारों की संख्या बढ़ी है, उसके चलते बीजेपी और हिंदू संगठनों ने उसे मुद्दा बनाया है ऐसे में कांग्रेस बहुसंख्यक वर्ग को नाराज करने का जोखिम भरा कदम नहीं उठाना चाहती, जिसके चलते ही विक्रमादित्य सिंह और अनिरुद्ध सिंह जैसे मंत्री खुलकर हिंदुत्व के एजेंडे पर उतर गए हैं कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति से ज्यादा हिमाचल के स्थानीय नेताओं को अपनी सियासत की चिंता है
हिंदुत्व के एजेंडे पर विक्रमादित्य
अनिमेष कहते हैं कि विक्रमादित्य बीते कुछ वर्षों से साफ्ट हिंदुत्व के बजाय बीजेपी की तरह हार्ड हिंदुत्व के एजेंडे पर चल रहे हैं विक्रमादित्य 2024 के चुनाव में मंडी लोकभा सीट से हार गए हैं, जहां पर हिंदू 98.16 फीसदी और मुस्लिम मात्र 0.95 फीसदी रहती है इसकी वजह यह थी कि बीजेपी की कंगना रनौत के चुनाव में उतरने से माहौल बदल गया था और हिंदुत्व के मुद्दे पर खुलकर राजनीति की थी कंगना और विक्रमादित्य सिंह के बीच खुद को बड़ा सनातनी बताने की जुबानी जंग छिड़ी हुई थी कंगना की जीत ने विक्रमादित्य को सियासी तौर पर बड़ा झटका दिया है और अब वो खुलकर हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ने में जुट गए हैं
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हिंदुत्व के नए ब्रांड एंबेसडर बनकर उभरे हैं सीएम योगी सिर्फ हिंदुत्व की बात नहीं करते हैं बल्कि जीते भी हैं यूपी के लव जिहाद, गोहत्या, धर्मांरतण, अपराधियों का एनकाउंटर, सीएए प्रदर्शनकारियों पर सख्ती और बुलडोडर एक्शन जैसे कई कदम उठाए हैं, जिसे देश के दूसरे बीजेपी शासित राज्यों ने भी अपनाया है इसीलिए कांग्रेस नेता और हिमाचल सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह भी योगी सरकार के तर्ज पर हिंदुत्व का एजेंडा सेट कर रहे हैं ताकि वो अपनी छवि हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर स्थापित कर सके 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने वाले विक्रमादित्य हिमाचल के एकमात्र राजनेता रहे हैं
क्या पिता की राह पर हैं विक्रमादित्य?
देवी-देवताओं में पूरी आस्था होने के साथ प्रदेश में सबसे पहले धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाने का श्रेय विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस को देते रहे हैं 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी विक्रमादित्य ने कहा था कि हिमाचल शक्तिपीठ है यह देवभूमि है यह देवी और देवरा की भूमि है वीरभद्र सरकार ही 2007 में धर्मांतरण विरोधी विधेयक लेकर आई थी उस समय आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद वीएचपी ने कांग्रेस को धन्यवाद दिया था विक्रमादित्य इस तरह यह बताने की कोशिश करते रहे हैं कि उनके पिता वीरभद्र सिंह भी हिंदुत्व की सियासत करते रहे हैं
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार अरविंद सिंह कहते हैं कि विक्रमादित्य सिंह जिस तरह से राजनीति कर रहे हैं, उनके पिता हिमाचल में वैसा ही करते रहे हैं, लेकिन उसका प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता रहा है राज्य में बदले हुए सियासी समीकरण और आर्थिक स्थिति को देखते हुए कांग्रेस की सरकार कशमकश की स्थिति में है बीजेपी सत्ता से बेदखल होने के बाद से हिमाचल में हिंदुत्व की राजनीति को धार दे रही है, जिसके चलते ही कांग्रेस की सरकार भी उसी पिच पर उतर गई है
कांग्रेस नेताओं को अपनी सियासत की चिंता
कांग्रेस नेताओं को पार्टी से ज्यादा अपनी राजनीतिक चिंता है और उसे ही बचाने के लिए हिंदुत्व के एजेंडे पर चल रहे हैं हिमाचल प्रदेश में कभी कोई मुस्लिम विधायक नहीं रहा और न ही किसी को लोकसभा में प्रतिनिधित्व का मौका मिल पाया है हिमाचल में भी पिछले दिनों कुछ ऐसी घटनाएं देखी गई थीं, जिनमें कुछ हिदुत्ववादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिमों को निशाना बनाया था कांगड़ा ज़िले के नगरोटा में अन्य प्रदेशों से आकर दुकान चला रहे युवकों की पिटाई हुई थी पुलवामा के हमले के बाद पालमपुर में कश्मीरी युवकों को निशाना बनाया गया था इसके बाद शिमला की मस्जिद का मुद्दा उठने के बाद कई और भी मामले सामने आए हैं
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही राज्य की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल होती चली गई है यह बात किसी से छुपी नहीं है जिस तरह के दावों और वादों को चुनाव के समय जनता के बीच रखकर कांग्रेस यहां सत्ता में आई उसे पूरा करने में राज्य सरकार के खजाने खाली हो रहे हैं और अब वहां सरकार के पसीने छूट रहे हैं ऐसे में हिंदू संगठन और बीजेपी ने जिस तरह मुस्लिमों की आबादी से मस्जिद तक के मुद्दे को लेकर माहौल बनाया है, उसके बाद कांग्रेस भी अब उसी राह पर चल पड़ी है