महोली (सीतापुर) भूजल के मुख्य स्रोतों तालाब झील एवं कुओं को उनके मूल स्वरूप में बनाए रखने हेतु उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालय व उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेश स्थानीय नगर पंचायत में बेअसर हैं। नगर पंचायत अंतर्गत आने वाले लगभग सभी तालाबों पर भूमाफियाओं व नगर निकाय प्रशासन की सांठ-गांठ से या तो पक्के मकान बन गए हैं या उन पर मकान बनाने की साजिश चल रही है ऐसा सूत्रों का दावा है की नगर पंचायत महोली के सरकारी अभिलेखों में दर्ज तालाबों में कुछ तालाब नगर के मुख्य मार्ग से लगे होने व आवासीय बस्ती में होने के कारण करोड़ों रुपए की संपत्ति है।
लेकिन इन तालाबों के अधिकांश भाग पर भूमाफियाओं द्वारा कब्जा दिखा कर या तो अवैध तरीके से दूसरों के हाथ बिक्री कर दिया गया है जिन पर वर्तमान समय में मकान व दुकान बन गए हैं या फिर भूमाफियाओं द्वारा स्वयं मकान बना लिया गया है। इस तरह के तालाबों में मोहल्ला मास्टर कॉलोनी पश्चिम स्थित तालाब धोवइया, मास्टर कॉलोनी पूर्वी स्थित तालाब, दीक्षितटोला (जय देवी नगर) स्थित तालाब( बड़ा तालाब महोली) राणा प्रताप नगर स्थित तालाब बड़ा तालाब महसुनिया गंज आदि हैं जिन पर अवैध निर्माण करके न केवल सरकारी संपत्तियों को छत पहुंचाई गई बल्कि उच्चतम न्यायालय व उत्तर प्रदेश सरकार के शासनादेशों की अवहेलना की जा रही है। मोहल्ला मास्टर कॉलोनी स्थित तालाब धोवइया के कई हिस्सों पर पिछले वर्षों में अवैध रूप से कब्जा करके उसकी भूमि को आवासीय रूप में भूमाफियाओं द्वारा बैनामा किया जा चुका हैं जिस पर कुछ तो भवन निर्माण हो चुके हैं या फिर भवन निर्माण की तैयारी में है फिर भी नगर पंचायत महोली व तहसील प्रशासन द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं की जा रही है जबकि उच्चतम न्यायालय द्वारा सिविल अपील संख्या 4787/2001 हिंंचलाल तिवारी बनाम कमला देवी में पारित आदेश दिनांक 25-07-2001का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु जारी शासनादेश संख्या 703/एक -2-2014-रा -2- दिनाँक 09-06-2014 द्वारा समस्त जिलाधिकारियों को प्रदेश के सभी तालाबों के मूल स्वरूप को बनाए रखने हेतु निर्देश जारी किए गए थे। नगर पंचायत महोली के अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए यह आदेश मोटी कमाई का जरिया बनकर रह गए हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन शासनादेशों का हवाला देकर नगर पंचायत द्वारा अवैध कब्जेदारो/अतिक्रमणकारियो को नोटिस दिया गया जिसके बाद अवैध कबजेदारों से मोटी धनराशि लेकर कोई भी वैधानिक कार्रवाई न करके मामले को दबा दिया गया तथा भूमाफियाओं द्वारा तालाब की शेष भूमि को भी कब्जा कर लिया गया।
तालाबों पर अवैध कब्जा करने में दोषी केवल नगर पंचायत ही नहीं है बल्कि तहसील प्रशासन भी है जो मोटी रकम लेकर भूमाफियाओं का हर तरह से संरक्षण व सहयोग करता है। गौरतलब हो कि मत्स्य विभाग सीतापुर का विभागीय जलाशय गाटा संख्या 537 मि •जो कि बड़ा तालाब महोली के नाम से जाना जाता है। जिसका पट्टा/ठेका काफी लंबे समय से जिलाधिकारी सीतापुर की अध्यक्षता में मत्स्य विभाग द्वारा किया जाता रहा है और वर्तमान समय में भी किया गया है उस तालाब को भी वर्तमान समय में सरकारी अभिलेखों से गायब कर दिया गया है पूर्व के राजस्व अभिलेखों की खतौनी नकल सन 1373-78 व 1383-1388 फसली मैं दर्ज तालाब गाटा संख्या 537 मि• क्षे•7•48 भी काफी लंबे समय से राजस्व अभिलेखों से तालाब के रूप से गायब कर दिया गया है। जिस कारण तालाब के पट्टेदार द्वारा की जाने वाली किसी भी शिकायत को संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। तालाबों से अतिक्रमण हटाए जाने की शिकायत के बावजूद भी नगर पंचायत के कर्मचारियों द्वारा तालाब में कूड़ा डाला जाता है तथा तालाबों के आसपास रहने वाले लोगों को भी भूमाफियाओ द्वारा तालाब में कूड़ा डालने के लिए उकसाया जाता है। भूमाफियाओं द्वारा नगर पंचायत महोली के तालाब गाटा संख्या 165,191, 198मि•, 234मि•क्षेत्रफल क्रमशः 0•365,0•607, 0•753हे•, 0•611हे•कुल2•335हे•,तालाब गाटा संख्या 381 क्षे• 0•0610हे•,तालाब गाटा संख्या 537मि•क्षेत्रफल7•48 हे•व गाटा संख्या 47 क्षेत्रफल 0•283हे•महसुनियागंज अंदर नगर क्षेत्र महोली आदि तालाबों पर अवैध रूप से अतिक्रमण करके संकुचित कर दिया गया है अथवा तालाब का अस्तित्व ही समाप्त कर दिया गया है जिससे एक तरफ राजस्व क्षति हो रही है वहीं दूसरी तरफ तालाबों के अस्तित्व समाप्त होने के साथ जलस्तर भी प्रभावित हो रहा है। अगर समय रहते तालाबों के अस्तित्व को मूल स्वरूप में लाने हेतु प्रशासन नहीं चेता तो केवल भूमाफिया ही मालामाल होंगे पर भूजल स्तर की गिरावट को रोक पाना शायद संभव नहीं होगा जिससे सामान्य जनजीवन प्रभावित होगा।