लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग पर फरवरी में होगी बैठक

नई दिल्ली। लद्दाख के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक ज्ञापन सौंपकर इस केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की है। उन्हें राज्य का दर्जा छठवीं अनुसूची के तहत चाहिए ताकि नए प्रदेश को भूमि की सुरक्षा के साथ लद्दाख की जनता को रोजगार के पर्याप्त अवसर मिलें। इस संबंध में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में अगली बैठक फरवरी की शुरुआत में होने की संभावना है।

सूत्रों का कहना है कि लेह एपेक्स बाडी और करगिल डेमोक्रेटिक एलायंस के प्रतिनिधियों ने लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए एक विस्तृत ज्ञापन पिछले ही हफ्ते गृह मंत्रालय को सौंपा गया है। इसमें जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019 में संशोधन का मसौदा भी शामिल है। इस संबंध में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय समिति ने लद्दाख के दोनों क्षेत्रों (लेह और करगिल) के दोनों निकायों के प्रतिनिधियों के साथ कई बैठकें की हैं।

विगत 4 दिसंबर को हुई बैठक में समिति ने दोनों संगठनों से उनकी मांगों की सूची मांगी थी। पिछले हफ्ते दिए ज्ञापन में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने हाल के फैसले में कहा कि जम्मू और कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाए। लेकिन यह प्रविधान लद्दाख के लिए लागू होने की बात नहीं कही गई, जिससे वह केंद्र शासित प्रदेश ही रह जाएगा।

मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की तर्ज पर लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा मांगा गया है। साथ ही छठवीं अनुसूची और संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत इन राज्यों को मिला संरक्षण भी चाहिए। छठवीं अनुसूची के दर्जे की मांग करते हुए ज्ञापन में कहा गया है कि आदिवासी समुदाय में अधिकांश आबादी बाल्टी, बेडा, बोट, बोटो, ब्रोकपा, द्रोकपा, दार्ड, शिन, चांगपा, गारा, मोन और पुरिगपा की है।

ज्ञापन लद्दाख लोकसेवा संघ की भी मांग की गई है। इसके अलावा, लेह और करगिल से एक-एक सांसद होने के नाते राज्यसभा में भी एक सीट दिए जाने की मांग है। उल्लेखनीय है कि पांच अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के बाद लद्दाख को भी केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया था।

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