केजरीवाल सरकार ने शुरू किया मोहल्ला बस सेवा का ट्रायल

नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में लास्ट-माइल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए सोमवार से मोहल्ला बस सेवाओं का ट्रायल शुरू किया। आज से शुरू होने वाला ट्रायल 7 दिनों तक चलेगा और वर्तमान में दो मार्गों पर संचालित होगा। ये मार्ग हैं- प्रधान एन्क्लेव पुस्ता से मजलिस पार्क मेट्रो स्टेशन और अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन से मयूर विहार फ़ेज-III पेपर मार्केट तक।

परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “मोहल्ला बस सेवाओं की शुरूआत दिल्ली में लास्ट माइल कनेक्टिविटी को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इन बसों को सीमित सड़क चौड़ाई और उच्च भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में नेविगेट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस ट्रायल के द्वारा हम यात्रियों से उनके अनुभव के आधार पर आवश्यक फीडबैक इकट्ठा कर रहे हैं, जिससे मोहल्ला बसों की सेवा का विस्तार दिल्ली के सभी इलाक़ों में लास्ट माइल कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने हेतु किया जाएगा।”

मोहल्ला बस 196 किलोवाट की कुल क्षमता वाले छह बैटरी पैक से सुसज्जित है, जो 45 मिनट की चार्जिंग के साथ 200+ किमी की रेंज प्रदान करती है। 9 मीटर की इन मोहल्ला बसों में 23 यात्री सीटें और 13 यात्रियों के खड़े होने की क्षमता है।

आसानी से पहचान के लिए मोहल्ला बसों को हरे रंग का रखा गया है। मोहल्ला बसों में 25 प्रतिशत सीटें (6 सीटें) गुलाबी रंग की हैं, जो विशेष रूप से महिला यात्रियों के लिए आरक्षित हैं।

मोहल्ला बस योजना का लक्ष्य 9 मीटर लंबी इलेक्ट्रिक बसों के द्वारा दिल्लीवासियों को उनके घर के आसपास फीडर बस सेवाएं प्रदान करना है। केजरीवाल सरकार की योजना 2025 तक कुल 2,180 ऐसी बसें शुरू करने की है, जो विशेष रूप से सीमित सड़क चौड़ाई या भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों के लिए होंगी। दिल्ली सरकार वर्तमान में लास्ट माइल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) से अधिग्रहित 100 बसों का संचालन कर रही है।

इन मोहल्ला बसों की अधिकतम रूट लंबाई 10 किमी है। दिल्ली सरकार द्वारा कुल 2,080 9-मीटर बसें खरीदी जा रही हैं। इसमें डीटीसी की 1,040 बसें और डिम्ट्स की 1,040 बसें शामिल हैं। ये बसें खासकर उन क्षेत्रों में जहां मानक 12 मीटर बसें अपने आकार और मोड़ त्रिज्या के कारण परिचालन चुनौतियों का सामना करती हैं, वहाँ परिचालित की जा सकेंगी।

किराया

मोहल्ला बसों में किराया दिल्ली सरकार की एसी बसों के समान ही होगा, यानी 10, 15, 20 और 25। महिलाएं पिंक पास के जरिए इन बसों में मुफ्त यात्रा का लाभ उठा सकती हैं।

ट्रायल रूट-

ट्रायल रूट 1: मजलिस पार्क से प्रधान एन्क्लेव

प्रधान एन्क्लेव पुस्ता (लिटिल स्टार स्कूल), प्रधान एन्क्लेव ए-ब्लॉक, बाबा कॉलोनी पुस्ता, एपेक्स स्कूल, जगतपुर मोड़, मिलन विहार चौक, झोरडा पुलिस चौकी (कायाकल्प अस्पताल), संगम विहार गली नंबर-4, झारोदा मेट्रो स्टेशन, हरदेव नगर, बुराड़ी मेट्रो स्टेशन, बुराड़ी क्रॉसिंग, मुकुंदपुर चौराहा और मजलिस पार्क मेट्रो स्टेशन शामिल है।

ट्रायल रूट 2: अक्षरधाम से मयूर विहार फेज-III

अक्षरधाम मेट्रो स्टेशन, दिल्ली पुलिस अपार्टमेंट, नोएडा मोड़, ⁠मयूर विहार फेज-1 मेट्रो स्टेशन, मयूर विहार फेज-1 एसटीए अथॉरिटी, मेट्रो स्टेशन पॉकेट-ए गुरुद्वारा, त्रिलोक पुरी-36 ब्लॉक⁠, त्रिलोक पुरी-26 ब्लॉक, त्रिलोक पुरी-13 ब्लॉक⁠, चांद सिनेमा, सुपर बाज़ार⁠, ⁠कल्याण पुरी चौराहा, कोंडली मोड़, ⁠राजबीर कॉलोनी पुल नंबर-1, ⁠बड़ी मस्जिद पुल नंबर-2, ⁠ग़ाज़ीपुर थाना, घरोली एक्सटेंशन, ⁠सपेरा बस्ती और मयूर विहार फेज-III पेपर मार्केट।

दिल्ली सरकार ने मोहल्ला बसों की पार्किंग और रखरखाव के लिए पूरी दिल्ली में 16 डिपो बनाए हैं।

मोहल्ला बसों के लिए डिपो

पूर्वी ज़ोन

-गाजीपुर डिपो में 60 मोहल्ला बसें होंगी।

-⁠ईस्ट विनोद नगर में 180 मोहल्ला बसें होंगी।

पश्चिम ज़ोन

-द्वारका मुख्य डिपो में 40 मोहल्ला बसें होंगी।

– द्वारका सेक्टर 2 डिपो में 180 मोहल्ला बसें होंगी।

– केशोपुर डिपो 180 मोहल्ला बसों को समायोजित करेगा।

-पीरागढ़ी डिपो में 135 मोहल्ला बसें होंगी।

-शादीपुर डिपो में 230 मोहल्ला बसें होंगी।

-द्वारका सेक्टर 9 डिपो में 20 मोहल्ला बसें होंगी।

दक्षिण ज़ोन

– कुशक नाला डिपो में 350 मोहल्ला बसें होंगी।

-अंबेडकर नगर डिपो में 180 मोहल्ला बसें होंगी।

उत्तरी ज़ोन

-मुंडका डिपो में 60 मोहल्ला बसें होंगी।

-नांगलोई डीएमआरसी में 60 मोहल्ला बसें होंगी।

-नांगलोई डीटीसी डिपो में 180 मोहल्ला बसें होंगी।

-रिठाला डिपो में 70 मोहल्ला बसें होंगी।

-कोहाट एन्क्लेव डिपो में 35 मोहल्ला बसें होंगी।

-नरेला बस डिपो में 180 मोहल्ला बसें होंगी।

मोहल्ला बस योजना दिल्ली के सार्वजनिक परिवहन और लास्ट माइल कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, खासकर उन इलाकों में जहां बड़ी बसों को परिचालन संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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