मध्यप्रदेश: राजनीति में अहम किरदारों की चर्चा की जाए, तो मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ का नाम अहम है। उन्होंने कांग्रेस के वनवास को मध्यप्रदेश में खत्म कर एक बार फिर सत्ता में स्थापित किया था। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों द्वारा बगावत किए जाने से उनकी सरकार गिर गई थी।
ऐसे में मध्य प्रदेश में कांग्रेस एक बार फिर विपक्ष की भूमिका में हैं। बता दें कि कमलनाथ कांग्रेस के करीबियों में गिने जाते हैं। आज यानी की 18 नवंबर को वह अपना 77वां जन्मदिन मना रहे हैं। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर कमलनाथ के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक घटनाओं के बारे में…
जन्म और शिक्षा
उत्तर प्रदेश में कानपुर के खालसी लाइन में 18 नवंबर 1946 को कमलनाथ का जन्म हुआ था। उनकी शुरूआती शिक्षा भी कानपुर में पूरी हुई। कमलनाथ के पिता महेंद्रनाथ और लीला नाथ अपने बेटे के पढ़ा-लिखाकर वकील बनाना चाहते थे। वहीं बाद में कमलनाथ के माता-पिता कानपुर छोड़ कलकत्ता चले गए। जिसके बाद सेंट जेवियर कॉलेज कोलकाता से कमलनाथ ने कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया। फिर साल 2006 में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर ने उनको डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया।
राजनीतिक करियर
साल 1968 में वह कांग्रेस में शामिल हुए और साल 1976 में कमलनाथ को उत्तर प्रदेश युवक कांग्रेस का प्रभार मिला। जिसके बाद साल 1970-81 तक वह अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे। साल 1979 में कमलनाथ पहली बार छिंदवाड़ा से सांसद चुने गए। इसके बाद वह साल 1984, 1990, 1991, 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। साल 1991-94 तक वह केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्री, 1995-96 केंद्रीय कपड़ा मंत्री, 2004-08 तक केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्री, 2009-11 तक केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री और 2012- 14 तक शहरी विकास व संसदीय कार्य मंत्री रहे।
सियासी सफर का अहम पड़ाव
कांग्रेस के साथ कमलनाथ के रिश्ते का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकते हैं कि भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी कमलनाथ को अपना तीसरा बेटा कहती थीं। वहीं कमलनाथ और संजय गांधी की दोस्ती काफी गहरी थी। जब साल 1979 में कमलनाथ ने मोरारजी देसाई की सरकार से मुकाबले में मदद की थी। वहीं तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी लोकसभा सीट के प्रत्याशी कमलनाथ के लिए चुनाव प्रचार करने आई थीं। उस दौरान इंदिरा गांधी ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि कमलनाथ उनके तीसरे बेटे हैं। इसलिए उनको वोट दें।
हवाला कांड का आरोप
कमलनाथ पर साल 1996 में हवाला कांड के आरोप लगे थे। तब कांग्रेस द्वारा कमलनाथ की पत्नी अलकानाथ को टिकट देकर छिंदवाड़ा से उतारा गया था। इस दौरान वह चुनाव जीत हईं और अगले साथ हुए उपचुनाव में कमलनाथ को हार का सामना करना पड़ा। कमलनाथ को छिंदवाड़ा से सिर्फ एक बाद हार मिली है। हांलाकि इस हार के पीछे काफी दिलचस्प वजह बताई जाती है। कमलनाथ जब चुनाव हारे तो तुगलक लेन पर स्थित मिले बंगले को खाली करने का नोटिस मिला।
वहीं इससे पहले कमलनाथ ने प्रयास किया कि वह बंगला उनकी पत्नी अलका नाथ के नाम अलॉट हो जाए। लेकिन नियम के अनुसार, पहली बार चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी को उतना बड़ा बंगला नहीं अलॉट किया जाता था। लेकिन 1 साल बाद जब हवाला कांड का मामला ठंडा हुआ, तो कमलनाथ ने पत्नी से इस्तीफा दिलवा दिया। लेकिन उसके बाद हुए उपचुनाव में सुंदर लाल पटवा ने कमलनाथ को हरा दिया।