नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र को संविधान के तहत अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आनुपातिक प्रतिनिधित्व के लिए एक नया परिसीमन आयोग गठित करने का निर्देश दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि वह संसद को इसके लिए संशोधन करने या कानून बनाने का निर्देश नहीं दे सकते, क्योंकि यह विधायी क्षेत्र में दखल देना होगा।
पीठ ने कहा कि कोर्ट के लिये यह निर्देश देना कि आरक्षण को बढ़ाया जाए तथा संसद को अनुसूचित जनजातियों सहित सभी अन्य समुदायों के लिये अनुपातिक प्रतिनिधित्व देने संबंधी कानून बनाना चाहिए, कानून बनाने के अधिकार क्षेत्र में दखल देना होगा।
याचिका पर पीठ ने दिया यह निर्देश
सिक्किम और पश्चिम बंगाल की विधानसभाओं में लिम्बु और तमांग आदिवासी समुदायों के आनुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग करने वाली याचिका पर प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने निर्देश जारी किया।
पीठ ने कहा कि हमने स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र को परिसीमन आयोग का गठन करना होगा। इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के पास संसद द्वारा अधिनियमित कोई भी प्रविधान असंवैधानिक है या नहीं, न्यायिक समीक्षा का अधिकार है।
बंगाल विधानसभा में समुदायों के आनुपातिक प्रतिनिधित्व से निपटते के लिए पीठ ने कहा कि उसे परिसीमन अधिनियम, 2002 के तहत शक्ति का उपयोग करने की आवश्यकता होगी। यह कानून राज्य विधानसभाओं में सीटों के पुन: आवंटन का प्रविधान करता है।