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Jaunpur News : एक महत्वपूर्ण परिवारिक विवाद मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को निर्धारित की गई है। इस मामले में पहले 20 नवंबर को जिला जज की अदालत में निगरानी दाखिल की गई थी, जिसमें अदालत ने मामले की जटिलता और दोनों पक्षों के तर्कों को ध्यान में रखते हुए इस पर विचार करने का निर्णय लिया था। इस मामले में पति-पत्नी के बीच भरण-पोषण भत्ते को लेकर विवाद चल रहा था, और अदालत ने इस पर विस्तार से विचार किया। निगरानी दाखिल होने के बाद, अदालत ने दोनों पक्षों को अपने दावे और साक्ष्य पेश करने के लिए समय दिया था।अगली सुनवाई में, अदालत ने सभी दस्तावेजों और साक्ष्यों को फिर से ध्यानपूर्वक देखने का आदेश दिया है और इस मामले में अंतिम निर्णय तक पहुंचने के लिए तर्क और तथ्यों की समीक्षा की जाएगी।यह सुनवाई इस विवाद में एक अहम मोड़ साबित हो सकती है, जिससे भविष्य में ऐसे मामलों में साफ दिशा और न्याय की उम्मीदें जताई जा रही हैं।सभी मामलों में न्याय सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया जाता है..
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अटाला मस्जिद मामले में वक्फ अटाला मस्जिद ने वाद के क्षेत्राधिकार के संबंध में सिविल कोर्ट के जज के आदेश के खिलाफ जिला जज की अदालत में 20 नवंबर को निगरानी दाखिल की। कोर्ट ने इसे स्वीकृत कर लिया। शनिवार को स्वराज वाहिनी की तरफ से निगरानी याचिका में अधिवक्ता ने आपत्ति दाखिल की। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 15 अप्रैल की तिथि तय की।
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पूर्व में वक्फ अटाला मस्जिद ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था कि वादी स्वराज वाहिनी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष का दावा क्षेत्राधिकार के अभाव में पोषणनीय नहीं है। कोर्ट ने अटाला मस्जिद का प्रार्थना पत्र निरस्त कर दिया था और जवाबदेही, अमीन रिपोर्ट आदि की सुनवाई के लिए तिथि तय की। इसी आदेश के खिलाफ वक्फ अटाला मस्जिद के सचिव ने जिला जज की अदालत में निगरानी दाखिल की थी। स्वराज वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा ने पीस कमेटी जामा मस्जिद (अटाला मस्जिद) मोहल्ला सिपाह के खिलाफ वाद दायर किया। कहा कि 13 वीं शताब्दी में राजा विजय चंद्र जी ने अटला देवी की मूर्ति स्थापित कर मंदिर बनवाया था। इसमें लोग पूजा कीर्तन करते थे। 13 वीं शताब्दी में फिरोज शाह तुगलक ने जौनपुर पर आक्रमण किया। जौनपुर पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया।
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उसने अटला देवी मंदिर में तोड़फोड़ की। उसकी भव्यता नष्ट कर दी। हिंदू धर्मावलंबी के प्रबल विरोध के कारण वह उसे पूरी तरह तोड़ नहीं पाया और मंदिर के खंभों पर ही मस्जिद का दे आकार दिया। इसे ही वर्तमान में अटाला मस्जिद का दावा किया जाता है। सनातन धर्म के व्यक्तियों का वहां प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया। अटाला मस्जिद अटला देवी का मंदिर है, यह तथ्य इतिहासकार अबुल फजल की रचना आईने अकबरी एवं अन्य रचनाओं में पूर्णतया स्पष्ट है। मंदिर के खंभों इत्यादि पर आज भी हिंदू स्थापत्य एवं वास्तुकला तथा हिंदू रीति-रिवाज के चिह्न एवं अवशेष मौजूद हैं।