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Jaunpur News : प्रदेश के एक महत्वपूर्ण इलाके में स्थित शहर की तीन लाख की आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवाएं एक बड़ी चिंता का विषय बन गई हैं। यहां एक भी विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं है, जिससे लोगों को चिकित्सा सुविधाओं का उचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। स्थानीय अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को लेकर मरीजों और उनके परिजनों में निराशा का माहौल है। लोग गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए दूर-दराज के शहरों में जाने को मजबूर हैं, जो समय और पैसे की बर्बादी के साथ-साथ जोखिम भी बढ़ाता है।स्वास्थ्य विभाग ने इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने का आश्वासन दिया है, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति और स्वास्थ्य सुविधाओं के सुधार के लिए ठोस कदमों की आवश्यकता है। स्थानीय लोग इस स्थिति में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं।
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जिले की बदलापुर तहसील की आबादी करीब तीन लाख है, लेकिन यहां के अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) ऐसी हैं, जहां न तो चिकित्सक हैं और न ही फार्मासिस्ट, जिससे स्थानीय लोगों को बुनियादी चिकित्सा सेवाएं भी नहीं मिल पा रही हैं। सबसे बड़ी समस्या नवजात शिशु और बाल रोगियों के इलाज की है, जिन्हें उपचार के लिए जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। इस स्थिति से लोगों को भारी असुविधा हो रही है और उन्हें समय और पैसे की बर्बादी का सामना करना पड़ रहा है। बदलापुर ब्लॉक की कुल आबादी 2,74,350 है, जिसमें 1,35,802 महिलाएं और 1,38,545 पुरुष शामिल हैं। इसके बावजूद, इस क्षेत्र में चिकित्सा सेवाओं का अभाव बना हुआ है। बदलापुर में सीएचसी और सिंगरामऊ, नाभीपुर व जमऊपट्टी में पीएचसी की स्थापना की गई है, लेकिन वहां विशेषज्ञ डॉक्टरों की अनुपस्थिति से समस्याएं बढ़ रही हैं। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि अगर चिकित्सा सेवाओं को सुधारने के लिए जल्दी कदम नहीं उठाए गए, तो इस क्षेत्र में स्वास्थ्य के मोर्चे पर और अधिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
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सीएचसी व सिंगरामऊ में तो चिकित्सकों की तैनाती है लेकिन अन्य दो स्थानों पर न तो चिकित्सक हैं और न ही फार्मासिस्ट। वहीं किसी अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक की तैनाती नही है। ऐसी दशा में गंभीर रोगियों को जिला मुख्यालय का सहारा लेना पड़ता है। इतना ही नहीं बड़ी घटना व दुर्घटना में भी सभी अस्पताल सिर्फ रेफरल सेंटर बनकर रह जाते है। सबसे बड़ी समस्या नवजात शिशु व बाल रोगियों की है। ऐसी दशा में बच्चों के गंभीर होने पर जिला मुख्यालय पहुंचने तक कोई भी घटना घटित हो सकती है। जबकि पूर्व में उक्त सीएचसी पर हड्डी रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, जनरल सर्जन, एनेस्थीसिया, महिला रोग विशेषज्ञ आदि की तैनाती रहती थी। लगभग दो माह पहले एक महिला रोग विशेषज्ञ की तैनाती तो की गई लेकिन वे भीएक पखवारे से ट्रेनिंग पर है।जिले भर में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। इनकी तैनाती के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। जैसे ही नियुक्ति होगी सभी डॉक्टरों को तैनात कर दिया जाएगा।
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