इस शहर में नहीं मनाया जाता है दशहरा, रावण दहन करते ही आने लगती है विपदा; क्या है इसकी कहानी?

हिमाचल प्रदेश बैजनाथ एक ऐसा शहर है, जहां कहीं भी रावण का दहन नहीं किया जाता है. इस शहर के लोगों की ऐसी मान्यता है कि जो भी रावण दहन करेगा उसकी मौत हो जाएगी. कुछ ऐसा ही 70 के दशक में यहां हुआ था. कुछ लोगों ने 70 के दशक में रावण दहन किया था, लेकिन एक साल के अंदर ही रावण दहन करने वाले व्यक्ति की मौत हो गई थी. जबकि इस कार्यक्रम में शामिल लोग परेशान रहने लगे थे. यहां पर ऐसा एक या फिर दो बार नहीं हुआ बल्कि लगातार तीन बार हुआ था.

पूरे देश में रावण के पुतले को बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर जलाया जाता है, बैजॉनाथ में ऐसा नहीं होता है. बैजनाथ हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में का एक शहर है. इस शहर में भगवान शिव का हजारों साल पुराना बैजनाथ मंदिर है. इस शहर में रावण का पुतला दहन नहीं किया जाता है. ऐसा मानना है कि जो भी रावण दहन करता है उसकी मौत हो जाती है. इस डर से कई दशकों से यहां कोई भी रावण दहन नहीं करता है. यहां दशहरे वाले दिन गलिया सुनसान पड़ी रहती हैं.

रावण दहन के बाद हुई थी मौत
पिछले कई दशकों से बैजनाथ शहर में कोई रावण दहन नहीं कर रहा था. 70 के दशक में कुछ लोगों ने हिम्मत करके रावण दहन करने का निर्णय लिया. रावण दहन के लिए लोगों ने बैजनाथ मंदिर के सामने वाले मैदान को चुना. लोगों ने बड़ी ही खुशी के साथ पहली बार रावण दहन किया, लेकिन कुछ ही दिनों के बाद रावण दहन करने वाले व्यक्ति की मौत हो गई. साथ ही रावण दहन कार्यक्रम में शामिल अन्य लोग काफी परेशान रहने लगे. ऐसा एक या दो नहीं बल्कि तीन बार हुआ था.

रावण की तपोस्थली है बैजनाथ
लगातार हो रही मौत की घटना के बाद लोगों का ध्यान गया कि रावण भगवान शिव का परम भक्त था. वहीं, लोग रावण दहन बैजनाथ मंदिर के सामने वाले मैदान में कर रहे थे. लोगों का ध्यान इस तरफ गया कि कैसे कोई अपने भक्त को जलते हुए देख सकता है. बस फिर क्या था लोगों ने यहां रावण दहन करना पूरी तरह से बंद कर दिया. बैजनाथ मंदिर के पुजारी ने बताया कि बैजनाथ रावण की तपोस्थली है. यहीं पर रावण ने तपस्या की थी. इसी कारण से यहां रावण दहन नहीं होता है.

नहीं है कोई भी सुनार की दुकान
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह बैजनाथ रावण की तपोस्थली है. इसी वजह से यहां रावण नहीं जलाया जाता है, जो भी रावण जलाने की कोशिश करता है. उसकी मौत हो जाती है. सुनार की दुकान को लेकर भी लोगों का कहना है कि यहां कोई भी सुनार की दुकान है. यहां जो भी सुनार की दुकान खोलता है, उसकी दुकान नहीं चलती है. दुकान में आग भी लग जाती है.

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