अशोक भाटिया , मुंबई
डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने के तुरंत बाद, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना ने उन्हें बधाई संदेश भेजा। इस संदेश में हसीना ने ट्रंप की नेतृत्व क्षमता और अमेरिकी जनता द्वारा उन पर दिखाए गए विशाल विश्वास की सराहना की। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि ट्रंप के नए कार्यकाल में बांग्लादेश और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे।शेख हसीना का यह कदम बांग्लादेश की राजनीतिक परिदृश्य में खेला की वापसी का संकेत माना जा रहा है। हसीना इस समय दिल्ली में हैं, माना जा रहा है कि वो ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद अमेरिका का दौरा कर सकती हैं। इससे दोनों देशों के संबंधों को नई दिशा देने की संभावना है।
शेख हसीना का ट्रंप को भेजा गया यह संदेश को साधाराण या औपचारिक बधाई नहीं है। यह बांग्लादेश में उनकी सियासी वापसी की दिशा में एक रणनीतिक पहल भी माना जा रहा है। वहीं, बांग्लादेश सरकार के मौजूदा प्रमुख मोहम्मद यूनुस की क्लिंटन परिवार और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं से नजदीकी रिश्तों के चलते हसीना को ट्रंप प्रशासन में और भी समर्थन मिल सकता है।
यूनुस के अमेरिका में मजबूत संपर्क और बाइडेन प्रशासन में उनकी घनिष्ठता के बावजूद, हसीना का यह कदम कहीं न कहीं उन पर एक तरह का दबाव बना सकता है। अमेरिका के कूटनीतिक दबाव के कारण भारत के अलावा फिलहाल कोई अन्य देश शेख हसीना को मदद और वीजा देने में संकोच कर रहा है। ऐसे में, शेख हसीना के इस बधाई संदेश से साफ है कि वह अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने में सक्रिय हो गई हैं।
मौजूदा समय में बांग्लादेश के मुखिया बने मोहम्मद यूनुस को ट्रंप जरा भी पसंद नहीं करते। दरअसल यूनुस पर आरोप हैं कि 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में यूनुस ने ट्रंप के खिलाफ फंडिंग की थी, तब से ट्रंप उनसे नाराज हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दिवाली के मौके पर एक पोस्ट की थी। 2016 में ट्रंप जब पहली बार चुनाव जीते थे तब युनूस ने कहा था कि उनकी जीत सोलर एक्लिप्स की तरह है। उजाला एक दिन जरूर आएगा।
माना जा रहा है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद युनूस अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी के ज्यादा करीबी हैं। बिल क्लिंटन, बराक ओबामा, जो बाइडेन से उनकी ज्यादा बनती है। युनूस कई बार ट्रंप की आलोचना कर चुके हैं। ट्रंप ने हाल में बांग्लादेश के मौजूदा हालात पर कहा था कि वहां पर जो हो रहा है वो सही नहीं है। ट्रंप बांग्लादेशी हिंदू के लिए भी आवाज उठा चुके हैं। माना जा रहा है कि वो अब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार पर दबाव डालेंगे। वो बोलेंगे कि शेख हसीना की पार्टी पर जो भी एक्शन हो रहा है उसे बंद किया जाए। देश में जल्द से जल्द चुनाव कराया जाए और लोगों को ही फैसला लेने दिया जाए कि वो किसकी सरकार चाहते हैं।उसमें उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुई हिंसा और उनकी सुरक्षा का मुद्दा उठाया था। उन्होंने अमेरिका ही नहीं दुनियाभर के हिंदुओं की रक्षा का वादा किया था। ऐसे में माना जा रहा है कि ट्रंप बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमलों को लेकर मोहम्मद यूनुस को माफ करने के मूड में नही हैं।
अवामी लीग के आधिकारिक फेसबुक पेज पर जारी बयान में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने डोनाल्ड ट्रंप और मिलेनिया ट्रंप के साथ उनके पहले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान हुई मुलाकात को याद किया। साथ ही बांग्लादेश और संयुक्त राज्य अमेरिका की द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने की तरफ काम करने की इच्छा जताई।
गौरतलब है कि बांग्लादेश को लेकर डोनाल्ड ट्रंप की सोच उनके पहले राष्ट्रपति कार्यकाल में स्पष्ट हो गई थी। डोनाल्ड ट्रंप का बांग्लादेश के प्रति एक झुकाव है। वह बांग्लादेश का एक लोकतंत्र समर्थक देश के तौर पर देखते हैं। हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान जारी करके बांग्लादेश में हिंदूओं पर हो रहे हमलों को लेकर चिंता जाहिर की थी और इस मामले को अमेरिकी हिंदूओं को दिल के बेहद करीब बताया था। उन्होंने अमेरिका समेत पूरे विश्व में हिंदू समुदाय की अधिकारों की सुरक्षा करने की बात कही थी।
इसी कारण यह आशा जागी है कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत का सबसे ज्यादा असर जिन देशों पर होने वाला है, उनमें बांग्लादेश भी है। यह साबित हो चुका है कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक खास रणनीति के तहत शेख हसीना सरकार का तख्तापलट करवाया। उन्हें अपना ही देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। इससे भारत को झटका लगा। लेकिन बांग्लादेश की राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि ट्रंप की जीत से पूरा खेल बदलने वाला है। एक बार फिर बांग्लादेश में भारत का दबदबा होगा। यह जीत शेख हसीना के लिए भी खुशखबरी लेकर आई है। एक और बात बांग्लादेश की अंतरिम सरकार चला रहे मुहम्मद यूनुस डोनाल्ड ट्रंप के कटु आलोचक रहे हैं। कई बार उनके खिलाफ बयानबाजी भी की है। अब उनके भविष्य पर भी संकट खड़ा होगा।
ढाका ट्रिब्यून में कूटनीतिक मामलों के जानकार शफकत रब्बी ने इस पर एक लेख लिखा है। उन्होंने बताया कि ट्रंप की जीत का बांग्लादेश पर क्या असर होने वाला है। भारत से रिश्ते कैसे बदल जाएंगे। उन्होंने लिखा है, ट्रंप की विदेश नीति अमेरिका फर्स्ट रहने वाली है। लेकिन इसके बाद वे बाइडन युग के सभी विवादित मसलों को सुलझाएंगे। यूक्रेन संकट हो या अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर क्राइसिस या फिर मिडिल ईस्ट की स्थिति… बांग्लादेश के लिए उनका आना बेहद अहम है। क्योंकि बांग्लादेश में अब जो कुछ होगा, वह ट्रंप की रडार पर होगा।
उन्होंने कहा, बांग्लादेश में अमेरिका की मौजूदगी हमेशा से सॉफ्ट पावर के रूप में रही है। भारत हार्ड पावर के रूप में बांग्लादेश में सीधी दखल रखता था। शेख हसीना के साथ घनिष्ठ संबंध होने की वजह से भारत को हमेशा इसका लाभ मिला। लेकिन बाइडन की करतूत ने भारत-बांग्लादेश संबंधों पर पानी फेर दिया। ट्रंप की जीत के बाद भारत का दबदबा एक बार फिर बढ़ेगा। इतना ही नहीं, ट्रंप की जीत से शेख हसीना की पार्टी का भी मनोबल बढ़ेगा। वह फिर से सत्ता हासिल करने की कोशिश करेंगे। हालांकि, यह मनोवैज्ञानिक ही रहेगा। शेख हसीना और उनसे जुड़े लोग बांग्लादेश लौटेंगे, इसकी संभावना अभी तो नजर नहीं आती।
शफकत रब्बी ने लिखा, शेख हसीना के रणनीतिकार बीजेपी से जुड़े प्रवासी भारतीयों के माध्यम से ट्रंप प्रशासन तक आसानी से पहुंच बना लेंगे। बाइडन प्रशासन ऐसा कर पाना उनके लिए काफी मुश्किल था। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न और बढ़ते इस्लामी आतंकवाद का जिक्र कर वे ट्रंप को समझाने की कोशिश करेंगे कि फिर शेख हसीना को वहां भेजने की कोशिश की जाए। इसके बाद ट्रंप सरकार शेख हसीना की बांग्लादेश वापसी का दबाव बना सकती है।
डोनाल्ड ट्रंप खुलकर कह चुके हैं कि बांग्लादेश में हिन्दुओं का उत्पीड़न वे बर्दाश्त नहीं करने वाले। अब उसका असर साफ-साफ दिखेगा। बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथ और हिन्दुओं के उत्पीड़न से जुड़ी बातें अब उनके पास सीधे-सीधे जाएंगी। शेख हसीना के सहयोगियों और ट्रंप प्रशासन में सीधा दखल रखने वाले प्रवासी भारतीयों के बीच घनिष्ट रिश्ता है। इसका वे फायदा उठाएंगे। बताएंगे कि किस तरह बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथ बढ़ रहा है। ट्रंप अपने पहले कार्यकाल में भी इस्लामी कट्टरपंथ के खात्मे की बात कहते रहे हैं। वहां की मीडिया का रुख भी बदल जाएगा और इन सबका फायदा शेख हसीना की पार्टी को मिलने वाला है।