नई दिल्ली। ईरान एक बार फिर भले ही अमेरिका व कुछ पश्चिमी देशों के निशाने पर हो लेकिन भारत उसके साथ अपने पारंपरिक रिश्तों को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। विदेश मंत्री एस जयशंकर ईरान की यात्रा पर हैं। सोमवार को विदेश मंत्री की मुलाकात ईरान के सड़क व शहरी विकास मंत्री मेहरदाद बर्जपाश से मुलाकात की और दोनो के बीच चाबहार पोर्ट को आगे बढ़ाने को लेकर बातचीत हुई।
बाद में जयशंकर की द्विपक्षीय बैठक ईरान के विदेश मंत्री होसैन आमिर-अबदोल्लाहियान के साथ हुई जिसमें सभी द्विपक्षीय मुद्दों के साथ चाबहार पोर्ट को लेकर भी बात हुई है। चाबहार पोर्ट को आगे विकसित करने को लेकर दोनों देशों के बीच समझौता भी हुआ है।
‘हमारी बातचीत काफी विस्तार से हुई’
बर्जपाश के साथ मुलाकात के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर बताया है कि, “हमारी बातचीत काफी विस्तार से हुई जो काफी महत्वपूर्ण रही। चाबहार पोर्ट को लेकर लंबे समय तक सहयोग का एक फ्रेमवर्क बनाने पर बातचीत हुई है। नार्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कारीडोर (एनएसटीसी) पर भी बातचीत हुई है।”
क्षेत्र में जहाजों की सुरक्षा का भी उठा मुद्दा
विदेश मंत्री के साथ हुई वार्ता के बारे में भी जयशंकर ने बताया कि इसमें भी चाबहार व एनएसटीसी का मुद्दा प्रमुख रहा। साथ ही दोनो विदेश मंत्रियों के बीच इस क्षेत्र में जहाजों की सुरक्षा का मुद्दा भी उठा। जयशंकर ने कहा है कि, “यह जरूरी है कि इस विवाद का शीघ्रता से समाधान हो।” अभी पिछले कुछ हफ्तों से लाल सागर से गुजरने वाले वाणिज्यिक जहाजों पर यमन स्थित हूति आतंकियों की तरफ से हमला करने की कई घटनाएं हुई हैं।
ईरान के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
वहीं, ईरान के विदेश मंत्री होसैन आमिर-अबदोल्लाहियान ने अपने एक्स पोस्ट में कहा कि आज मैंने भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंका की मेजबानी की। उन्होंने कहा कि हमने नवीनतम क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास, फलस्तीनियों पर इजरायली नरसंहार पर बातचीत की। उन्होंने कहा कि हमने बैठक में शंघाई संगठन और ब्रिक्स के भीतर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों के विस्तार पर चर्चा की।
आतंकी ईरान की मदद से कर रहे हैं हमला- अमेरिका
अमेरिका का आरोप है कि ये आतंकी ईरान की मदद से हमला कर रहे हैं। भारत ने भी इस पर कई बार गंभीर चिंता जताई है क्योंकि इस मार्ग से काफी सारा सामान आयात व निर्यात होता है। ईरान हाल ही में ब्रिक्स संगठन का सहयोग बना है और इस पर भी दोनो विदेश मंत्रियों की वार्ता हुई है।
पोर्ट का पहला चरण भारत ने किया स्थापित
संकेत है कि चाबहार पोर्ट को विकसित करने को लेकर भारत का रवैया अब पहले के मुकाबले ज्यादा सक्रिय हो रहा है। इस पोर्ट का पहला चरण भारत ने स्थापित किया है और इसका वाणिज्यिक इस्तेमाल भी हो रहा है लेकिन इसकी रफ्तार धीमी है। एक बड़ी वजह यह है कि अमेरिका के नेतृत्व में ईरान पर अभी प्रतिबंध लगा हुआ है जिससे अधिकांश भारतीय कंपनियां वहां निवेश नहीं कर सकती। इस वजह से ईरान के तेल व गैस फील्ड में भारतीय कंपनियों का निवेश करने का मामला भी अटका हुआ है।