हरियाणा में त्याग के बदले सपा कांग्रेस से क्या -क्या चाहती है ?

अशोक भाटिया

हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का बड़ा बयान सामने आया है। दरअसल अभी तक सुगबुगाहट थी कि हरियाणा में इंडी गठबंधन के तहत सपा 17 सीटों की मांग कर रही है। माना जा रहा था कि इस बंटवारे का सीधा असर इसके बाद होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा की 10 सीटों के उपचुनाव के सीट बंटवारे पर भी पड़ेगा। उपचुनाव के लिए कांग्रेस का प्रदेश नेतृत्व 5 सीटों पर दावेदारी कर रहा है। लेकिन शुक्रवार को अखिलेश यादव ने एक्स पर अपनी पोस्ट में साफ कर दिया कि हम हरियाणा के हित के लिए किसी भी तरह के त्याग के लिए तैयार हैं। बात सीट की नहीं जीत की है। यानी जो जहां से मजबूत होगा, उसे इंडी गठबंधन का दूसरा दल समर्थन देगा।

दरअसल लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतने के बाद से अखिलेश यादव राष्ट्रीय फलक पर सपा को पहचान दिलाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके लिए वो पहले  हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। हरियाणा की सपा प्रदेश इकाई ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया था। सपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र भाटी ने अखिलेश यादव को 17 सीटों का ब्यौरा भी भेज दिया था। जुलाना, सोहना, बावल, बेरी, चरखी-दादरी और बल्लभगढ़ जैसी सीट पर सपा की नजर थी।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव की कोशिश हरियाणा में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की थी । इसके लिए कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के साथ सीटों को लेकर उनकी बातचीत भी चल रही थी। हालांकि, कांग्रेस एक सीट से ज्यादा सपा को देने के पक्ष में नहीं थी। ऐसे में अखिलेश ने हरियाणा चुनाव लड़ने से पीछे हट गए हैं। ट्वीट करके कहा कि हमारे या इंडिया गठबंधन के किसी भी घटक दल के लिए, यह समय अपनी राजनीतिक संभावना तलाशने का नहीं, बल्कि त्याग और बलिदान देने का है। हरियाणा के हित में सपा बड़े दिल से हर त्याग के लिए तैयार हैं। बीजेपी को हराने में इंडिया गठबंधन के साथ अपने संगठन और समर्थकों की शक्ति को जोड़ देंगे। उन्होंने  आगे लिखा है कि पिछले 10 सालों में भाजपा ने हरियाणा के विकास को बीसों साल पीछे ढकेल दिया है। हम मानते हैं कि हमारे या इंडिया एलायंस के किसी भी दल के लिए, ये समय अपनी राजनीतिक संभावना तलाशने का नहीं है बल्कि त्याग और बलिदान का है। जनहित के परमार्थ मार्ग पर स्वार्थ के लिए कोई जगह नहीं होती। कुटिल और स्वार्थी लोग कभी भी इतिहास में अपना नाम दर्ज नहीं करा सकते हैं। ऐसे लोगों की राजनीति को हराने के लिए ये क्षण, अपने से ऊपर उठने का ऐतिहासिक अवसर है। हम हरियाणा के हित के लिए बड़े दिल से, हर त्याग-परित्याग के लिए तैयार हैं। इंडिया एलायंस की पुकार, जनहित में हो बदलाव! 

अखिलेश ने हरियाणा चुनाव से अपने कदम पीछे खींचकर कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए पूरा मैदान दे दिया है। मध्य प्रदेश के 2023 चुनाव में कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग पर बात न बनने के बाद सपा ने 71 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए थे। अब हरियाणा में समझौते से पहले ही सपा विधानसभा चुनाव लड़ने से सिर्फ पीछे ही नहीं हटी बल्कि कांग्रेस को पूरा समर्थन करने का भी भरोसा दिया है। सपा प्रमुख ने हरियाणा में जिस तरह त्याग दिखाया है, क्या कांग्रेस यूपी में बड़ा दिल दिखा पाएगी और महाराष्ट्र में सम्मानजनक सीट देगी?

उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि कांग्रेस उपचुनाव में 10 में 5 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इसे लेकर जब अखिलेश यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 50-50 तो बिस्किट आता है। सपा की कोशिश अपनी पांच विधानसभा सीटों पर जीत को बरकरार रखने के साथ एनडीए पाले वाली पांच विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाने की है। ऐसे में अखिलेश कांग्रेस को उपचुनाव में एक से दो सीटें ही देने के मूड में है।

2024 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में छह सीटें जीतने के बाद से कांग्रेस के हौसले बुलंद है। इसके चलते ही कांग्रेस को यूपी की सियासत में दोबारा से खड़े होने की उम्मीद दिखने लगी है। इसके लिए वह 2027 के विधानसभा चुनाव में अपने लिए बड़ा अवसर तलाश रही है। राहुल गांधी लगातार यूपी के दौरे कर रहे है। ऐसे में कांग्रेस उपचुनाव में पांच सीटों पर दावा कर रही है। 2024 में 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने 2027 विधानसभा चुनाव में 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मंसूबा बना रखा है।

हालांकि, हरियाणा में जिस तरह से कांग्रेस मजबूत है, उसी तरह यूपी में सपा की स्थिति है। हरियाणा में सपा कमजोर है तो यूपी में कांग्रेस की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है। अखिलेश यादव ने हरियाणा में कांग्रेस के साथ सीट की बार्गेनिंग करने के बजाय बीजेपी को हराने के लिए हर त्याग-परित्याग देने की बात कही है, क्या उसी तरह से यूपी उपचुनाव में भी कांग्रेस बड़ा दिल दिखा पाएगी। कांग्रेस पांच सीटों पर उपचुनाव लड़ने की जिद छोड़ेगी, क्योंकि उपचुनाव को 2027 के विधानसभा का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है।

लोकसभा चुनाव में बदली रणनीति के तहत उतरी सपा ने बीजेपी को करारी मात दी थी। अखिलेश यादव अब विधानसभा उपचुनाव में सपा के मोमेंटम को बरकरार रखने की कोशिश में है। इसके जरिए वो विधानसभा चुनाव 2027 की रूपरेखा तय करने की कोशिश करते दिख रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने पांच सीटों की डिमांड करके चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में अखिलेश यादव ने हरियाणा चुनाव में इंडिया गठबंधन को समर्थन करके कांग्रेस पर यूपी उपचुनाव और महराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए दबाव बना दिया है।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सपा करीब 10 सीटों पर अपना दावा ठोक रही है। अखिलेश यादव ने अपने वरिष्ठ नेता माता प्रसाद पांडेय, विधायक लकी यादव, तूफानी सरोज और इंद्रजीत सरोज को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी नियुक्त कर रखा। महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष अबु आसिम आजमी एक बड़ा चेहरा है। अबु आजमी पिछले दिनों सपा के सभी सांसदों का मुंबई में स्वागत समारोह कर मोमेंटम बनाने का काम कर चुके हैं। पार्टी के अभी वहां दो विधायक हैं।

सपा ने महाराष्ट्र में मुस्लिम बहुल और उत्तर भारतीय मतदाताओं वाली सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है, जिसके लिए पार्टी ने उम्मीदवारों के नाम भी लगभग तय कर लिए हैं। मुंबई और उससे सटे ठाणे जिले की सीटों पर पार्टी की नजर है। मुंबई की मानकोर शिवाजी नगर, भायखला, वर्सोवा और इससे सटे ठाणे की भिवंडी ईस्ट और भिवंडी वेस्ट के अलावा महाराष्ट्र की धूलिया और औरंगाबाद जैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी की है। मानकर शिवाजी नगर सीट से सपा के अबु आजमी और भिवंडी ईस्ट से रईस शेख पार्टी के मौजूदा विधायक हैं। इस बार सपा महाराष्ट्र में अपने विधायकों की संख्या में इजाफा करना चाहती है।

हरियाणा में त्याग के बदले सपा यूपी उपचुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक सीटें चाहती है। हरियाणा में चुनाव प्रदर्शन और जमीन के आधार पर जिस तरह राज्य में सपा को सीटें नहीं मिली हैं, उसी तरह यूपी उपचुनाव में कांग्रेस के लिए दबाव बना दिया है। कांग्रेस यहां पांच सीटों पर दावा कर रही है, लेकिन एक से अधिक सीट उसको मिलनी मुश्किल होगी। हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी कांग्रेस से बात नहीं बनी, तो इसका असर उत्तर प्रदेश की सियासत में दोनों दलों की दोस्ती पर भी पड़ सकता है।

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