कीटनाशक, प्रदूषण और शिकार के घट रहे सारस

उन्नाव। जिले में सारसों की संख्या तेजी से घट रही है। ग्रीष्मकालीन गणना में जिले भर में सिर्फ 12 सारस ही चिह्नित हुए हैं। जबकि दिसंबर में हुई गणना में इनकी संख्या 14 थी।
शहीद चंद्रशेखर आजाद पक्षी विहार में सारस की दो दिवसीय ग्रीष्मकालीन गणना हो गई है। प्रदेश के राजकीय पक्षी सारस संरक्षण ने गणना के आदेश दिए थे। रेंजर विवेक सिंह ने बताया कि गणना हर साल दो बार पूरे प्रदेश में एक साथ की जाती है। ग्रीष्मकालीन गणना जून और शीतकालीन दिसंबर में होती है। इस बार पूरे प्रदेश में 20 व 21 जून को एक साथ सारसों की गणना कराई गई। बताया कि सारस की उपलब्धता वाले दक्षिणी और उत्तर दिशा के स्थलों को चिह्नित किया गया था। तीन टीमों का गठन करके झील क्षेत्र में भेजा गया था। तीनों टीमों ने एक साथ सुबह छह से आठ व शाम चार से छह बजे तक गणना की।

बताया कि सारस ज्यादातर नम भूमि वाले खेतों, सीपेज इलाकों में तालाबों के अलावा वेटलैंड और झीलों के किनारे पाए जाते हैं। अपेक्षा के अनुसार इनकी संख्या न बढ़ने का सबसे बड़ा कारण खेतों में बड़ी मात्रा में कीटनाशक का इस्तेमाल है। इसकी वजह से अनाज और पानी विषैला हो रहा है जो सारसों की वृद्धि में बाधक है। वर्ष 2023 में हुई ग्रीष्मकालीन गणना में उत्तर प्रदेश में 19,522 सारस थे। पिछले वर्ष दिसंबर में जिले में इनकी संख्या 14 थी। जल प्रदूषण और शिकार की वजह से जिले में सारस की घटकर 12 बची है। जलाशयों पर शिकारी जहरीले दाने बिखेर कर सारस को जाल में फंसाकर शिकार कर लेते हैं।
यह पक्षी अपनी बनावट और आकर्षण के लिए जाना जाता है। नर-मादा 12 सारस चिह्नित किए गए हैं। रिपोर्ट प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) लखनऊ को भेजी जाएगी।

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