वैश्विक व्यवस्था में भारत की स्थिति ‘विश्व मित्र’ और ‘विश्व बंधु’ जैसी : सीडीएस

  • नई दिल्ली में रक्षा खुफिया एजेंसी ने किया विदेश सेवा अताशे सम्मेलन

नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने वैश्विक व्यवस्था में भारत की स्थिति ‘विश्व मित्र’ और ‘विश्व बंधु’ जैसी बताई है। उन्होंने भारत की रक्षा के चार अलग-अलग क्षेत्रों अर्थात परिचालन तैयारियों, आधुनिकीकरण, परिवर्तन और स्वदेशीकरण पर प्रकाश डालते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के सबसे हिंसक दशक में राष्ट्रों के बीच संघर्षों को रोकने के लिए बल का उपयोग करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।

सीडीएस जनरल चौहान बुधवार को नई दिल्ली के मानेकशा सेंटर में हेड क्वार्टर इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ की रक्षा खुफिया एजेंसी की ओर से आयोजित विदेश सेवा अताशे के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सीडीएस ने सैन्य कूटनीति के महत्व को स्पष्ट किया, जिसमें विदेश सेवा अताशे की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने कहा कि बढ़ती अनिश्चितता और असुरक्षा राष्ट्रों को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति को नवीनीकृत करने और रक्षा पर खर्च बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है। उन्होंने डेटा केंद्रित युद्ध के महत्व और युद्ध में क्रांति लाने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर जोर दिया। सीडीएस ने रक्षा क्षमता विकास और रणनीतिक स्वायत्तता के लिए भारत की आत्मनिर्भरता के बारे में जानकारी दी।

रक्षा खुफिया एजेंसी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डीएस राणा ने बताया कि भारत की रक्षा कूटनीति प्रकृति के साथ-साथ भौगोलिक कवरेज के मामले में लगातार विस्तार कर रही है, जिसमें सुरक्षा सहयोग एक प्रमुख घटक है। उन्होंने रक्षा में आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला और एफएसए से आधुनिकीकरण कार्यक्रमों में प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करने का आग्रह किया।

लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला (सेवानिवृत्त) ने ‘भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा: चुनौतियां और अवसर’ पर बात की। वाइस एडमिरल प्रदीप चौहान (सेवानिवृत्त) ने ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र प्रतिस्पर्धा, सहयोग और चुनौतियां’ पर विचार-विमर्श किया। लेफ्टिनेंट जनरल राकेश शर्मा (सेवानिवृत्त) ने ‘ग्रे जोन युद्ध और सुरक्षा गतिशीलता पर प्रभाव’ पर जानकारी दी।

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