भारतीय नव वर्ष, विक्रम संवत २०८१ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ९ अप्रैल २०२४ से प्रारम्भ हो रहा है। इस बार का यह हिन्दू नव वर्ष कई महत्वाकांक्षी बिन्दुओं को रेखांकित करता हुआ दिख रहा है। जहां भारतीय जनमानस एक ओर हिन्दू नव वर्ष के स्वागत के लिए लालायित है। हर वर्ष यह नववर्ष दैवीय शक्तियों से युक्त होकर अपनी आभा बिखेरता है और समाज में सकारात्मकता, अध्यात्मिकता, समरसता के सूर्योदय के साथ अवतरित होता है। वहीं इस बार भारतीय राजनीति को भी अपनी रश्मि प्रभा से पोषित कर रहा है। वर्तमान में भारतीय राजनीति का परिदृश्य बहुत कुछ बदला – बदला परिलक्षित हो रहा है। जिस प्रकार मकर संक्रांति के बाद से दिन प्रतिदिन भगवान भास्कर का ताप बढ़ना शुरु हो जाता है उसी प्रकार इस वर्ष देश में लोक सभा निर्वाचन की तिथियां घोषित होते ही चुनावी सरगर्मी का पारा चढ़ रहा है। वर्तमान का यह लोकसभा का चुनाव भारतीय राजनीति में कई अहम बदलाओं की भूमिका अदा करने वाला है। सत्ता में पिछले ईस्वी सन् २०१४ से भारतीय जनता पार्टी ने अपने मजबूत इरादों, भारतीयता से पोषित विचारों, भारतीय मानबिंदु को संल्कप में समावेसित कर आगे बढ़ रही है जिसकी धाक आज सम्पूर्ण विश्व में दिखाई दे रही है।
वहीं कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी होने के बावजूद चारो खाने चित्त होती नजर आ रही है। क्योंकि कारण साफ है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से कांग्रेस पार्टी की विचारधारा तुष्टिकरण, भारतीय मानबिंदु से परे, हिंदुत्व को दरकिनार कर, ढुलमुल रवैए के साथ चलने पर आज भारत विरोधी उसकी मानसिकता जग जाहिर हो रही है। आज भारतीय राजनीति भारत की विचार परम्परा से आगे बढ़ रही है जो हर ओर सर्व समाज में स्वीकार्य होती दिखाई देती है। वर्तमान मोदी सरकार पिछले १० वर्षो में भारत की स्थिति को काफी हद तक मजबूती प्रदान की है। मोदी के अथक परिश्रम, दृढ़ संकल्प, आत्मविश्वास, त्वरित निर्णय की छमता ने भारत के आत्म विश्वास को जागृत किया है। आज भारत दुनिया के सामने अपने पूरे ताकत, आत्मविश्वास के साथ खड़ा है , भारत सम्पूर्ण विश्व के मार्गदर्शन की भूमिका निर्वहन करने की स्थिति में है। भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र की सरकार जवाहर लाल नेहरू द्वारा जम्मू कश्मीर में रोपी गई ३७०, ३५ ए जैसी विष बेल को समाप्त करना, राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण, तीन तलाक, सी. ए. ए. , एन.आर.सी. जैसे राष्ट्रीय कार्यों को पूरित कर अपने चुनावी संकल्प पत्र को पूर्ण कर देश में सामाजिक सौहार्द का वातावरण स्थापित करने में सफल हुई है। भारत सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी, सर्वजन हिताय – सर्वजन सुखाय की नीति से आज सामाजिक, आर्थिक, स्वावलंबन, शिक्षा, चिकित्सा, आवास, रोज़गार, विद्युत, विकास, यातायात, कृषि आदि क्षेत्रों में नए सोपान स्थापित किया है। इस लिए वर्तमान के चुनाव इस सब संकल्पों में धुरी का काम करने वाले हैं। विरोधी दलों ने जो इंडी गठबंधन बनाया है उसके भी परखच्चे उड़ने लगे हैं
अब मोदी विरोधी दल मोदी हटाओ नारे के साथ भारत में ‘ फूट डालो राज करो’ अंग्रेजों की कुटिल मानसिकता को अपनाकर वैमनस्य फैलाकर सत्ता में आने का दिवा स्वप्न देख रहे हैं। यह भारतीय नव वर्ष इस ओर भी इंगित कर रहा है कि यह नव वर्ष भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की कड़ी का नव वर्ष होगा। यह नववर्ष का चुनावी माहौल भारत में सबसे अहम भूमिका को निभाने वाला है। एक तरफ विपक्ष भाजपा के विरासत की राजनीति को सांप्रदायिक करार दे रहा है और दूसरी तरफ भाजपा विरासत के वैभव से आर्थिक विकास का ऐसा ढांचा खड़ा करने की कोशिश कर रही है जिसमें आर्थिक मजबूती के साथ – साथ भारतीय जीवन मूल्य अपने वैभव के साथ पुनः जीवंत हो। ऐसे में विक्रम संवत २०८१ ऐसा संवत्सर होगा जहां बदलाव की लकीर पत्थर पर खींची जाएगी। तीसरी बार फिर से बहुमत के साथ मोदी सरकार बनती है तो वह न सिर्फ लोककल्याणकारी योजनाओं की जमीन तक पहुंच का सबूत और विकसित भारत के सपनों के संकल्प की पूर्णाहुति फलीभूत होगी, बल्कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद ३७०, ३५ ए को रद किए जाने, तीन तलाक को अवैध करार दिए जाने की तरह ही समान नागरिक संहिता, जनसंख्या असंतुलन पर ठोस कदम, एक देश एक चुनाव जैसे बड़े सुधार के लिए भी अनुमोदन होगा। उक्त आधार पर हम यह कह सकते हैं कि यह नव वर्ष भारतीय राजनीति की दिशा तय करने वाला नव वर्ष होगा।
बालभास्कर मिश्र
स्तंभ लेखक, लखनऊ