भारत ने 16 नवंबर 2024 को हाइरसोनिक यानी नई एंटी शिप मिसाइल का परीक्षण करके पाकिस्तान से लेकर चीन तक को हिलाकर रख दिया है इस हाइपरसोनिक मिसाइल की जद में पूरा पड़ोसी पाकिस्तान जबकि चीन का करीब 45 से 46 फीसदी हिस्सा आ रहा है
हाइपरसोनिक लॉन्ग रेज मिसाइल के इस सफल परीक्षण के बाद भारत अब उन चुनिंदा देशों की कतार में खुद को खड़ा कर लिया है, जो दुनिया के कई ताकतवर देशों के पास भी नहीं हैं इस मिसाइल की सबसे बड़ा खासियत ये होती है कि दुश्मन देश चाहकर भी इसको टारगेट नहीं कर सकता है
भारत की तरफ से हाइपरसोनिक के सफल परीक्षण पर भारतीय सेना से रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डी.पी. वत्स का कहना है कि भारत के अलावा रूस और चीन के पास ही यह तकनीक है अमेरिका भी भारत की तरह परीक्षण ही कर रहा है इस परीक्षण की खासियत है कि हमने जो किया, उसका वेग 11हजार किमी प्रति घंटे रफ्तार थी उसकी सीमा 1500 किमी है मतलब कि पूरा पाकिस्तान और 46 फीसदी चीन के शहर इसकी जद में आ जाते हैं बंगाल की खाड़ी से लगता जो हमारा इलाका है, जिस इलाके से 56 फीसदी तेल की आवाजाही होती है, वो भी इसकी जद में आ जाता है
डीपी वत्स का आगे कहना है कि 16 नवंबर को जब भारत ने हाइपरसोनिक एंटीशिप मिसाइल का सफल परीक्षण किया, तो वह तीन ऐसे देशों की श्रेणी में आ गया, जिनके पास यह तकनीक है यह एंटीशिप मिसाइल है, हाइपरसोनिक होने का फायदा है कि यह अपना ट्रैक भी बदल सकते हैं अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल के साथ ये है कि वो ट्रैक नहीं चेंज कर सकते, मतलब उनको काउंटर-मिसाइल से ढेर भी किया जा सकता है, लेकिन हाइपरसोनिक मिसाइल को कुछ नहीं कर सकते हैं
हाइपरसोनिक मिसाइल को डिटेक्ट नहीं कर सकते, यह भारत के लिए एक डेटरेंट का काम करेगा. हमारे पड़ोसी चीन और पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं, इसलिए परस्पर संहारक क्षमता या म्युच्युली डिस्ट्रक्टिव डेटरेंट होना आवश्यक है यानी, आप अगर हमें मारेंगे तो हम आपको बर्बाद कर देंगे इसीलिए, युद्ध रुका हुआ है शांति के लिए आप कोई भी कदम तभी उठा सकते हैं, जब आप ताकतवर हों, शक्तिशाली हो
एबीपी लाइव के साथ बात करते हुए कहा कि मारक क्षमता की बात करें तो हमारी अग्नि मिसाइल तो इससे बहुत आगे है. वह तो पूरे चीन को अपनी जद में लेता है हम जिसे भी मारना चाहें, उसे मार सकते हैं. उसे हालांकि फिर भी ट्रैक कर सकते हैं हाइपरसोनिक मिसाइल मैनुवरेबल होते हैं, यानी उनको बीच रास्ते बदल भी सकते हैं, उनको डिटेक्ट करना भी बहुत मुश्किल है, इसलिए हमारे रक्षामंत्री ने बहुत साफ तौर पर बता दिया है कि यह भारत की मारक क्षमता, रक्षा क्षमता और नैतिक क्षमता को बढाने वाला है, इसके लिए हमारे वैज्ञानिकों को बधाई