भारत-पाकिस्तान को बातचीत की मेज पर आना होगा : फारूक अब्दुल्ला

श्रीनगर। फारूक अब्दुल्ला ने गुरुवार को कहा कि अगर भारत और पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में रक्तपात खत्म करना चाहते हैं और स्थायी शांति चाहते हैं, तो उन्हें बातचीत की मेज पर आना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि युद्धों से न तो अतीत में मुद्दे सुलझते थे और न ही वे भविष्य में शांति लाएंगे।

अनंतनाग मुठभेड़ में सेना के दो तथा पुलिस के एक अधिकारी की शहादत के बाद गुरुवार को श्रीनगर में मीडिया के सामने फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर बातचीत नहीं हुई, तो ऐसी घटनाएं जारी रहेंगी। संवाद के अलावा कोई रास्ता नहीं है, इसलिए दोनों देशों को अपनी जिद छोड़कर बातचीत करनी चाहिए। पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर को वापस लेने के बारे में भाजपा के कुछ नेताओं की टिप्पणियों के बारे में फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि युद्धों से न तो अतीत में मुद्दों का समाधान हुआ और न ही भविष्य में शांति आएगी।

फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कोई भी मुद्दा टकराव से हल नहीं हो सकता। पाकिस्तान ने चार युद्ध लड़े हैं और सीमाएं अभी भी यथावत हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद खत्म होने का दावा करने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र की आलोचना की। उन्होंने कहा कि हम सब ने अनंतनाग मुठभेड़ में देखा कि युवा डीएसपी के अलावा एक कर्नल और एक मेजर भी शहीद हुए हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह विनाश लंबे समय से चल रहा है, लेकिन मुझे इसका कोई अंत नहीं दिख रहा है। सरकार चिल्ला रही है कि आतंकवाद खत्म हो गया है। उन्होंने पूछा आप ही बताइये, क्या ये ख़त्म हो गया?”

बातचीत की बहाली पर अपना रुख दोहराते हुए अब्दुल्ला ने यूक्रेन संघर्ष का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की स्थिति को देखो। हर तरफ तबाही मची हुई है। शांति स्थापित करने के लिए रूस और यूक्रेन को बातचीत करनी होगी। यह पूछे जाने पर कि क्या वह पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की वकालत कर रहे हैं, तो एनसी अध्यक्ष ने कहा कि बातचीत उन दोनों देशों के बीच होनी चाहिए, जिनके बीच मतभेद हैं। मुझसे बात करने का कोई मतलब नहीं है। यह समस्या भारत के आज़ाद होने के बाद से ही बनी हुई है। जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की ओर से अशांति फैलाने के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि पड़ोसी देश ने कभी भी यथास्थिति स्वीकार नहीं की है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैं न तो ख़ुफ़िया विभाग में हूं और न ही सरकार में, इसलिए मैं नहीं कह सकता कि आतंकवादी कहां से आते हैं। मुझे डर है कि ये विदेशी आतंकवादी किसी दूसरे देश से हो सकते हैं, वे बहुत अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह अफगानों की संलिप्तता की ओर इशारा कर रहे हैं, तो अब्दुल्ला ने कहा कि वह किसी पर उंगली नहीं उठाना चाहते। उन्होंने कहा कि जिन्हें समझने की ज़रूरत है वे समझेंगे।

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