पड़ोसी देश म्यांमार में हो रहे हिंसा को लेकर भारत ने गंभीर चिंता जताई

नई दिल्ली। पड़ोसी देश म्यांमार के कई हिस्सों से हिंसा की ताजा घटनाओं के सामने आने को लेकर भारत ने गंभीर चिंता जताई है। भारत ने गुरुवार को भारत-म्यांमार सीमा के पास म्यांमार की सेना और जुंटा विरोधी समूहों के बीच लड़ाई बंद करने का आह्वान किया। हिंसा की वजह से मिजोरम समेत कुछ दूसरे पूर्वोत्तर राज्यों में शरणार्थियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है।

भारत ने म्यांमार में शीघ्रता से शांति स्थापित किए जाने की उम्मीद जताई है और यह भी कहा है कि जो शरणार्थी भारतीय सीमा में घुस आए हैं, उन्हें वापस अपने देश भेजा जा रहा है। भारत की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब म्यांमार में हिंसा से प्रभावित वहां के कुछ सैनिकों के भी भारतीय क्षेत्र में घुस आने की सूचना मिली है। इन सैनिकों को वापस भेज दिया गया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को इस बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भारत-म्यांमार सीमा पर जारी हिंसा हमारे लिए काफी गंभीर चिंता का कारण है।

‘म्यांमार को लेकर हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं’
मिजोरम राज्य के जोवखाथार के पास म्यांमार सीमा पर स्थित शिन स्टेट के रीख्वादार क्षेत्र में लड़ाई चल रही है। इसकी वजह से म्यांमार के कुछ नागरिकों के भारतीय क्षेत्र में घुस आने की सूचना है। हम अपनी सीमा के पास इस तरह की घटनाओं से काफी चिंतित हैं। म्यांमार को लेकर हमारी नीति में कोई बदलाव नहीं है। हम इस तरह की हिंसा के जल्द से जल्द समाप्त होने की उम्मीद करते हैं और यह भी उम्मीद करते हैं कि दोनों पक्षों के बीच शांतिपूर्ण तरीके से मुद्दों को सुलझाया जाएगा।

‘म्यांमार में सैन्य शासकों के खिलाफ कई क्षेत्रों में विद्रोह’
म्यांमार में सैन्य शासकों के खिलाफ कई क्षेत्रों में विद्रोह हो रहा है। यह हाल के महीनों का सबसे बड़ा विद्रोह है जिसका असर सीमावर्ती भारतीय राज्यों पर भी दिखाई दे रहा है। सैनिक तानाशाही का विरोध करने वाले लोग वहां फिर से लोकतंत्र को स्थापित करने की मांग कर रहे हैं। बागची ने कहा कि म्यांमार में हिंसा की ताजा घटनाएं वर्ष 2021 में शुरू हुई हैं। उसके बाद से काफी बड़ी संख्या में म्यांमार के नागरिकों ने भारत में शरण ली है। भारत सरकार उनकी मदद भी करती है और उन्हें वापस भेजने की भी प्रक्रिया शुरू की हुई है।

‘हम म्यांमार में शांति स्थापित होने की उम्मीद करते हैं’
भारतीय राज्यों के स्थानीय अधिकारी इन परिस्थितियों को मानवीय आधार पर सुलझाने की भरसक कोशिश कर रहे हैं। बागची ने कहा कि हम म्यांमार में शांति, स्थिरता और लोकतंत्र के फिर से स्थापित होने की उम्मीद करते हैं। इस तरह की सूचना है कि कम से कम चार हजार म्यांमार के नागरिकों व वहां के कुछ सैन्य बलों के लोगों ने मिजोरम में शरण लेने की मांग की है।

गाजा में तनाव कम करने को लगातार कर रहे बातचीत
गाजा में इजरायली सेना द्वारा अल शिफा अस्पताल की घेराबंदी करने पर बागची ने कहा कि हम किसी विशेष स्थान पर बात करने के बजाय सामान्य रूप से कहते हैं कि किसी भी तरह के आतंकी हमले की निंदा होनी चाहिए। भारत ने हमेशा मानवीय राहत की जरूरत पर बल दिया है। हमने फलस्तीन को भी नियमित रूप से मानवीय सहायता भी दी। हम तनाव कम करने के बारे में लगातार बातचीत कर रहे हैं।

कतर में मौत की सजा पाए आठ भारतीयों से जुड़े मामले में अपील प्रक्रिया जारी
बागची ने कहा कि कतर की एक अदालत द्वारा आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील की प्रक्रिया प्रक्रियाधीन है और उम्मीद है कि इसका सकारात्मक नतीजा निकलेगा। उन्होंने कहा कि भारत इस मामले पर कतर के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहा है और सरकार भारतीय नागरिकों को सभी कानूनी और दूतावास संबंधी सहायता देना जारी रखेगी। फिर दोहराया-वियना समझौते का सम्मान करे कनाडा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कनाडा को एक बार फिर चेताया।

कनाडा को वियना समझौते का सम्मान करना चाहिए
बागची ने कहा कि कनाडा को वियना समझौते का सम्मान करना चाहिए ताकि हमारे राजनयिक अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकें। उन्होंने कहा कि कनाडा में हमारा उच्चायोग और वाणिज्य दूतावास नियमित रूप से कांसुलर शिविरों का आयोजन करते हैं। पेंशनभोगियों को जीवन प्रमाण पत्र प्रदान करने के लिए 12 नवंबर को वैंकूवर के पास एक ऐसा शिविर आयोजित किया गया था। कुछ कट्टरपंथी तत्वों द्वारा इसे रोकने की कोशिश की गई। कनाडा को ऐसे मामलों को गंभीरता से लेना चाहिए।

दूसरे वायस आफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन का पीएम करेंगे उद्घाटन बागची ने कहा कि दूसरा वायस आफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन शुक्रवार को वर्चुअल मोड में आयोजित किया जाएगा और इसके उद्घाटन सत्र का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी करेंगे। इसके बाद दोपहर साढ़े 12 बजे से मंत्रिस्तरीय सत्र होंगे। इनमें विदेश, आइटी, शिक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य, वाणिज्य, वित्त और पर्यावरण मंत्री शामिल होंगे।

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