लखनऊ। उत्तर प्रदेश में रेलवे की जमीनों पर झुग्गी झोपड़ी लगाकर रहने वाले लोगों की कई बार जांच के बाद भी जिलों के प्रशासन एवं राजस्व के अधिकारियों के हाथ खाली ही रहे हैं। सूत्रों की मानें तो प्रदेश के विभिन्न शहरों में रेलवे की जमीन पर झुग्गी झोपड़ियां लगाकर घुमन्तु जनजातियों के आड़ में बांग्लादेशी घुसपैठी रह रहे हैं। ये घुसपैठिए बेहद निश्चिंत होकर आधार व मतदाता कार्ड के जरिए बिजली, राशन जैसी सुविधाएं भी ले रहे हैं।
आगरा के सिकन्दरा क्षेत्र में बीते दो वर्षो के भीतर झुग्गी झोपड़ी में कई बार छापेमारी की गयी है। इसमें दो बार वहां बांग्लादेशी नागरिकों को खुफिया विभाग ने पकड़ा है। आगरा के सेक्टर-14 में वर्ष 2023 में हुई छापेमारी के दौरान 40 बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गये थे। जिन्होंने पूछताछ में बांग्लादेश से उत्तर प्रदेश के आगरा तक पहुंचने की कहानी सुनायी थी।
आगरा जनपद से राजस्थान बार्डर की ओर बढ़ने पर कई झुग्गी झोपड़ियों बसी हुई थी, जिसे जिला प्रशासन ने हटवाया था। इस दौरान कुछ संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया था। जिन्हें बाद में राजस्थान की घुंमतु समुदाय का बताकर छोड़ दिया गया था। जिसमें भी बेहद चौकाने वाले खुलासे हुए थे कि घुंमतु समुदाय में भी कई सारे लोग मातृभाषा को ठीक से बोलना नहीं जानते। वे अपनी ही भाषा बोलते मिले थे,जो बांग्ला से मिलती जुलती रही।
लखनऊ जनपद की सीमाओं पर रेलवे की जमीन पर बड़ी संख्या में झुग्गी झोपड़ी डाले लोग दिखायी देते हैं। इनकी पहचान कराने पर स्थानीय नेताओं ने इनको वोटर बनाने के लिए राशन कार्ड बनाये और फिर चुपके से मतदाता पहचान पत्र भी बनवा डाले हैं। मोहन मेकिन रेलवे ब्रिज के नीचे बड़ी संख्या में इसी तरह की आबादी बसी हुई है।
लखनऊ से सीतापुर मार्ग पर रेलवे की जमीन पर झुग्गी झोपड़ी में जो लोग मटन चिकन बेचने, पत्थर कटाई का काम करते, पंचर बनाते, बांस का काम करते हुए दिखते हैं, इनके कुछ वर्षो में ही पहचान पत्र बनाये गए हैं। सीतापुर के लहरपुर तो लखीमपुर बताने वाले इन लोगों की भाषा बोली पूरी तरह से बांग्ला भाषा से मिलती जुलती है। बड़ी तेजी से उन्होंने अवधी बोली सीखी है, लेकिन वो भी पकड़ में आ जाती है।
खुफिया विभाग से जुड़े एक अधिकारी की मानें तो उत्तर प्रदेश से जुड़े हुए बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, महाराजगंज जनपदों में रेलवे की जमीनों पर झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले लोग जो दिखायी देते हैं, वहां बांग्लादेशी घुसपैठी हैं। प्रदेश में खुफिया विभाग के निरीक्षकों से लेकर अधिकारियों तक बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने में जुटे रहते हैं। कई बार बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ने में सफलता भी मिली है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में पश्चिम उत्तर रेलवे, उत्तर रेलवे, पूर्वोत्तर रेलवे के रेलवे स्टेशनों से कुछ ही दूरी पर झुग्गी-झोपड़ियां दिखती है। रेलवे के अधिकारियों की ओर से रेलवे स्टेशन के आसपास की जमीन पर अतिक्रमण हटाने के लिए एक्शन होता है। लेकिन कुछ किलोमीटर की दूरी पर रेलवे की जमीन पर होने वाले कब्जा को देखने कोई अधिकारी नहीं जाते। इसी का फायदा उठाकर बाहर से आने वाले घुसपैठिए स्थानीय नेतााओं की मदद से अपना पांव जमा लेते हैं।