बरेली| जिले के एक मेडिकल कॉलेज की परास्नातक छात्रा साइबर ठगों की साजिश का शिकार हो गई। उसका आधार कार्ड महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक के मनी लॉन्ड्रिंग मामले से जुड़ा बताकर उसे धमकाया गया। लैपटॉप स्क्रीन के सामने ऑनलाइन उसे डिजिटल अरेस्ट बताकर बैठाए रखा। साथ ही जांच के नाम पर आठ लाख से ज्यादा रुपये दूसरे खातों में ट्रांसफर करा लिए।
दो दिन बाद छूटी छात्रा को जब ठगी का अहसास हुआ, तब उसने साइबर थाने में रिपोर्ट कराई है। गाजियाबाद जिले की निवासी छात्रा बरेली के एक मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही है। छात्रा ने मंडलीय साइबर थाना आकर बताया कि 21 फरवरी की दोपहर उसके नंबर पर एक कॉल आई।
कॉल पर युवती ने बताया कि वह एक कोरियर कंपनी से बात कर रही है। आपका आधार अनधिकृत लेनदेन में लिप्त मिला है। अगर आपने यह लेनदेन नहीं किया है तो आप मुंबई साइबर क्राइम पर कंपलेंट कर सकते हैं। उसने कथित रूप से मुंबई साइबर सेल के एसआई विक्रम सिंह से बात कराई। विक्रम ने स्काइप एप पर वीडियोकॉल के जरिये उसके चेहरे व आधार की फोटो ली।
उसे दो दिन तक सर्विलांस पर रखा
उससे कहा कि इस आधार आईडी को नवाब मलिक ने कई जगह मनी लॉन्ड्रिंग में इस्तेमाल किया है। केस सॉल्व होने तक आपको सर्विलांस पर रखा जाएगा। फिर एक खाता नंबर देकर कहा कि जांच होने तक अपने खाते की रकम को इसमें ट्रांसफर कर दीजिए।
उसके बताए खातों में छात्रा ने 817297 रुपये ट्रांसफर कर दिए। दो दिन बाद स्काइप पर कॉल बंद करने को कहा गया। तब साइबर क्राइम अधिकारियों के हस्ताक्षर प्रदर्शित करते हुए वित्त विभाग से एकनॉलेजमेंट लेटर दिया गया। इसके बाद छात्रा को ठगी का अहसास हुआ और उसने पुलिस को सूचना दी। साइबर थाने के इंस्पेक्टर नीरज सिंह के अनुसार टीम मामले की पड़ताल में जुटी है।
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट
डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का नया तरीका है। साइबर थाने के इंस्पेक्टर नीरज सिंह के मुताबिक डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार वह लोग होते हैं जो अधिक पढ़े-लिखे और कंप्यूटर फ्रेंडली होते हैं। डिजिटल अरेस्ट का मतलब है कि कोई आपको ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए आप पर नजर रख रहा है। अक्सर डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग खुद को पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को धमकाते और अपना शिकार बनाते हैं।