लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में कई तरह के रंग देखने को मिल रहे हैं। यह चरण राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने की जद्दोजहद का गवाह बन रहा है तो इसमें बगावती तेवर की आंच भी महसूस की जा रही है। इस चरण में चुनावी अदावत भी देखने को मिली है। तीसरे चरण की रंगत पर विशेष संवाददाता राजीव दीक्षित की रिपोर्ट…
राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाने को बुना ताना बाना
तीसरा चरण यादव परिवार के एक और कुलभूषण के चुनावी समर में पहली बार उतरने का साक्षी बना है और इसकी अंतर्कथा भी रोचक है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बदायूं सीट से यूं तो अपने चाचा और जसवंतनगर के विधायक शिवपाल सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया था। शिवपाल ठहरे राजनीति के चतुर खिलाड़ी। उन्हें अपने पुत्र आदित्य यादव के राजनीतिक करियर की लांचिंग के लिए यह अवसर माकूल लगा। पुत्र के राजनीतिक करियर की उड़ान के लिए बदायूं को लांच पैड के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए महीन ताना बाना बुना गया। प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद उन्होंने स्वयं को पीछे कर लिया।
बदायूं की सपा इकाई ने इस सीट से संसद में युवा प्रतिनिधि के तौर पर भेजने के लिए आदित्य को उम्मीदवार बनाए जाने की पार्टी नेतृत्व से मांग की। अब आदित्य यहां साइकिल पर सवार हैं और शिवपाल अपने पुत्र के राजनीतिक सफर के धमाकेदार आगाज के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए आदित्य यदि पहली बार चुनावी जंग में कूदे हैं तो तीसरे चरण में कुछ और प्रत्याशी ऐसे हैं जो परिवार की सियासी धरोहर को संजोए रखने के लिए दूसरी या तीसरी बार मैदान में हैं।
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव पर मैनपुरी सीट पर ससुर की राजनीतिक विरासत को संभालने के बाद अब उसे बरकरार रखने की चुनौती है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह एटा सीट पर अपने परिवार का सियासी दबदबा जारी रखने के लिए जीत की तिकड़ी लगाने के इरादे से फिर मैदान में हैं। सपा के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव फिरोजाबाद सीट पर अपनी, पार्टी व यादव परिवार की खोई हुई प्रतिष्ठा को फिर पाने के लिए संघर्षरत हैं। संभल सीट पर कुंदरकी के सपा विधायक जियाउर्रहमान बर्क अपने मरहूम दादा शफीकुर्रहमान बर्क की विरासत को थामने के लिए चुनावी रण में उतरे हैं।
बगावती सुर से फतेहपुर सीकरी का संग्राम रोचक
तीसरे चरण में बगावती तेवर भी अख्तियार किए जा रहे हैं। फतेहपुर सीकरी सीट पर भाजपा बगावत से जूझ रही है। यहां भाजपा सांसद और पार्टी प्रत्याशी राजकुमार चाहर के सामने पार्टी के स्थानीय विधायक चौधरी बाबू लाल के पुत्र रामेश्वर चौधरी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में सीना ताने खड़े हैं। चाहर और चौधरी दोनों जाट बिरादरी से हैं।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में फतेहपुर सीकरी सीट से चौधरी बाबूलाल भाजपा सांसद निर्वाचित हुए थे, लेकिन 2019 में पार्टी ने उनका टिकट काटकर राजकुमार चाहर को मैदान में उतारा था। यहीं से दोनों के बीच ठन गई। चाहर ने 4.95 लाख के बड़े अंतर से मैदान मार लिया। 2024 में जब पार्टी ने उन्हें दोबारा चुनाव मैदान में उतारा तो उनके सामने रामेश्वर चौधरी आ डटे। अतीत में मथुरा और आगरा सीटों से चुनाव लड़कर रामेश्वर चौधरी ठीक-ठाक वोट पा चुके हैं। सीकरी सीट से उठे बगावती सुर ने यहां मुकाबला रोचक बना दिया है।
कौन असली, कौन नकली
तीसरे चरण में चुनावी अदावत भी अनोखे अंदाज में सामने आई है। इस चरण में आंवला सीट पर चुनावी प्रतिस्पर्धा मुकदमेबाजी में तब्दील हो गई है। आंवला सीट पर बसपा उम्मीदवार आबिद अली ने सपा प्रत्याशी नीरज मौर्य पर शाहजहांपुर निवासी सत्यवीर सिंह का फर्जी तरीके से बसपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन करवाने का आरोप लगाते हुए दोनों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई है। इस प्रकरण में बसपा के दो प्रत्याशियों की ओर से नामांकन कराए जाने के बाद दोनों पर्चे खारिज कर दिए गए थे। पर्चा खारिज होने पर आबिद अली फूट-फूट कर रोए थे। दिल्ली तक हड़कंप मचा और बसपा सुप्रीमो मायावती को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये निर्वाचन मशीनरी को बताना पड़ा कि आबिद अली ही अधिकृत बसपा प्रत्याशी हैं।
गंगवार की खड़ाऊं लेकर मैदान में उतरे गंगवार
भाजपा के दिवंगत नेता लालजी टंडन जब 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के संसदीय क्षेत्र लखनऊ से चुनाव लड़े थे तो वह मतदाताओं से कहते थे कि ‘अटल जी की खड़ाऊं लेकर आपके बीच आया हूं’। कुछ ऐसी ही परिस्थिति बरेली सीट पर बनी है जहां आठ बार के सांसद संतोष गंगवार की जगह भाजपा ने पूर्व राज्य मंत्री छत्रपाल गंगवार को उतारा है। छत्रपाल अब संतोष गंगवार की छाया में यहां चुनाव लड़ रहे हैं