वन नेशन वन टाइम’ की दिशा में आगे बढ़ते हुए और इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (IST) में सटीकता हासिल करने के मकसद से, भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग ने नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी (NPL) तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ मिलकर एक अहम प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसके अंतर्गत मिलीसेकंड से लेकर माइक्रोसेकंड तक की सटीकता के साथ IST का प्रसार किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट का मकसद देशभर में 5 लीगल मेट्रोलॉजी लेबोरेटरिज से IST का प्रसार करने के लिए टेक्नोलॉजी और इंफ्रास्ट्रकचर का निर्माण किया जाना है.
उपभोक्ता मामले विभाग के लीगल मेट्रोलॉजी डिविजन की ओर से द ड्रॉफ्ट लीगल मेट्रोलॉजी (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम) रूल्स, 2025 को पूरे देश में इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (आईएसटी) के उपयोग को मानकीकृत और अनिवार्य बनाने वाले एक व्यापक नियम के रूप में प्रकाशित किया गया है.
कब तक दिए जा सकेंगे सुझाव
द ड्रॉफ्ट लीगल मेट्रोलॉजी (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम) रूल्स को लेकर आम लोगों की राय जानने के लिए 15 जनवरी 2025 को विभाग की वेबसाइट पर डाला गया है. नियमों से संबंधित सुझाव 14 फरवरी 2025 तक दी जा सकती हैं. सुझाव यहां वेबसाइट पर दी जा सकती है.
इसे अपनाने के लिए अनिवार्य बनाने को लेकर नियमों का ड्रॉफ्ट तैयार करने, नेटवर्कों के लिए समन्वयन दिशा-निर्देश स्थापित करने, टाइम-स्टैम्पिंग और साइबर सिक्योरिटी के लिए नियामक ढांचा तैयार करने तथा एडवांस्ड टेक्नोलॉजी और बुनियादी ढांचे के जरिए IST के प्रसार के लिए बनाए गए प्रोजेक्ट की प्रगति की निगरानी करने के लिए समिति की कई बैठकें आयोजित की गईं.
अनिवार्य रूप से नहीं अपना रहे TSP-ISP
बैंकिंग, डिजिटल गवर्नेंस तथा डीप स्पेस नेविगेशन तथा ग्रेविशनल वेव डिक्टेशन समेत कई अत्याधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान जैसे क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है. इसकी इतनी अहमियत के बावजूद, IST को सभी टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर (TSP) और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (ISP) द्वारा अनिवार्य रूप से नहीं अपनाया जाता है, जबकि इनमें से कई GPS तो विदेशी समय स्रोतों पर निर्भर करते हैं. सभी नेटवर्क और सिस्टम्स को IST से सिंक्रोनाइज करना नेशनल सिक्योरिटी, रियल टाइम अप्लीकेशन और अहम इंफ्रास्ट्रकचर के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक है.
इस तरह की कई चुनौतियों का समाधान करने के लिए, लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के अंतर्गत इसे अपनाने के लिए नीतिगत ढांचा, विनियमन और कानून विकसित करने हेतु एक उच्चाधिकार प्राप्त अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया गया था. उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव की अध्यक्षता में गठित इस समिति में एनपीएल, इसरो, आईआईटी कानपुर, एनआईसी, सीईआरटी-इन, सेबी और रेलवे, दूरसंचार और वित्तीय सेवाओं जैसे प्रमुख सरकारी विभागों के प्रतिनिधि शामिल हैं.
IST का इस्तेमाल स्टैंडराइज और अनिवार्य
इन ऐतिहासिक नियमों का मकसद देश में सभी क्षेत्रों में इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (IST) के इस्तेमाल को स्टैंडराइज और अनिवार्य बनाना है, जो रणनीतिक, गैर-रणनीतिक, औद्योगिक और सामाजिक अनुप्रयोगों के लिए एकीकृत और सटीक समय-निर्धारण ढांचा प्रदान करता है.
द लीगल मेट्रोलॉजी (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम) रूल्स देशभर में सटीक और एकसमान समय-निर्धारण के लिए एक व्यापक ढांचा बनाकर उपभोक्ताओं को पर्याप्त लाभ प्रदान करेंगे. ये नियम कम्युनिकेशन नेटवर्क, टेक्निकल इंफ्रास्ट्रकचर और सार्वजनिक सेवाओं को सिंक्रनाइज करते हैं, जिससे निर्बाध बातचीत संभव होती है और आर्थिक दक्षता में भी इजाफा होता है.
प्रस्तावित द लीगल मेट्रोलॉजी (इंडियन स्टैंडर्ड टाइम) रूल्स 2024 का मकसद सभी क्षेत्रों में इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (IST) को अनिवार्य समय संदर्भ के रूप में स्थापित करना है, जिससे एकरूपता और सटीकता की स्थिति बनी रहे. UTC बेस्ड +5:30-घंटे के ऑफसेट के साथ IST का रखरखाव CSIR-नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी (CSIR-NPL) द्वारा किया जाता है.
ये नियम कानूनी, प्रशासनिक और वाणिज्यिक गतिविधियों को IST के साथ समन्वयित करने का आदेश देते हैं, जब तक कि स्पष्ट रूप से अनुमति न दी जाए, वैकल्पिक समय संदर्भों के उपयोग को प्रतिबंधित करते हैं. सरकारी ऑफिसों और सार्वजनिक संस्थानों द्वारा नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल (NTP) और प्रेसिजन टाइम प्रोटोकॉल (PTP) जैसे विश्वसनीय समन्वय प्रोटोकॉल को अपनाना अनिवार्य है. लचीलापन लाने के लिए, साइबर सिक्योरिटी उपायों और वैकल्पिक संदर्भ तंत्र निर्धारित किए गए हैं, जो साइबर हमलों या व्यवधानों के दौरान विश्वसनीयता बढ़ाते हैं.